- अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने किया दावा
- जवाहिरी के बदले पाक को अरबों डॉलर का लोन देने की हुई डील
काबुल। ओसामा बिन लादेन के बाद अब अमेरिका ने अपने एक और बड़े दुश्मन अल कायदा चीफ अल जवाहिरी का रविवार को अफगानिस्तान में ड्रोन अटैक से खात्मा किया। अमेरिका के इस मिशन की कामयाबी के बाद जो सवाल उठ रहे थे उनमें सबसे बड़ा ये था कि अफगानिस्तान से निकलने के बाद भी अमेरिका ने इतने बड़े ऑपरेशन को कैसे अंजाम दे दिया। अब इस मामले में अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह का एक बयान आया है, जिसके अनुसार अमेरिका ने इस ऑपरेशन में पाकिस्तान की मदद ली और इसके बदले उसने पाकिस्तान को मोटी रकम देने का वादा किया।
लोन के बदले अल जवाहिरी का पता
सालेह ने कहा, पाकिस्तान गंभीर आर्थिक तंगी से गुज़र रहा है ये पूरी दुनिया जानती है। अमेरिका भी जानता था कि पाकिस्तान को इस वक्त पैसे की बहुत जरूरत है। इसलिए उसने अल जवाहिरी के बदले पाकिस्तान को अरबों डॉलर का लोन देने की बात की और पाकिस्तान मान गया। सालेह के अनुसार, पाकिस्तान ने आईएमएफ कर्ज की कीमत के बदले अमेरिका को अल जवाहिरी सौंप दिया। –
-अमेरिका ने पूरी दुनिया को किया अलर्ट, हो सकते हैं आतंकी हमले
वाशिंगटन। अल-कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी की मौत के बाद अमेरिकी विदेश विभाग ने दुनिया भर में अलर्ट जारी किया है। अमेरिका ने चेतावनी दी है और कहा कि “अल-जवाहिरी की मृत्यु के बाद, अल-कायदा के समर्थक, या उससे संबद्ध आतंकवादी संगठन, अमेरिकी सुविधाओं, कर्मियों या नागरिकों पर हमला करने की कोशिश कर सकते हैं। चूंकि आतंकवादी हमले अक्सर बिना किसी चेतावनी के होते हैं, इसीलिए अमेरिकी नागरिकों को अलर्ट रहना चाहिए। साथ ही लोग सतर्कता का स्तर और विदेश यात्रा करते समय अच्छी स्थितिजन्य जागरुकता का अभ्यास करें।”
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कठिन हुई तालिबान सरकार की मान्यता की राह
अफगानिस्तान के काबुल में एक मकान पर अमेरिकी ड्रोन हमले में अल कायदा के सरगना अयमान अल जवाहिरी के मारे जाने के बाद अफगानिस्तान के तालिबानी शासकों पर अंतरराष्ट्रीय निगरानी तेज हो गई है । साथ ही इस घटना से अंतरराष्ट्रीय मान्यता और मदद मिलने के तालिबानी सरकार के प्रयासों पर भी असर पड़ेगा। तालिबान ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की पूर्ण वापसी के संबंध में 2020 में हुए दोहा समझौते में यह वादा किया था कि वह अलकायदा के आतंकवादियों को पनाह नहीं देगा। अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान से जाने के करीब एक वर्ष बाद अल जवाहिरी के मारे जाने ने 9/11 के एक मास्टरमाइंड और अमेरिका के वांछित आतंकवादी को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराने में तालिबानी नेताओं की संलिप्तता के संबंध में सवाल पैदा किए हैं। काबुल के शिरपुर इलाके में स्थित जिस मकान में अल जवाहिरी मारा गया है, उसके करीब ही तालिबान के कई नेता रहते हैं। तालिबान ने शुरूआत में इस हमले को अमेरिका की ओर से दोहा समझौते का उल्लंघन करने वाला दिखाने की कोशिश की। समझौते में यह भी कहा गया है कि अमेरिका पर हमले की मंशा रखने वाले को तालिबान शरण नहीं देगा, जो अल जवाहिरी इंटरनेट वीडियो आदि से जाहिर करता था। इस बीच, कयास लग रहे हैं कि तालिबान के भीतर भी रस्साकशी चल रही है। खासतौर पर हक्कानी नेटवर्क जिसने संभवत: अल जवाहिरी को शरण दी और अन्य तालिबान गुटों के बीच।

