गर्भपात के लिए अब महिलाओं को नहीं काटने होंगे कोर्ट के चक्कर

हर जिले में मेडिकल बोर्ड का गठन होगा, जो केस स्टडी के आधार पर देगा मंजूरी


स्लग – राज्य शासन का बड़ा फैसला, अधिसूचना जारी, स्त्री एवं प्रसूति रोग, शिशु रोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट या सोनोलॉजिस्ट, केस में जरूरी होने पर अन्य सदस्य होंगे बोर्ड मेंबर

भिलाई गर्भपात को लेकर 2021 में हुए संशोधन के बाद अब एक और बड़ा निर्णय लिया गया है। गर्भपात के केस में प्रदेश के सभी 33 जिलों में मेंडिकल बोर्ड का गठन किया जाएगा। ये मेडिकल बोर्ड 24 हफ्ते से ज्यादा पुराने केसों की स्टडी करने के बाद उनमें गर्भपात की अनुमति प्रदान करेगा। इससे जरूरी केसों में महिलाओं को अब कोर्ट के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। वर्तमान में गर्भ का चिकित्सकीय समापन संशोधन विधेयक 2021 लागू है। इसमें 24 हफ्ते तक के गर्भपात के लिए सामान्य मंजूरी की जरुरत होती है। इससे अधिक का गर्भ होने की स्थिति में महिलाओं को कोर्ट की शरण लेनी पड़ रही थी। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने मेडिकल बोर्ड के गठन को मंजूरी प्रदान की। इसमें भी दिक्कत यह सामने आई कि महिलाएं दूरस्थ अंचलों में रहती हैं, हर बार उनका मेडिकल बोर्ड में उपस्थित हो पाना संभव नहीं हो पाता। इसे देखते हुए जिला स्तर पर मेडिकल बोर्ड गठन का निर्णय लिया गया। इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है।

मेडिकल बोर्ड में ये होंगे सदस्य

छत्तीसगढ़ के सभी 33 जिलों में मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाएगा। नियम और शर्तें शासन द्वारा निर्धारित की गई हैं। इसमें स्पष्ट किया गया है कि मेडिकल बोर्ड की शक्तियां गर्भ का चिकित्सकीय समापन (संशोधन) नियम 2021 नियम के 3 क के अंतर्गत निहित हैं। आदेश में यह कहा गया है कि बोर्ड मेंबर्स में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, शिशु रोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट या सोनोलॉजिस्ट, केस में जरूरी होने पर अन्य सदस्य होंगे। स्थानीय कलेक्टर मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी और शासन की अनुशंसा पर इस बोर्ड के नाम तय करेंगे। इसके दायरे में अनाचार की शिकार और अन्य कमजोर महिलाएं जैसे दिव्यांग, नाबालिग आदि को शामिल किया गया है।

संशोधन विधेयक मार्च 2020 में लोकसभा में पारित

जानकारी के मुताबिक संशोधन विधेयक मार्च 2020 में लोकसभा से पारित हुआ था। इससे पहले गर्भ का चिकित्सुकीय समापन अधिनियमए 1971 लागू था। इसके मुताबिक गर्भनिरोधक विधि या उपकरण की विफलता के मामले में एक विवाहित महिला द्वारा 20 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त किया जा सकता है। यह विधेयक अविवाहित महिलाओं को भी गर्भनिरोधक विधि या डिवाइस की विफलता के कारण गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देता है। गर्भ की समाप्ति के लिए एक पंजीकृत चिकित्सक की राय की आवश्यकता होगी। नए संशोधन में गर्भधारण के 20 से 24 सप्ताह तक के गर्भ की समाप्ति के लिए दो पंजीकृत चिकित्सकों की राय आवश्यक होगी। इसके बाद यानी 24 सप्ताह के बाद गर्भ की समाप्ति के लिए मेडिकल बोर्ड की राय आवश्यक होगी।

गर्भपात के लिए और भी नियम

गर्भपात को लेकर और भी नियम तय हैं। इसमें 9 हफ्ते तक गर्भपात चिकित्सकीय परामर्श पर गर्भ निरोधक दवाओं के जरिए, 12 हफ्ते तक सर्जिकल एमटीपी और 20 हफ्ते तक चिकित्सकीय सलाह के आधार पर किए जा सकते हैं। बता दें कि लिंग जांच कानूनन जुर्म है। इसमें 3 साल तक की जेल और 10 हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। दोबारा अपराध करने पर 5 साल तक की जेल और 50 हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। कोई भी डॉक्टर या तकनीकी सहायक ऐसी जांच करता है, उसे 3 साल तक की जेल और 10 हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।

छत्तीसगढ़ और देश में प्रसव के दौरान मौतें (प्रति एक लाख में)

वर्ष – छग- देश

2001-03-379-301

2004-06-335-254

2007-09-269-212

2010-12-230-178

2011-13-221-167

2014-16-173-130

2015-17-141-122

2016-18-159-113

नोट- हेल्थ विभाग ने 2023 में यह रिपोर्ट जारी की।

(वर्जन)

राज्य शासन ने अधिसूचना जारी की, जल्द सदस्य तय होंगे

छत्तीसगढ़ शासन ने अधिसूचना जारी कर दी है। प्रदेश के सभी जिलों में मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाना है। 24 हफ्ते से ज्यादा के गर्भपात के केसों की स्टडी के आधार पर बोर्ड निर्णय लेगा। फिलहाल ऐसे मामलों में महिलाओं को कोर्ट के चक्कर काटने पड़ रहे थे। उन्हें इससे राहत मिलेगी।

डॉ. अर्चना चौहान, नोडल अधिकारी, आरसीएच हेल्थ विभाग दुर्ग

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