किसान यूनियन में दो फाड़… राकेश टिकैत बीकेयू से बाहर, भाई नरेश से भी छिना पद

भाकियू (अराजनीतिक) के नाम से बना नया संगठन

लखनऊ। भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि पर रविवार को संगठन में दो फाड़ हो गए। संगठन के एक वरिष्ठ राष्ट्रीय पदाधिकारी राजेश चौहान ने भारतीय किसान यूनियन (अराजनीतिक) के नाम से अलग गुट बनाने का ऐलान कर दिया। भाकियू के एक वरिष्ठ पदाधिकारी हरिनाम सिंह ने बताया संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजेश चौहान ने महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि के अवसर पर रविवार को लखनऊ में भारतीय किसान यूनियन (अराजनीतिक) के गठन की घोषणा की है। चौहान ने इस अवसर पर कहा मैंने समय-समय पर अपने दृष्टिकोण को सामने रखने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने (भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत और प्रवक्ता राकेश टिकैत) न तो कार्यकर्ताओं की बात सुनी और ना ही किसानों की समस्याओं पर ध्यान दिया। वह गलत संगत में पड़ गए और हमारा अपमान किया। उन्होंने कहा मैंने दिल से नरेश टिकैत और राकेश टिकैत का समर्थन किया लेकिन जब चुनाव (उत्तर प्रदेश के हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव) आए तो वह दोनों महेंद्र सिंह टिकैत के आदर्शों से भटक गए। वे राजनीतिक पचड़े में फंस गए और संगठन को राजनीतिक दलों के हाथों की कठपुतली बना दिया। चौहान ने किसी भी राजनीतिक दल का नाम लिए बगैर कहा \”राकेश टिकैत राजनीतिक दलों के प्रभाव में थे। उन्होंने चुनाव में एक पार्टी के लिए प्रचार किया जबकि दूसरी पार्टी का विरोध किया। बाद में संवाददाताओं से बातचीत में चौहान ने कहा कि अलग संगठन बनाने का फैसला उनका निजी नहीं है बल्कि उनके कार्यकर्ताओं और किसानों का है।

भारतीय किसान यूनियन से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे राकेश टिकैत को भारतीय किसान यूनियन से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। वहीं, उनके भाई नरेश टिकैत से भी अध्यक्ष का पद छीन लिया गया है। बैठक में राकेश टिकैत को पार्टी से बाहर निकालने के साथ नरेश टिकैत को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। दोनों सगे भाई और चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे हैं।

नए अध्यक्ष बोले- मेरा काम राजनीति करना नहीं

भाकियू (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद राजेश सिंह चौहान ने लखनऊ में ही प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा कि कार्यकारणी ने निर्णय लिया कि मूल भारतीय किसान यूनियन थी। अब भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि मेरा 33 साल संगठन का इतिहास है। 13 महीने के आंदोलन के बाद जब हम घर आए तो हमारे नेता राकेश राजनीतिक तौर पर प्रेरित दिखाई दिए। हमने देखा कि हमारे नेताओं ने कुछ राजनीतिक दल के प्रभाव में आकर एक दल के लिए प्रचार करने का आदेश तक दिया। मेरा काम राजनीति करना या किसी पार्टी के लिए काम करना नहीं है। मेरा काम किसान की लड़ाई लड़ना रहेगा। मैं कोई कंट्रोवर्सी नहीं क्रिएट नहीं करना चाहता हूं। यह नया संगठन हैं।

राकेश मान-मनौव्वल करने में रहे विफल

बताया जा रहा है कि राकेश शुक्रवार से ही लखनऊ में रहकर डैमेज कंट्रोल में जुटे थे। हालांकि, वे सफल नहीं हुए। बताया जा रहा है कि राकेश टिकैत को उनके राजनीतिक दृषिकोण की वजह से पार्टी से निकाला गया है। किसान नेता इस बात से नाराज हैं कि यह संगठन अब किसानों के मुद्दों को छोड़कर राजनीति की तरफ जा रहे हैं।

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