-बिलकिस और उसके परिवार के साथ 3 मार्च 2002 को की गई थी दरिंदगी
- एक बार फिर चर्चा में है 21 साल से भी ज्यादा पुराना
-सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो कांड के आरोपियों की रिहाई की है रद्द
इंट्रो
21 साल से भी ज्यादा पुराना बिलकिस बानो मामला एक बार फिर चर्चा में है। सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने इस मामले के 11 दोषियों की रिहाई का गुजरात सरकार का फैसला रद्द कर दिया। ये सभी दोषी गुजरात के गोधरा में साम्प्रदायिक हिंसा के दौरान बिलकिस बानो नाम की महिला से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात लोगों की हत्या के मामले में सजा काट रहे थे। इन्हें 15 अगस्त 2023 को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया था। उच्चतम न्यायालय कहा कि दोषियों को रिहा करने का गुजरात सरकार का फैसला शक्ति का दुरुपयोग था। आइए जानते हैं, कौन हैं बिलकिस बानो व उनके साथ क्या हुआ था?
नई दिल्ली। 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस में गोधरा स्टेशन के पास आगजनी से अयोध्या से लौट रहे 59 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। इसके बाद भड़के दंगों में परिवारों में एक बिलकिस बानो का भी परिवार था। गोधरा कांड के चार दिन बार तीन मार्च 2002 को बिलकिस के परिवार को बेहद क्रूरता का सामना करना पड़ा। उस वक्त 21 साल की बिलकिस के परिवार में बिलकिस और उनकी साढ़े तीन साल की बेटी के साथ 15 अन्य सदस्य भी थे। दंगाइयों ने बिलकिस के परिवार के सात लोगों को मौत के घाट उतारा दिया था।
ऐसे हुई घटना
दाहोद जिले के राधिकपुर गांव में बिलकिस बानो का परिवार रहता था। दंगा बढ़ते देख परिवार ने गांव छोड़कर भागने का फैसला लिया। उस वक्त बिलकिस पांच महीने की गर्भवती थीं। वह अपने साढ़े तीन साल की बेटी सालेहा और परिवार के 15 अन्य सदस्यों के साथ गांव से भाग गई थीं। 3 मार्च 2002 को परिवार चप्परवाड़ गांव में छुपा था, वहां सजा पाने वाले 11 दोषियों समेत करीब 20-30 लोगों ने हमला कर दिया था। उसी दौरान, पांच माह की गर्भवती बिलकिस के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उनकी साढ़े तीन साल की बेटी को चट्टान पर पटक कर मार डाला गया था। ‘बिलकिस की मां और चचेरी बहन के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उनकी हत्या कर दी गई। चार नाबालिग भाई-बहन, उनकी चचेरी बहन का दो दिन का बच्चा…चाची-चाची, अन्य चचेरे भाई-बहनों की हत्या कर दी गई।’ हालांकि 14 मौतें हुईं, केवल सात के शव ही बरामद किए जा सके, क्योंकि जिस स्थान पर घटना घटी वह सुरक्षित नहीं था। इस हमले में केवल बिलकिस, उनके परिवार के पुरुष सदस्य और एक तीन साल का बच्चा बच सका था। घटना के बाद बिलकिस कम से कम तीन घंटे तक बेहोश रहीं। होश में आने के बाद उन्होंने एक आदिवासी महिला से कपड़े उधार लिए और बाद में लिमखेड़ा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।
सीबीआई जांच के आदेश
गोधरा राहत शिविर में पहुंचने के बाद ही बिलकिस को जांच के लिए एक शासकीय अस्पताल ले जाया गया। कुछ दिनों बाद उनका मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और सुप्रीम कोर्ट तक गया। यहां से मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए गए। इसके बाद जनवरी 2008 में एक विशेष अदालत ने 11 आरोपियों को दुष्कर्म, हत्या, गैर कानूनी रूप से इकट्ठा होने समेत अन्य धाराओं में दोषी ठहराया गया। इस मामले में सजा काट रहे 11 दोषियों को 15 अगस्त 2023 को रिहा कर दिया गया था जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिली।
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