मां विंध्यवासिनी में भेंट किया 101 किलो का चांदी का द्वार

-झारखंड के भक्त ने मनोकामना पूरी होने पर किया समर्पित, द्वार की कीमत है करीब 80 लाख

-सवा पांच फीट लंबा व दो फीट चौड़ा है चांदी का यह द्वार

मिर्जापुर। मनोकामना पूरी होने पर झारखंड के एक भक्त ने उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में मां विंध्यवासिनी के चरणों पर 101 किलो का नक्काशीदार चांदी का दरवाजा चढ़ाया है। इस दरवाजे को राजस्थान के कारीगरों ने अपने हुनर से तराशा है। बाजार में इस दरवाजे की कीमत 80 लाख के करीब बताई जा रही है।

रांची निवासी संजय चौधरी ने विंध्यवासिनी मंदिर पर नंबर एक प्रवेश द्वार पर सवा क्विंटल का दरवाजा लगवाया। इसकी कीमत 80 लाख रुपये आंकी गई। यह दरवाजा सवा पांच फीट लंबा व दो फीट चौड़ा है। इसे राजस्थान से बनवाया गया है। इसको लगाने के लिए राजस्थान के झुंझुनू जिले से पांच कारीगर भी लाए गए हैं। जहां चांदी का दरवाजा लगाया गया, वहां पहले पीतल का गेट लगा था। विंध्यवासिनी मंदिर पर कसेरा समाज के लोगों ने चार जोड़ा पीतल का गेट लगवाया था। उस पर लिखा है कि जो चांदी या सोने का गेट लगवाएगा वही पीतल का गेट हटवाएगा। चौधरी ने बताया वे 30 साल से विंध्याचल आ रहे हैं। अपनी श्रद्धा से विंध्यवासिनी पर दरवाजा लगवा रहे हैं। तीर्थ पुरोहित विकास पांडेय ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना के साथ द्वार लगवाने का कार्य संपन्न कराया।

साल भर चढ़ता है करोड़ों का चढ़ावा

विंध्यधाम में साल भर भक्त अपनी मान्यता पूरी होने पर सोने, चांदी, हीरे-जवाहरात चढ़ाते हैं। हालांकि, इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं हो पाती है। जानकारी केवल दानपत्रों में डाले गए पैसों की ही होती है, जो विंध्य विकास परिषद के अधीन होता है। पंडा समाज के अध्यक्ष पंकज द्विवेदी ने इस बात कि पुष्टि भी की है। साथ ही बताया कि दरवाजा गर्भगृह में लगा भी दिया गया। दरवाजा चढ़ाने वाले भक्तों का नाम गोपनीय रखा गया है।

एक भक्त ने दान किया है सोने का मुकुट

अभी पिछले साल अगस्त महीने में बिहार के एक मंत्री ने मां विंध्यवासिनी को एक किग्रा सोने का मुकुट व चरण दान किया था। इसकी कीमत 50 लाख रुपये आंकी गई थी।

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