— आईटी छापे में बड़ा खुलासा, कमाई बढ़ाने के लिए खास चलन
नई दिल्ली। कोरोना काल में कई दवा कंपनियां अमीर हो गईं। इनमें एक नाम माइक्रो लैब्स का भी है। माइक्रो लैब्स की दवा का नाम डोलो-650 है। यह वही दवा है, जो कोरोना काल में ‘रामबाण’ और शर्तिया इलाज का माध्यम बनकर उभरा था। जिस डॉक्टर को देखो या जिस केमिस्ट की दुकान पर जाओ, बुखार का लक्षण बताते ही डोलो-650 टेबलेट ही पकड़ाता था। आयकर विभाग की ओर से खुलासे के मुताबिक डॉक्टरों को 1,000 करोड़ रुपए के फ्रीबीज बांट दिए गए। यहां फ्रीबीज का अर्थ गिफ्ट या उपहार समझ सकते हैं।
आयकर विभाग ने कहा है कि डोलो बनाने वाली कंपनी ने अपना धंधा बढ़ाने के लिए अनइथिकल प्रैक्टिस का रास्ता अख्तियार किया। मेडिकल पेशे से जुड़े लोगों को हजार करोड़ रुपए के गिफ्ट बांट दिए। जब डॉक्टरों को इतने रुपए के उपहार, महंगे गिफ्ट मिलेंगे तो वे जाहिर सी बात है कि डोलो-650 ही लिखेंगे। प्राइम लैब्स के साथ भी यही हुआ। ध्यान रहे कि डोलो-650 कोई महंगी दवा नहीं, न तो कोई महंगी एंटिबायोटिक है बल्कि साधारण बुखार की दवा है, लेकिन एक बुखार की दवा इतना कमाल कर गई कि करोड़ों में उसकी कमाई हो गई।
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कंपनी का पर्दाफाश
मामला यही तक नहीं है। डोलो-650 बनाने वाली कंपनी माइक्रो लैब्स की सक्सेस स्टोरी अखबारों और ऑनलाइन मीडिया में छपने लगी। मामला धीरे-धीरे आयकर विभाग की नजरों में आया और आज 1,000 करोड़ के नए एंगल का पता चला है। बेंगलुरु से चलने वाली इस कंपनी के दफ्तर पर छापेमारी हुई है जिससे कई बातें सामने आई हैं। छापेमारी 6 जुलाई को हुई थी, तब से यह कंपनी और डोलो टैब्लेट सुर्खियों में हैं। छापेमारी भी साधारण नहीं थी बल्कि देश के 9 राज्यों में फैले 36 ठिकानों पर एकसाथ रेड पड़ी। इससे चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। माइक्रो लैब्स का काम कोई छोटा नहीं है। यह कंपनी दवा बनाने के साथ ही दवाई की मार्केटिंग और एक्टिव फार्मास्युटिकल्स इनग्रेडिएंट का बिजनेस करती है। इसका कारोबार दुनिया के 50 देशों में पसरा हुआ है।
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छापे में गिफ्ट का खुलासा
आयकर विभाग का कहना है कि शुरुआती सबूतों से पता चला है कि कंपनी ने ‘सेल्स एंड प्रमोशन’ मद के तहत मेडिकल प्रोफेशनल को गिफ्ट देने पर पैसा खर्च किया है। इन फ्रीबीज में ट्रैवल का खर्च, गिफ्ट आदि शामिल हैं। प्रमोशन और प्रोपगेंडा, सेमिनार और सिम्पोजियम, मेडिकल एडवाइजरी के मद में डॉक्टरों को गिफ्ट दिए ताकि कंपनी के प्रोडक्ट को प्रमोट किया जा सके। आयकर विभाग की जांच में पता चला है कि माइक्रो लैब्स ने ‘अनैतिक व्यवहार’ का सहारा लिया और अपना बिजनेस बढ़ाया।
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ऐसे चुरा लिया टैक्स
जांच में पता चला है कि कंपनी ने अपने कारोबार से जुड़ी जानकारियां दबाईं और टैक्स चोरी का सहारा लिया। रिसर्च और डेवलपमेंट पर कम खर्च किए गए और सेक्शन 35(2एबी) के तहत डिडक्शन लेने के लिए बढ़ा-चढ़ा कर क्लेम किए गए। इस तरह से कंपनी ने तकरीबन 300 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी को अंजाम दिया। इनकम टैक्स की धारा 194सी के तहत टीडीएस के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया। थर्ड पार्टी दवा बनाने वाली कंपनियों के ट्रांजैक्शन में भी गड़बड़ी पाई गई है। सीबीडीटी का कहना है कि तलाशी कार्रवाई के दौरान 1.20 करोड़ रुपए की बेहिसाब नकदी और 1.40 करोड़ रुपए से अधिक के बेहिसाब सोने और हीरे के आभूषण भी जब्त किए गए हैं, आगे की जांच जारी है।

