कुमारी सैलजा और अशोक तंवर के बीच है जबरदस्त मुकाबला

  • सिरसा सीट से 15 साल में कोई दोबारा नहीं जा पाया संसद

-आजादी के बाद से केवल एक बार जीती है बीजेपी यह सीट

नई दिल्ली। हरियाणा में भले ही बीजेपी ने 2019 में सभी 10 लोकसभा सीटें जीती हों, 2014 और 2019 में राज्य में सरकार बनाई हो लेकिन राज्य की एक लोकसभा सीट ऐसी है, जहां पर वह सिर्फ एक बार चुनाव जीत सकी है। यह सीट है सिरसा, जहां बीजेपी को (2019 में) ही जीत मिली थी। यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है और यहां से कांग्रेस नौ बार जीत चुकी है। 1991 से 2014 तक तो कांग्रेस लगातार यहां से चुनाव जीती लेकिन 2014 में इनेलो के उम्मीदवार चरणजीत सिंह रोड़ी जबकि 2019 में बीजेपी की उम्मीदवार सुनीता दुग्गल को सिरसा से जीत मिली थी। सिरसा सीट पर चुनावी मुकाबला इसलिए भी रोचक है क्योंकि यहां कांग्रेस के दो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष आमने-सामने हैं। कुमारी सैलजा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं तो अशोक तंवर बीजेपी का टिकट लेकर चुनाव मैदान में हैं।

कौन-कौन पहुंचा संसद

सिरसा से पिछले 17 लोकसभा चुनावों में दस नेता सांसद बने हैं। इस बार कांग्रेस से लड़ रहींं कुमारी सैलजा दो बार सांसद रह चुकी हैं, जबकि भाजपा उम्मीदवार अशोक तंवर कांग्रेस में रहते हुए एक बार सांसद बने हैं। 2004 से यहां कोई नेता लगातार दूसरी बार संसद नहीं जा पाया है। 2024 में भी ऐसा नहीं होगा, क्योंकि मौजूदा सांसद का टिकट कट गया है।

साल कौन बना सांसद किस दल को मिली जीत

1962 दलजीत सिंह कांग्रेस

1967 चौधरी दलबीर सिंह कांग्रेस

1971 चौधरी दलबीर सिंह कांग्रेस

1977 चौधरी चांद राम जनता पार्टी

1980 चौधरी दलबीर सिंह कांग्रेस (आई)

1984 चौधरी दलबीर सिंह कांग्रेस

1988 (उपचुनाव) हेत राम लोक दल

1989 हेत राम जनता दल

1991 कुमारी सैलजा कांग्रेस

1996 कुमारी सैलजा कांग्रेस

1998 सुशील कुमार इंदौरा इनेलो

1999 सुशील कुमार इंदौरा इनेलो

2004 आत्मा सिंह गिल कांग्रेस

2009 अशोक तंवर कांग्रेस

2014 चरणजीत सिंह रोड़ी इनेलो

2019 सुनीता दुग्गल बीजेपी

कई दलों को छोड़कर बीजेपी में आए तंवर

अशोक तंवर सिरसा से 2009 में कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए थे। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में तंवर चुनाव हार गए थे। 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी। कुछ वक्त वह तृणमूल कांग्रेस और फिर आम आदमी पार्टी में भी रहे। कुछ महीने पहले ही अशोक तंवर आम आदमी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे।

26 साल बाद सिरसा लौटी हैं सैलजा

कुमारी सैलजा खुद 1991 और 1996 में इस सीट से लोकसभा चुनाव जीत चुकी हैं लेकिन 1998 में वह डॉक्टर सुशील इंदौरा से चुनाव हार गई थीं। इसके बाद उन्होंने अंबाला सीट का रुख कर लिया था। अब 26 साल बाद उन्होंने एक बार फिर सिरसा के सियासी रण में ताल ठोकी है।

जेजेपी से रमेश खटक मैदान में

इनेलो ने सिरसा सीट से संदीप लोट और जेजेपी ने रमेश खटक को टिकट दिया है। रमेश खटक के पक्ष में यह बात जाती है कि वह तीन बार बरोदा विधानसभा सीट से चुनाव जीत चुके हैं। वह जेजेपी की एससी सेल के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। उनके चुनाव मैदान में उतरने से सिरसा का चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।

जेजेपी ने जीती थी दो विधानसभा सीट

सिरसा लोकसभा सीट में 9 विधानसभा सीटें आती हैं। इन सीटों के नाम- नरवाना (एससी), टोहाना, फतेहाबाद, रतिया (एससी), कालावाली (एससी), डबवाली, रानियां, सिरसा और ऐलनाबाद हैं। 2019 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में इनमें से नरवाना (एससी), टोहाना में जेजेपी को, फतेहाबाद, रतिया (एससी) में बीजेपी को, कालावाली (एससी), डबवाली में कांग्रेस को, रानियां में निर्दलीय उम्मीदवार, सिरसा में हरियाणा लोकहित पार्टी और ऐलनाबाद में इनेलो को जीत मिली थी। पहली बार हरियाणा के चुनाव मैदान में उतरी जेजेपी ने पूरे राज्य में 10 और सिरसा लोकसभा सीट की 2 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी।

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