बड़ा बेटा हिंदू, तो छोटा ईसाई धर्म के अनुरूप करना चाहता हैं मां का अंतिम संस्कार

दो बेटों के होते हुए भी मां का नहीं हो सका अंतिम संस्कार

परपा थाना क्षेत्र के एर्राकोट में शुक्रवार रात हुई थी वृद्ध महिला की मौत

तीसरे दिन भी फोर्स डटी रही, मौके पर पुलिस व प्रशासनिक टीम

फोटो शव विवाद

जगदलपुर

परपा थाना क्षेत्र के एर्राकोट में महिला की मौत के तीन दिन बाद भी अंतिम संस्कार नहीं किया जा सका है। दो बेटों के होते हुए भी अंतिम संस्कार के लिए सहमति नहीं बन सकी है। वहीं विवाद की स्थिति को देखते हुए तीसरे दिन भी भारी संख्या में फोर्स की तैनाती की गई है। वहीं पुलिस व प्रशासन की टीम भी मौके पर डटी हुई है।

जानकारी के मुताबिक एर्राकोट निवासी पाण्डो कश्यप पति सुकड़ो कश्यप (70) की शुक्रवार रात बीमारी के चलते मौत हो गई थी। इनके दो पुत्र है मृतिका ईसाई धर्म को मानने वाले अपने छोटे बेटे रामलाल कश्यप के साथ रहती थी, जबकि हिंदू धर्म को मानने वाला बड़ा बेटा दुलगो कश्यप खेतीबाड़ी के चलते कोण्डागांव के करीब गांव में अपने परिवार के साथ रहता है। छोटा बेटा रामलाल मां का अंतिम संस्कार ईसाई धर्म के अनुरूप करना चाहता है, लेकिन ग्राम प्रमुखों ने गांव में ईसाई कब्रिस्तान के नहीं होने व ग्रामसभा का हवाला देते हुए गांव में शव को दफनाने देने से इंकार कर दिया, जबकि बड़ा बेटा मूलधर्म के अनुरूप अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार है। छोटा बेटा अपनी मां का अंतिम संस्कार गांव में ही ईसाई धर्म के अनुरूप करना चाहता है। विवाद के चलते तीसरे दिन भी मृतिका का अंतिम संस्कार नहीं हो सका। बताया जा रहा है कि छोटा बेटा गांव में ही अंतिम संस्कार करने के लिए न्यायालय की शरण में गया हुआ है, अब उसके आने के बाद ही अंतिम संस्कार हो सकेगा। इधर विवाद की खबर के बाद गांव में तीसरे दिन भी पुलिस व प्रशासन की टीम डटी हुई है। गांव में विवाद की स्थिति को देखते हुए कई थानों की पुलिस के अलावा एसडीएम, एसडीओपी व तहसीलदार भी मौके पर मौजूद है। दोनों पक्षों को समझाइश के बाद भी सहमति नहीं बनने व शव के खराब होने की आशंका को देखते महिला का शव रविवार को डिमरापाल मेडिकल कॉलेज के मरच्यूरी में भिजवाया गया।

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बेटे के आने के बाद हो सकेगा अंतिम संस्कार

छोटे बेटे ने उसके आने तक अंतिम संस्कार नहीं करने की बात परिवार के अलावा पुलिस व प्रशासन से कही है। इसे देखते हुए प्रशासन की पहल पर शव को मेडिकल कॉलेज में रखवाया गया है। अब संभवत: चौथे दिन रामलाल के लौटने के बाद ही अंतिम संस्कार हो सकेगा। बहरहाल विवाद की स्थिति को देखते हुए भारी संख्या में जवानों की तैनाती कर दी गई है।

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समझाइश के बाद भी नहीं बनी सहमति

दोनों पक्षों को मृतका का अंतिम संस्कार के लिए सहमति का प्रयास किया जा रहा है। बावजूद तीसरे दिन भी अंतिम संस्कार नहीं किया जा सका है और शव को मेकाज भेजना पड़ा। विवाद को देखते हुए फोर्स की तैनाती व क्षेत्र में पेट्रोलिंग की जा रही है।

–महेश्वर नाग, एएसपी, बस्तर

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