छत्तीसगढ़, पूर्वोत्तर सहित कई जगहों पर भारी बारिश की चेतावनी

-देश में सक्रिय हो गया दक्षिण पश्चिम मानसून

-पूर्वोत्तर भारत, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में बहुत भारी बारिश की संभावना

नई दिल्ली। देश में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून तेजी से सक्रिय हो रहा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक मानसून गुजरात के कुछ हिस्सों, मध्य प्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों और पश्चिम बंगाल के गंगीय इलाकों के साथ ही झारखंड और बिहार में भी आगे बढ़ रहा है। अगले 2-3 दिनों के दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के कुछ हिस्सों, पश्चिम बंगाल के गंगीय हिस्सों, झारखंड और बिहार के कुछ हिस्सों में मानसून के आगे बढ़ने के लिए स्थितियां अनुकूल हैं। आईएमडी के अनुसार पश्चिम मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के विदर्भ में कुछ स्थानों पर भारी वर्षा की संभावना है।

मुंबई में यलो अलर्ट

उधर, मुंबई स्थित क्षेत्रीय मौसम विभाग ने आज भारी वर्षा की चेतावनी दी है। विभाग ने मुंबई, पालघर, ठाणे, रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग के लिए आज यलो अलर्ट जारी किया है। यानी इन इलाकों में भारी वर्षा हो सकती है।

दिल्ली में पारा लुढ़का

राजधानी में पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता की वजह से लोगों को गर्मी से मिली राहत जारी है। तेज बारिश नहीं हो रही है, लेकिन बादलों के छाए रहने की वजह से तापमान लुढ़कने से नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। इस कड़ी में बीते 24 घंटे में अधिकतम तापमान 30.7 डिग्री सेल्सियस रहा, जो कि बीते नौ सालों में सबसे कम दर्ज किया गया है। इससे पहले 2013 में अधिकतम पारा 32 डिग्री सेल्सियस पहुंचा था। दिल्ली में अभी मानसून पहुंचने को लेकर कोई निश्चित तिथि नहीं है, हालांकि 27 या 28 जून तक मानसून पहुंच सकता है।

पश्चिम विक्षोभ व चक्रवाती हवाओं का असर

निजी मौसम एजेंसी स्काईमेट के अनुसार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र पर पश्चिमी विक्षोभ बना हुआ है। वहीं, उत्तरी राजस्थान, पंजाब और हरियाणा पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। एक पूर्व-पश्चिम ट्रफ रेखा राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तर पश्चिम बंगाल और असम तक फैली हुई है। एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र तमिलनाडु तट से दूर दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी के ऊपर भी बना हुआ है। एक ट्रफ रेखा उत्तर-दक्षिण ट्रफ रेखा कोंकण, गोवा और तटीय कर्नाटक से दूर अरब सागर में फैली हुई है। इन सब का देश के मौसम पर असर पड़ रहा है। इनके प्रभाव से मानसून के आगे बढ़ने का माहौल अनुकूल है।


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