कोर्ट ने कहा- मनीलॉन्ड्रिंग के तहत गिरफ्तारी का अधिकार मनमानी नहीं
–241 याचिकाओं पर सुप्रीम फैसला : कोर्ट ने ईडी के अधिकारों का किया समर्थन
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–शीर्ष न्यायालय की टिप्पणी के बाद सियासी उबाल
- कांग्रेस बोली- फैसले का लोकतंत्र पर होगा दूरगामी असर
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देशभर में ईडी की कार्रवाई को लेकर सियासी तूफान मचा है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने मनीलॉन्ड्रिंग के तहत ईडी को मिले अधिकारों का समर्थन किया। कोर्ट ने कहा कि धारा-19 के तहत गिरफ्तारी का अधिकार मनमानी नहीं है। धारा-5 के तहत धनशोधन में संलिप्त लोगों की संपति कुर्क करना संवैधानिक रूप से वैध है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि हर मामले में ईसीआईआर (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) अनिवार्य नहीं है।
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि ईडी गिरफ्तारी के समय उसके आधार का खुलासा करता है तो यह पर्याप्त है। न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी. टी. रवि कुमार की पीठ ने पीएमएलए के कुछ प्रावधानों की वैधता को बरकरार रखते हुए कहा कि धारा-5 के तहत धनशोधन में संलिप्त लोगों की संपति कुर्क करना संवैधानिक रूप से वैध है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हर मामले में ईसीआईआर (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) अनिवार्य नहीं है। ईडी की ईसीआईआर पुलिस की प्राथमिकी के बराबर होती है। पीठ ने कहा कि यदि ईडी गिरफ्तारी के समय उसके आधार का खुलासा करता है तो यह पर्याप्त है। कोर्ट ने पीएमएलए अधिनियम 2002 की धारा 19 की संवैधानिक वैधता को दी गई चुनौती को खारिज करते हुए कहा, 2002 अधिनियम की धारा 19 की संवैधानिक वैधता को दी गई चुनौती भी खारिज की जाती है। धारा 19 में कड़े सुरक्षा उपाय दिए गए हैं। प्रावधान में कुछ भी मनमानी के दायरे में नहीं आता। पीठ ने कहा कि विशेष अदालत के समक्ष जब गिरफ्तार व्यक्ति को पेश किया जाता है, तो वह ईडी द्वारा प्रस्तुत प्रासंगिक रिकॉर्ड देख सकती है तथा वह ही धनशोधन के कथित अपराध के संबंध में व्यक्ति को लगातार हिरासत में रखे जाने पर फैसला करेगी। पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘ धारा-5 संवैधानिक रूप से वैध है। यह व्यक्ति के हितों को सुरक्षित करने के लिए एक संतुलन व्यवस्था प्रदान करती है और यह भी सुनिश्चित करती है कि अपराध से अधिनियम के तहत प्रदान किए गए तरीकों से निपटा जाए।” शीर्ष अदालत ने पीएमएलए के कुछ प्रावधानों की व्याख्या से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया। सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत ने अधिनियम की धारा-45 के साथ-साथ दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा-436ए और आरोपियों के अधिकारों को संतुलित करने पर भी जोर दिया। पीएमएलए की धारा-45 संज्ञेय तथा गैर-जमानती अपराधों से संबंधित है, जबकि सीआरपीसी की धारा-436ए किसी विचाराधीन कैदी को हिरासत में रखे जाने की अधिकतम अवधि से संबंधित है। शीर्ष अदालत ने गिरफ्तारी से संबंधित पीएमएलए की धारा-19 पर भी दलीलें सुनीं और साथ ही धनशोधन अपराध की परिभाषा से जुड़ी धारा-3 पर भी सुनवाई की।केंद्र ने पहले शीर्ष अदालत को बताया था कि पिछले 17 वर्षों में पीएमएलए के तहत 4,850 मामलों की जांच की गई और जांच के दौरान 98,368 करोड़ रुपये कानून के प्रावधानों के तहत जब्त किए गए। सरकार ने अदालत से कहा कि इन अपराधों की जांच पीएमएलए के तहत की गई, जिसमें 2,883 छापेमारी भी शामिल हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि संबंधित प्राधिकरण जब्त किए गए 98,368 करोड़ रुपये में से 55,899 करोड़ रुपए के आपराधिक आय होने की पुष्टि कर चुका है।
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एक्शन में ईडी—
17 साल में मनीलॉन्ड्रिंग
4,850 मामलों की जांच
2,883 छापेमारी की गई
98,368 करोड़ रुपए जब्त
55899 करोड़ का आपराधिक आय
कांग्रेस महासचिव ने ईडी के अधिकार पर उठाए सवाल
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रवर्तन निदेशालय की शक्तियों को लेकर दिए गए फैसले का हमारे लोकतंत्र पर दूरगामी प्रभाव होगा। खासकर उस समय जब सरकारें राजनीतिक प्रतिशोध ले रही हैं। उन्होंने कहा, बहरहाल, इस फैसले के एक विशेष पहलू पर मैं तत्काल बात करना चाहूंगा। मैंने मोदी सरकार द्वारा धन विधेयक के सरेआम दुरुपयोग किए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। कोर्ट ने मेरी याचिका पर दो जुलाई, 2019 को नोटिस जारी किया था। आज के फैसले से यह सवाल अनसुझला ही रह गया। रमेश का कहना था कि उच्चतम न्यायालय ने कुछ मामलों को व्यापक पीठ द्वारा सुनवाई के लिए छोड़ दिया है और यह कुछ संतोष का विषय है।
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गहलाेत बोले-ईडी का बढ़ेगा राजनीतिक इस्तेमाल
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि इस फैसले के बाद केंद्र सरकार द्वारा ईडी का राजनीतिक इस्तेमाल बढ़ सकता है। गहलोत ने ट्वीट किया, देश में पिछले कुछ वर्षों से जो तानाशाही का माहौल बना हुआ है, इस फैसले के बाद केन्द्र सरकार द्वारा ईडी का राजनीतिक इस्तेमाल और अधिक करने की आशंका बढ़ जाएगी। इससे पहले, गहलोत ने आज सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि जांच एजेंसियों के माध्यम से आतंक पैदा कर दिया गया जिससे पूरा देश दुखी है।
सुप्रीम कोर्ट की ऐसी टिप्पणी
00 ईडी का गिरफ्तारी करने, सीज करने, संपत्ति अटैच करने, रेड डालना और बयान लेने के अधिकार बरकरार रखे गए हैं।
00 शिकायत ईसीआईआर को एफआई के बराबर नहीं माना जा सकता है। ये ईडी का इंटरनल डॉक्यूमेंट है।
00 ईसीआईआर रिपोर्ट आरोपी को देना जरूरी नहीं है। गिरफ्तारी के दौरान केवल कारण बता देना ही काफी है।
00 मनीलॉन्ड्रिंग में संशोधन पर 7 जजों की बेंच मनी बिल के मामले के तहत विचार करेगी।
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