-आइए जानते हैं सुपर पावर देशों की तुलना में कहां है भारत
(फोटो : एआई)
नई दिल्ली। पिछले कुछ समय से दुनियाभर में एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की धूम मची है। आज से एक दशक पहले जिस तरह गूगल अचानक लोगों की जरूरत बन गया था। ठीक उसी तरह आज एआई भी लोगों की आम जिंदगी का हिस्सा बनता नजर जा रहा है। एआई के ऐसे कई टूल्स हैं जो लोगों के लिए काफी मददगार साबित हो रहे है। चैट जीपीटीका नाम तो आपने सुना ही होगा, ये भी एक ऐसा ही प्लेटफॉर्म है। यहां आप कोई भी सवाल पूछ लीजिए, आपको उसका लिखित जवाब मिल जाएगा। अगर आपको किसी विषय पर 400 शब्दों का निबंध लिखना हो तो चैट जीपीटीआपको ये तुरंत लिखकर दे देगा। बच्चे इस तरह के टूल का इस्तेमाल अपना होमवर्क करने में सबसे ज्यादा कर रहे हैं। कुछ लोग तो ये भी मानते हैं कि ये गूगल का रिप्लेसमेंट है। इतना ही नहीं कुछ दिन पहले ही भारत की पहली एआई टीचर की भी खूब चर्चा हुई थी। ऐसा पहली बार हुआ है जब केरल के एक स्कूल में बच्चों को पढ़ाने एक एआई रोबोट टीचर पहुंची। सबसे खास बात ये रही कि उस एआई टीचर ने मशीन की तरह नहीं बल्कि एक इंसान की तरह कॉटन की साड़ी पहनी थी। वह हूबहू एक टीचर की तरह ही लग रही थी।
आखिर ये एआई है क्या?
इंसान को धरती का सबसे बुद्धिमान जीव माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इंसानी दिमाग किसी भी टास्क को कर सकता है। वहीं जब एक मशीन किसी काम को इंसानों की तरह सोच-समझकर करने लगे तो उसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहा जाता है। साल 1950 में इसी परिभाषा के साथ किसी मशीन को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई माना जाता था। हालांकि समय के साथ विकसित होती टेक्नोलॉजी के साथ मशीन को लेकर इस परिभाषा में भी कई तरह के बदलाव हुए।
एआई पर निर्भर हो रही पूरी दुनिया
एआई की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का मतलब है बनावटी (कृत्रिम) तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता. एआई के जरिये ही कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार की जाती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इसके बारे में अध्ययन करता है कि मानव मस्तिष्क कैसे सोचता है और समस्या को हल करते समय कैसे सीखता है, कैसे निर्णय लेता है और कैसे काम करता।
7 देशों की सीमा पर सुरक्षा में मदद कर रहा है एआई
वर्तमान में दुनिया के 7 देश ऐसे हैं जो एआई के जरिए सीमा की सुरक्षा कर रहे हैं। इन देशों में अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, इजरायल, कनाडा, भारत और नाइजीरिया शामिल हैं। कई देश ऐसे हैं जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से अपने यहां होने वाले अवैध प्रवास इल्लीगल माइग्रेशन को रोक रहे हैं।
सुपर पावर देशों की तुलना में भारत कहां?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के आंकड़ों के अनुसार भारत अभी इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में लगभग दसवें पायदान पर है। हालांकि वर्तमान में भारत में लगभग 2000 एआई स्टार्ट-अप्स हैं। इस क्षेत्र में इतनी तेजी बदलाव हो रहा है कि कुछ ही साल में भारत सबसे बड़े सुपर पावर के रूप में उभर सकता है। इंटीग्रेशन विजर्ड सॉल्यूशन के सीईओ कुणाल किस्लय ने एक रिपोर्ट में बताया कि एआई की इस रेस में इन दिनों सबसे आगे अमेरिका और चीन है। चीन ने साल 2017 में ही एक तीन स्टेप का प्रोग्राम शुरू किया था। ताकि देश साल 2030 तक वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का वर्ल्ड लीडर बन सके। साल 2017 में ही चीन ने 2030 तक लगभग 150 बिलियन डॉलर की इंडस्ट्री स्थापित करने का लक्ष्य तय किया था। उन्होंने उसी वक्त तय तक लिया था कि आने वाले समय में एआई का इसका इस्तेमाल मिलिट्री और स्मार्ट सिटीज के लिए करेंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कई सारे पेटेंट चीन के पास हैं।
एआई के इस्तेमाल के मामले में भारत
भारत की बात की जाए नीति आयोग ने 2019 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए संस्थागत तरीके से काम करना शुरू किया है। इसी साल जून के महीने में मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन के समर्थन से नैसकॉम का नेशनल एआई पोर्टल लाइव हो गया। आंकड़ों की मानें तो ओरियोन मार्केट रिसर्च के अनुसार साल 2018 में भारत का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का खर्च 109.6% बढ़कर 665 मिलियन डॉलर हो गया था। वहीं साल 2019 से लेकर 2025 तक इस देश ने 39% कंपाउंड एनुअल ग्रोथ (CAGR) दर्ज करते हुए एआई पर 11,781 मिलियन डॉलर खर्च क्या है। प्राइवेट इंडस्ट्रीज़ की बात की जाए तो वर्तमान में गूगल ने भारत में डिजिटलाइजेशन के लिए 10 बिलियन डॉलर का फंड दिया है। जबकि फेसबुक ने 5.7 बिलियन डॉलर जियो कंपनी में इन्वेस्ट किया है।
भारत में वर्तमान में चालीस लाख से ज्यादा सॉफ्टवेयर डेवलपर्स हैं और 2024 तक भारत विश्व के अन्य देशों की तुलना में सबसे ज्यादा सॉफ्टवेयर डेवलपर्स वाला देश हो जाएंगे। एआई एडॉप्ट कर इस पर काम करने वाले डेवलपर्स की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है।
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एआई टेक्नोलॉजी के टॉप 10 देश
हाल ही में ग्लोबल इंडेक्स ने टॉप 10 देशों की लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में सबसे पहला नाम अमेरिका का है। अमेरिकी कंपनी में दुनिया के टॉप 60% एआई रिसचर्स अमेरिकी यूनिवर्सिटी और कंपनियों में काम करते हैं। इस लिस्ट में दूसरा नंबर चीन का है। तीसरे स्थान पर ब्रिटेन है। यह देश भी कई सालों से एआई रिसर्च में अपना योगदान दे रहा है। चौथ नंबर पर इजरायल है। 2023 तक इजरायल में 144 जेनरेटिव एआई से जुड़े स्टार्टअप सामने आए थे। इजरायल के बाद कनाडा, फ्रांस, भारत, जापान, जर्मनी और सिंगापुर का नाम भी शामिल है।
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