-दिलचस्प हो गया है कांग्रेस के ‘मजबूत गढ़’ में चुनाव
-20 मई को होगा इस हाई प्रोफाइल सीट पर मतदान
(फोटो : स्मृति)
नई दिल्ली। कांग्रेस ने अमेठी से पार्टी के पुराने कार्यकर्ता केएल शर्मा को उम्मीदवार बनाकर राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया है। बहुत लोगों के लिए केएल शर्मा नाम अनसुना लग सकता है लेकिन अमेठीवासी केएल शर्मा और उनकी शख्सियत को भली भांति जानते हैं। केएल शर्मा कांग्रेस के पुराने दिग्गज हैं और वो अमेठी के कोने-कोने से वाकिफ हैं। कहते हैं अमेठी में केएल शर्मा कांग्रेस के एक मजबूत स्तंभ हैं। जमीनी स्थानीय नेता होने के नाते उनकी हैसियत एक वोट बैंक मैनेजर की रही है। कांग्रेस ने ऐसे शख्स को आगे करके बीजेपी की सांसद स्मृति ईरानी के आगे नई चुनौती पेश कर दी है। अमेठी का चुनाव दिलचस्प हो गया है, कांग्रेस ने बहस को नई दिशा दे दी है। अब बीजेपी का मुद्दा ही बदल गया।
गांधी परिवार के विश्वासपात्र हैं किशोरी लाल
लुधियाना के शिवाजी नगर निवासी किशोरी लाल गांधी परिवार विश्वासपात्र हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने किशोरी लाल को कई जिम्मेदारियां दी थी, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। सोनिया गांधी ने उनको रायबरेली से सांसद प्रतिनिधि भी बनाया था और अब वे स्मृति को चुनौती दे रहे हैं। इधर, स्मृति ईरानी तीसरी बार अमेठी से चुनाव लड़ रही हैं. 2014 के चुनाव में उनकी हार हुई थी लेकिन 2019 का चुनाव उन्होंने राहुल गांधी को हराकर जीता था। वहीं केएल शर्मा पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। सियासी गलियारे में अब चर्चा इस बात की हो रही है कि 20 मई को होने वाले चुनाव में केएल शर्मा और स्मृति ईरानी में आखिर किसका पलड़ा कितना भारी रह सकता है।
स्मृति, शर्मा की कुल संपत्ति
चुनावी हलफनामे के अनुसार, स्मृति के पास अभी 8 करोड़, 75 लाख और 24 हजार की संपत्ति है जबकि पति की संपत्ति मिलाकर उनके पास करीब 17 करोड़ की संपत्ति है। पिछले चुनाव में उनकी कुल संपत्ति 11 करोड़ थी. इसी तरह शर्मा की कुल संपत्ति करीब 6.5 करोड़ से ज्यादा है। उनके परिवार की कुल संपत्ति करीब 13 करोड़ है।
1967 से रहा है कांग्रेस का दबदबा
वर्ष 1967 में गठित हुई अमेठी लोकसभा सीट के पहले दो चुनाव में कांग्रेस का ही दबदबा रहा। विद्याधर वाजपेयी 1967 और 1971 में यहां से सांसद चुने गए। 1977 में पहली बार गांधी परिवार और अमेठी का रिश्ता शुरू हुआ। हालांकि संजय को 77 के उनके पहले चुनाव में नसबंदी विरोधी लहर के चलते रविंद्र प्रताप सिंह से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 1980 में गांधी ने बड़े अंतर के साथ रविंद्र प्रताप सिंह को मात दी। कुछ माह बाद ही संजय गांधी का निधन हो गया। उनके बड़े भाई राजीव गांधी ने उपचुनाव लड़ा और भारी मतों से विजयी हुए।
1984 के चुनाव में राजीव के सामने संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी मैदान में उतरीं। अमेठी सीट का असली वारिस बनने के लिए दोनों में रोचक लड़ाई हुई लेकिन परिणाम एकतरफा राजीव के पक्ष में रहे। राजीव चुनाव जीत कर देश के प्रधानमंत्री बने। 1989 में एक बार फिर जीत राजीव के पाले में रही। 1991 में राजीव की हत्या के बाद आए परिणामों में भी वह निर्वाचित हुए थे। इसके बाद कैप्टन सतीश शर्मा ने अमेठी की बागडोर संभाली व उपचुनाव में वह विजयी हुए। 1996 में भी वह सांसद चुने गए। 1998 में पहली बार सीट पर भाजपा का खाता खुला जब डॉ. संजय सिंह ने कैप्टन सतीश शर्मा को हरा दिया। 1999 में जब सोनिया गांधी सक्रिय राजनीति में आईं तो उन्होंने भी यही सीट चुनी और विजयी हुईं। 2004 में उन्होंने यह सीट पुत्र राहुल गांधी के लिए छोड़ दी। राहुल लगातार तीन चुनाव में यहां से विजेता रहे।
इतिहास में दर्ज 2019 का चुनाव
अमेठी में 2019 का चुनाव देश की राजनीति के इतिहास में दर्ज हो गया। यह ऐसा चुनाव था जिसमें पहली बार कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष को हार का सामना करना पड़ा था। स्मृति ने राहुल को 55 हजार वोटों से शिकस्त दी थी।
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अमेठी के पांच विधानसभा क्षेत्र
तिलोई, सलोन, जगदीशपुर, गौरीगंज, अमेठी
कब कौन जीता
1967 विद्याधर वाजपेयी कांग्रेस
1971 विद्याधर वाजपेयी कांग्रेस
1977 रविन्द्र प्रताप सिंह जनसंघ
1980 संजय गांधी कांग्रेस
1981 राजीव गांधी कांग्रेस (उपचुनाव)
1984 राजीव गांधी कांग्रेस
1989 राजीव गांधी कांग्रेस
1991 राजीव गांधी कांग्रेस
1991 कैप्टन सतीश शर्मा कांग्रेस (उपचुनाव)
1996 कैप्टन सतीश शर्मा कांग्रेस
1998 डा.संजय सिंह भाजपा
1999 सोनिया गांधी कांग्रेस
2004 राहुल गांधी कांग्रेस
2009 राहुल गांधी कांग्रेस
2014 राहुल गांधी कांग्रेस
2019 स्मृति ईरानी भाजपा
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