-स्टार्मर का ब्रिटिश पीएम बनना भारत के नजरिये से है महत्वपूर्ण
लंदन। ब्रिटेन में किएर स्टार्मर के नेतृत्व वाली लेबर पार्टी ने आम चुनाव में ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी को हराकर बड़ी जीत हासिल कर ली है। ब्रिटेन में लेबर पार्टी की वापसी 14 सालों बाद हुई है और इस बदलाव से ब्रिटेन सरकार की नीतियां भी बदलेंगी जिसका असर ब्रिटेन के अहम सहयोगी भारत पर भी पड़ने वाला है। भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता बातचीत का एक अहम मुद्दा रहा है और यह मुद्दा ब्रिटेन की दोनों पार्टियों के एजेंडे में है। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री कंजर्वेटिव पार्टी नेता बोरिस जॉनसन ने पद पर रहते हुए भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते के लिए दीवाली 2022 की डेडलाइन तय की थी लेकिन यह संभव नहीं हो पाया. इसे लेकर लेबर पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान कंजर्वेटिव्स पर निशाना साधा था और यह दिखाने की कोशिश की थी कि उनकी पार्टी इसे लेकर कितनी तत्पर है।
पार्टी के शैडो फॉरेन सेक्रेटरी डेविड लैमी जो अब ब्रिटेन के नए विदेश मंत्री बन सकते हैं, उन्होंने इंडिया ग्लोबल फोरम में बोलते हुए कहा था, ‘कई दीवाली आई और चली गई लेकिन मुक्त व्यापार समझौता नहीं हुआ यदि लेबर पार्टी चुनाव जीतती है तो 2024 के अंत तक इसे पूरा कर लिया जाएगा। वहीं लेबर पार्टी भारत के साथ मिलकर नियम-आधारित व्यवस्था के आधार पर ‘स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत’ को बढ़ावा देने की योजना बना रही है। इसके अलावा साइबर सुरक्षा पर भारत के साथ सहयोग को लेकर भी पार्टी पूरी तरह काम करने को तैयार है।
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कश्मीर पर किया था भारत का समर्थन
सोशलिस्ट विचारधारा वाली लेबर पार्टी की विदेश नीति हमेशा से विचारधारा पर आधारित रही है। पार्टी मानवाधिकार रिकॉर्ड के लिए भारत सहित कई देशों की आलोचना करती रही है। अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के एक महीने बाद सितंबर में लेबर पार्टी ने जेरेमी कॉर्बिन के नेतृत्व में एक आपात प्रस्ताव पास किया था जिसमें मांग की गई थी कि अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को कश्मीर में जाने की अनुमति दी जाए और इसके लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार दिया जाना चाहिए। भारत ने इस प्रस्ताव का सख्ती से विरोध किया था। विरोध बढ़ता देख लेबर पार्टी के नेता स्टार्मर ने मोर्चा संभालते हुए कहा था कि कश्मीर भारत का घरेलू मामला है और इसे दोनों पड़ोसी मिलकर सुलझाएंगे।
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खालिस्तान समर्थक मंत्री पर की थी कार्रवाई
भारत ब्रिटेन में खालिस्तान समर्थक लोगों और उनके भारत विरोधी कृत्यों पर विरोध जताता रहा है। लेबर पार्टी के अंदर भी कुछ नेता ऐसे रहे हैं जो खालिस्तान समर्थक माने जाते हैं। भारत इसे अपनी एकता और संप्रभुता के लिए खतरा मानता है। लेबर पार्टी ने खालिस्तान मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा था कि पार्टी भारत विरोधी किसी भी भावना का समर्थन नहीं करती है। सिख लेबर काउंसिलर परबिंदर कौर ने खालिस्तान समर्थक पोस्ट शेयर किया था । लेबर पार्टी की एक और नेता प्रीत कौर गिल पर भी खालिस्तान समर्थक विचारों के कारण लेबर पार्टी में कार्रवाई की जा चुकी है। गिल पार्टी में शैडो मिनिस्टर थीं और स्टार्मर ने उन्हें पद से डिमोट कर दिया था।
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