13 नक्सलियों के शव बरामद, इनमें पांच पर 25 लाख से ज्यादा का इनाम

—खुफिया इनपुट के बाद 72 घंटे तक चलाया गया ऑपरेशन

–लांचर हथियार, गोला बारूद, लैपटॉप भी बरामद

फोटो मुठभेड़ बीजापुर

जगदलपुर/बीजापुर (बीजापुर जिले के पिढ़िया इलाके में कंपनी नम्बर टू व प्लाटून नम्बर 11, 12 व 13 की मौजूदगी की सटिक खुफिया इनपुट के बाद रविवार को ऑपरेशन लांच किया गया था। मंगलवार सुबह लगभग साढ़े 4 बजे माओवादियों की ओर से फायरिंग शुरू की गई, जिसके बाद शाम 5 बजे तक दोनों ओर से फायरिंग होती रही। मुठभेड़ स्थल की सर्चिंग में 3 महिला समेत 13 नक्सलियों के शव के अलावा सुरक्षाबलों ने भारी मात्रा में अत्याधुनिक हथियार व गोला बारूद बरामद किया है। मुठभेड़ में मारे गए नक्सली कंपनी नम्बर टू व प्लाटून 12 के मेंबर बताए जा रहे है। मुठभेड़ के बाद पांच नक्सलियों की शिनाख्त हो चुकी है। वहीं, शेष मारे गए नक्सलियों के शिनाख्त का प्रयास किया जा रहा है।

आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि बीजापुर जिले के गंगालूर थाना से डीआरजी, एसटीएफ, कोबरा व सीआरपीएफ की संयुक्त टीम आपॅरेशन के लिए रवाना हुई थी। लेण्ड्रा के जंगल में दोनों ओर से लगभग 12 घंटे तक फायरिंग होती रही, जिसके बाद 3 महिला समेत 13 नक्सलियों के शव बरामद किया गया। मारे गए अधिकांश नक्सली पीएलजीए कंपनी नम्बर दो व प्लाटून 12 के मेंबर बताए जा रहे है। इसके अलावा घटनास्थल से एलएमजी ऑटोमेटिक हथियार के अलावा 303 रायफल, 12 बोर रायफल, भारी मात्रा में बीजीएल सेल, लांचर हथियार, गोला बारूद, लैपटॉप व नक्सलियों की दैनिक उपयोग की सामग्री बरामद की गई है।

जवानों ने जंगल में बिताए तीन दिन

बीजापुर में पत्रवार्ता में सीआरपीएफ के डीआईजी एसके मिश्रा व एसपी जितेन्द्र यादव ने बताया कि उन्हें नक्सलियों की सूचना मिली थी। तब उन्होंने जवानों को सर्च ऑपरेशन के लिए भेजा। तीन दिन तक जवानों नें जंगलों में गुजारा और 12 घंटे तक नक्सलियों के साथ मुठभेड़ चली और 13 नक्सलियों को मार गिराया।

टीसीओसी में नक्सलियों पर भारी पड़ रहे जवान

ऐसा पहली बार हो रहा है, जब टीसीओसी (टैक्टिकल काउंटर ऑफ ऑफेंसिव कैम्पेन) में नक्सलियों की बजाए फोर्स उन पर भारी पड़ रही है। माह फरवरी से शुरू होने वाले टीसीओसी के दौरान माओवादी काफी आक्रामक होते है। इस दौरान फोर्स की चूक का इंतजार करते है और अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाने की उनकी मंशा होती है। पिछले एक दशक की बात करें तो टीसीओसी के दौरान 260 से अधिक जवानों की शहादत हो चुकी है, अब तक जितने भी बड़े हमले नक्सलियों ने किए हैं, वह टीसीओसी के समय हुए है। लेकिन इस बार नक्सलियों को करारा जवाब देने बस्तर में तैनात फोर्स अलर्ट मोड पर है और लगातार नक्सलियों को मुठभेड़ में ढेर किया जा रहा है। यही वजह है कि इस वर्ष अब तक 46 नक्सली को मुठभेड़ में ढेर किए जा चुके हैं। वहीं 181 नक्सलियों की गिरफ्तारी हुई है।


बरामद लैपटॉप से खुलेगा नक्सलियों का राज

सुरक्षाबलों ने लेण्ड्रा के जंगल में मुठभेड़ के बाद नक्सलियों के सामान के साथ लैपटॉप भी बरामद किया है। इसमें बस्तर के नक्सलियों की विस्तृत जानकारी व टीसीओसी के दौरान जवानों को नुकसान पहुंचाने की जा रही तैयारी का खुलासा हो सकेगा। इसके अलावा लेवी के रूप में इलाके से की गई वसूली की भी जानकारी व नक्सल संगठन में की गई नई भर्ती की जानकारी भी मिलने की संभावना है। हालांकि मुठभेड़ के बाद मिले नक्सल दस्तावेज से कई अहम जानकारी मिलने की संभावना पुलिस द्वारा व्यक्त की जा रही है।

तेलगांना से भी एकत्रित की जा रही जानकारी

भीषण गर्मी के चलते मुठभेड़ में मारे गए अधिकांश नक्सलियों के चेहरे पहचानने में अधिकारियों व सुरक्षाबलों के जवानों को दिक्कत आ रही है। मारे गए नक्सलियों के शिनाख्त के लिए पड़ोसी राज्य तेलगांना से भी जानकारी एकत्रित की जा रही है। चार नक्सलियों की शिनाख्त कर ली गई है और सभी कंपनी नम्बर टू के नक्सली है। इनमें पीएलजीए कम्पनी नम्बर टू का एसीएम पीपीसीएम सुखराम हेमला, कम्पनी नम्बर टू हुंगा परसी, हुंगा कुंजाम, दुला सोनू व डीवीसी झितरू की पत्नी सीतक्का शामिल है। मारे गए इन नक्सलियों पर 25 लाख से अधिक का इनाम घोषित था।

वर्सन

मारे गए नक्सलियों में आठ लाख का इनामी एसीएम भी

नक्सलियों के खिलाफ 12 घंटे से अधिक समय तक चली मुठभेड़ के बाद 13 नक्सलियों को मार गिराने में फोर्स को सफलता मिली है। 5 नक्सलियों की शिनाख्त हो चुकी है। इनमें पीएलजीए कंपनी टू का एसीएम सुखराम हेमला व डीवीसी झितरू की पत्नी सीतक्का भी शामिल है, जिन पर लाखों रुपए का इनाम घोषित है। शेष मारे गए नक्सलियों की शिनाख्त का प्रयास किया जा रहा है, जिसके लिए पड़ोसी राज्य तेलगांना व महाराष्ट्र से भी जानकारी एकत्रित की जा रही है।

-सुंदरराज पी, आईजी, बस्तर

टीसीओसी के दौरान अब तक की बड़ी घटनाएं

टीसीओसी के दौरान ऐसा पहली बार हो रहा है जब नक्सली बैकफुट पर दिख रहे है। इससे पूर्व टीसीओसी के दौरान हुई प्रमुख घटनाओं में 6 अप्रैल 2010 में ताड़मेटला हमले में सीआरपीएफ के 76 जवानों की शहादत हुई थी। वहीं 25 मई 2013 झीरम हमले में 30 से अधिक कांग्रेसी नेता और जवान शहीद हुए। 11 मार्च 2014 को टाहकावाड़ा हमले में 15 जवान शहीद, 12 अप्रैल 2015 को दरभा में 5 जवानों समेत एंबुलेंस ड्राइवर और एक स्वास्थ्य कर्मचारी शहीद, मार्च 2017 में सुकमा के भेज्जी हमले में 11 सीआरपीएफ जवान शहीद, 6 मई 2017 को सुकमा के कसालपाड़ में हमले में 14 जवानो की शहादत, 25 अप्रैल 2017 को सुकमा के बुकार्पाल बेस कैंप के पास नक्सली हमले में 32 सीआरपीएफ के जवान शहीद, 21 मार्च 2020 को सुकमा के मिनपा हमले में 17 जवानों की शहादत, 23 मार्च 2021 को नारायणपुर के कोहकामेटा आईईडी ब्लास्ट में 5 जवान शहीद तथा 3 अप्रैल 2021 को बीजापुर जिले में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हो चुके है।

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