55 साल से अधिक उम्र में नक्सल प्रभावित जिले में स्थानांतरण गलत

  • सहायक प्राध्यापक को राहत

बिलासपुर। शासकीय महाविद्यालय भिलाई तीन में पदस्थ सहायक प्राध्यापक को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने राहत दी है। मामले की सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने सहायक प्राध्यापक के स्थानांतरण आदेश पर रोक लगा दिया है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में शासन के स्थानांतरण नीति का हवाला देते हुए कहा है कि 55 वर्ष से अधिक उम्र के महिला अधिकारी व कर्मचारी का स्थानांतरण अनुसूचित जिले में नहीं किया जाएगा। याचिकाकर्ता की उम्र 60 वर्ष है।

नार्थ वसुन्धरा नगर, भिलाई-तीन जिला-दुर्ग निवासी मंजू दांडेकर ने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय व घनश्याम शर्मा के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि वह शासकीय महाविद्यालय, भिलाई-तीन में सहायक प्राध्यापक के पद पर पदस्थ है। पदस्थापना के दौरान सचिव उच्च शिक्षा विभाग रायपुर द्वारा एक आदेश जारी कर उनका स्थानांतरण शासकीय कन्या महाविद्यालय कांकेर कर दिया गया। याचिका में कहा गया कि छग शासन के सामान्य प्रशासन विभाग रायपुर द्वारा तीन जून 2015 को जारी आदेश के पैरा क्रमांक 15 में यह व्यवस्था दी गई है कि 55 वर्ष से अधिक उम्र के अधिकारी व कर्मचारियों का अनुसूचित जिले में स्थानांतरित नहीं किया जाएगा।


सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांत का उल्लेख

याचिकाकर्ता की उम्र 60 वर्ष है एवं वह महिला कर्मचारी है। लिहाजा अनुसूचित (नक्सल प्रभावित जिले ) जिले में किया गया स्थानांतरण शासन शासन के ही नियमों का उल्लंघन है। साथ ही तर्क प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता का पुत्र कलिंगा यूनिवर्सिटी रायपुर में बीए एलएलबी की पढाई कर रहा है। वह भिलाई-तीन से रायपुर रोजाना आना जाना करता है। पढ़ाई के मध्यकाल के दौरान सचिव उच्च शिक्षा विभाग रायपुर द्वारा याचिकाकर्ता का किया गया स्थानांतरण सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायदृष्टांत के भी खिलाफ है। मामले की सुनवाई जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राहत प्रदान करते हुए राज्य शासन के स्थानांतरण आदेश पर रोक लगा दिया है। साथ ही मामले में शासन को नोटिस जारी किया गया है।

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