मौसी के मुकाबले बच्चे पर दादा-दादी का हक ज्यादा

नई दिल्ली। कोविड के दौरान बच्चे के पैरेंट्स की मौत के बाद बच्चे की कस्टडी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है और बच्चे की कस्टडी उसके दादा दादी को देने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बच्चे के दादा दादी का उसके मैटरनल आंट ( मातृ पक्ष की संबंधी यानी मौसी) के मुकाबले कस्डी पाने का अधिकार ज्यादा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दादा-दादी बच्चे से ज्यादा बेहतर तरीके से भावनात्मक तरीके से जुड़े हुए हैं और कस्टडी का अधिकार उनका ज्यादा है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह की अगुवाई वाली बंच ने मौसी को बच्चे की दी गई कस्टडी को खारिज कर दिया और कहा कि दादा दादी की कस्टडी को मना करने के लिए इनकम का श्रोत एक मात्र आधार नहीं हो सकता है क्योंकि बच्चे से ज्यादा अटैच उनके दादा दादी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा कि हमारे समाज में अपने पोते का हमेशा ज्यादा बेहतर देखभाल उसके दादा दादी करते हैं। अपने पोते पोतियों से वह ज्यादा बेहतर तरीके से भावनात्मक तरीके से जुड़े होते हैं। मौसी बच्चे से अटैच हो सकती है लेकिन पैतृक तो पैतृक होता है।


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