-राजकोट सीट बनी भाजपा के लिए परेशानी का सबब
-‘मोदी’ और ‘जाति’ के अंकगणित पर रहेगा दारोमदार
- केंद्रीय मंत्री रूपाला ने रोटी- बेटी को लेकर दिया था विवादित बयान
अहमदाबाद। गुजरात की राजकोट लोकसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच जोरदार मुकाबला है। क्षत्रिय समाज का विरोध शुरू होने के बाद, दोनों ही दल, अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। मौजूदा परिस्थितियों में भाजपा के लिए राह थोड़ी मुश्किल बनती जा रही है। राजकोट के क्षत्रिय बाहुल्य कई गांवों में भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं की एंट्री बैन है। क्षत्रिय समाज, केंद्रीय मंत्री और भाजपा प्रत्याशी परषोत्तम रूपाला को माफी देने के मूड में नहीं हैं। भाजपा कहती है कि रूपाला ने माफी मांग ली है, तो क्षत्रिय समाज कहता है, दिल से माफी नहीं मांगी है। रूपाला द्वारा रोटी- बेटी को लेकर दिए गए बयान पर क्षत्रिय समाज का गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ है। कांग्रेस पार्टी को उम्मीद है कि क्षत्रिय समाज का वोट अब उनके प्रत्याशी परेश धनानी को मिल जाएगा। इतना ही नहीं, पार्टी को यह भरोसा भी है कि इंडिया गठबंधन में सहयोगी ‘आम आदमी पार्टी’ का वोट बैंक, पूरा नहीं तो कम से कम 70 फीसदी मत तो कांग्रेस प्रत्याशी में खाते में आ सकते हैं।
भाजपा, पीएम मोदी और जातीय समीकरण पर निर्भर
इन सबके बीच भाजपा ने अब रूपाला को जीत तक पहुंचाने के लिए ‘मोदी और जाति’ का फॉर्मूला अख्तियार किया है। भाजपा कार्यकर्ता, यह बात स्वीकार करते हैं कि उन्हें राजकोट सीट पर मार्जिन वाली जीत नहीं चाहिए। बस, रूपाला जीत जाएं। पार्टी की एक खास इकाई को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह लोगों के बीच जाकर ये मैसेज दें कि क्षत्रिय समाज की नाराजगी रूपाला से हो सकती है, मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं। इसके साथ ही पार्टी ने क्षत्रिय समुदाय के विरोध के बीच अन्य प्रमुख ‘जातियों’ को साधना शुरू कर दिया है।
क्षत्रिय समुदाय की आबादी करीब 1.70 लाख
दोनों ही दलों के नेताओं से हुई बातचीत के आधार पर यह पता चला है कि अब इस चुनाव में ‘मोदी’ और ‘जाति’ का मुद्दा अहम हो चला है। राजकोट लोकसभा क्षेत्र में क्षत्रिय समुदाय की आबादी करीब 1.70 लाख है। कांग्रेस प्रत्याशी परेश धनानी लेउवा पटेल हैं। इस समुदाय की आबादी लगभग साढ़े तीन लाख बताई जा रही है। भाजपा प्रत्याशी परषोत्तम रूपाला, कड़वा पटेल हैं। इस समुदाय की आबादी भी करीब दो लाख बताई जा रही है। इनके अलावा 15 फीसदी कोली समुदाय, 9 फीसदी मुस्लिम, पांच से सात फीसदी क्षत्रिय, साढ़े सात फीसदी दलित, 4 फीसदी ब्राह्मण, 4 फीसदी भरवाड-रबारी और करीब 27 फीसदी अन्य जातियां बताई जाती हैं।
इस वजह से परेशान नहीं है भाजपा
भाजपा कार्यकर्ता, नट्टू भाई व्यास यह बात स्वीकार करते हैं कि गलती तो हो गई है। क्षत्रिय समाज ने सोचा था कि विवाद के बाद रूपाला को पार्टी से निकाल दिया जाएगा। इस मामले में भाजपा टस से मस नहीं हुई है। भाजपा अब, क्षत्रिय समुदाय की नाराजगी की ज्यादा परवाह नहीं कर रही। वह दूसरी जातियों को अपने पक्ष मंस करने का प्रयास कर रही है। क्षत्रिय समाज को लेकर भाजपा, इसलिए भी अधिक चिंतित नहीं है, क्योंकि गुजरात में क्षत्रियों की कुल आबादी जो करीब 15 फीसदी के आसपास है, उसका एक बड़ा हिस्सा ‘ओबीसी’ समुदाय में आता है। गुजरात में 4-5 फीसदी ठाकुर ही सामान्य वर्ग में आते हैं। ऐसे में भाजपा ने दूसरे समुदायों को साधना शुरू कर दिया है।
कांग्रेस को बंधी जीत की उम्मीद
अमरेली जिला यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष संदीप धनानी कहते हैं, चुनाव अच्छा जा रहा है। विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ है। महंगाई और बेरोजगारी मुद्दा है। भाजपा उम्मीदवार परषोत्तम रूपाला के ‘रोटी और बेटी’ के बयान को लेकर लोगों में आक्रोश है। अब यह आक्रोश वोटों में तब्दील होता है या नहीं, देखने वाली बात है। कांग्रेस पार्टी के ही वरिष्ठ पदाधिकारी कनु भाई ने बताया, रूपाला की माफी का कोई असर नहीं है। लोग, ज्यादा आक्रोशित हो रहे हैं। आम आदमी पार्टी का वोट बैंक, कांग्रेस में कितना शिफ्ट होगा, इस सवाल के जवाब में कनु ने कहा, सत्तर-अस्सी फीसदी वोट शिफ्ट हो जाएगा। कांग्रेस के राजकोट ब्लॉक अध्यक्ष, धर्मेश कहते हैं, यूथ ‘इंडिया गठबंधन’ के बारे में सोच रहा है। युवा सरकार से पूछ रहे हैं कि हमारा रोजगार कहां है? भाजपा, भ्रम फैला रही है। भाजपा के मुद्दे केवल किताबों में होते हैं। जन सुविधाओं की भारी कमी है। चुनाव में हिंदू मुस्लिम के विषय पर कनु भाई ने कहा, हर चुनाव में इस मुद्दे को उठाया जाता है। लोगों को चुनाव में हिंदू-मुस्लिम में बांट दिया जाता है। धर्मेश बोले, यहां पर युवाओं के बीच आरक्षण का मुद्दा है, रोजगार का मुद्दा है। यहां पर राम मंदिर का निर्माण या जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति, ऐसा कोई मुद्दा नहीं चलेगा। भाजपा उम्मीदवार को लेकर गांव में रूपाला के लिए नो एंट्री है।
00000000

