योग गुरुओं के 10 हजार पद 10 साल से खाली

21 विवि और 42 कॉलेज में कोर्स फिर भी ऐसा हाल

  • डिग्री और डिप्लोमा लेकर रोजगार के लिए भटक रहे युवा
  • हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में भी योग टीचर के पद रिक्त

बिलासपुर

प्रदेश के 21 विश्वविद्यालयों और 42 महाविद्यालय में याेग के कोर्स संचालित हैं। लगभग सभी जगह सीटें फुल हैं लेकिन इन्हें याेग सिखाने वाले नियमित प्रशिक्षकाें की कमी है। अधिकांश जगहाें पर संविदा या ठेके पर काल चलाया जा रहा है। इन कालेजाें में 10 हजार से अधिक सीट याेग गुरुओं के खाली है लेकिन सरकार भर्ती नहीं कर रही है। 15 से 20 हजार युवा योग की डिग्री और डिप्लोमा लेकर रोजगार के अवसर के लिए भटक रहे हैं। इन युवाओं ने पिछले दिनाें रायपुर में आंदाेलन करते हुए इसके लिए मांग भी की थी।

छत्तीसगढ़ में पटवारियों की हड़ताल के बाद अब योग गुरुओं ने भी अपनी मांग रख दी है। याेग प्रशिक्षकाें के अनुसार प्रदेश में 10 हजार से अधिक योग गुरुओं के पद खाली है। इनकी भर्ती, बिहार और मध्य प्रदेश सरकार की तर्ज पर राज्य के हाई, हायर सेकंडरी और सभी स्वामी आत्मानंद स्कूलों में हाेनी चाहिए। योग गुरुओं ने यह भी कहा है कि सरकार स्कूल में योग की किताबें बांटना छोड़कर रोजगार दे। मांग की जा रही है कि प्रदेश के सभी आत्मानंद स्कूलों में केंद्रीय केंद्रीय विद्यालय नवोदय विद्यालय की तर्ज पर योग शिक्षक की भर्ती की जाए। मध्य प्रदेश व बिहार सरकार के तर्ज पर राज्य के हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में योगी योग शिक्षकों की भर्ती की जाए।

10 सालों से लड़ रहे हैं लड़ाई

छत्तीसगढ़ योग शिक्षक संघ के अनुसार पिछले 10 वर्षों से योग गुरुओं की भर्ती के लिए मांग को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं। देखा जाए तो छत्तीसगढ़ में 20 साल से योग का पाठ्यक्रम संचालित है लेकिन नियमित भर्ती नहीं हाे रहा है। संघ के अनुसार योग की योग्यता हासिल करने के बावजूद भी पढ़ाई के लिए सरकार ही संस्थानों को मान्यता देती है। इन संस्थानाें से पढ़ाई करके निकलने वाले विद्यार्थियों के लिए योग के फील्ड का भविष्य अंधकार में दिखाई दे रहा है।

औपचारिक बनकर रह गई याेग शिक्षा

राज्य शैक्षणिक अनुसंधान परिषद के माध्यम से स्कूली विद्यार्थियों को योग एवं नैतिक शिक्षा की पुस्तक हर साल बांटी जाती है। किताब बांटने का मकसद यह होता है कि बच्चों के मन बुद्धि और व्यवहार का विकास हो सके। लेकिन नियमित योग शिक्षकों नहीं होने के कारण योग शिक्षा और स्कूलों में सिर्फ एक औपचारिकता बनकर रह गई है। दूसरी ओर अन्य राज्य जैसे कि मध्यप्रदेश राज्य में 26 हजार स्कूलों में योग को अनिवार्य कर दिया। बिहार सरकार ने भी योग शिक्षकों के पद सृजित किए हैं। अन्य राज्य जैसे पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड जैसे राज्यों में योग शिक्षक की भर्ती की घोषणा हो चुकी है।

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