नियम नहीं मानने पर पेटीएम पर एक्शन

—आरबीआई ने दी जानकारी

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि पेटीएम मामले में व्यवस्था के स्तर पर चिंता की कोई बात नहीं है और भुगतान बैंक पर कार्रवाई नियमों का अनुपालन नहीं करने के कारण हुई है। दास ने कहा कि आरबीआई एक जिम्मेदार नियामक है। उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा कि अगर आरबीआई के दायरे में आने वाले वित्तीय संस्थान सभी जरूरतों को पूरा करते हैं, तो केंद्रीय बैंक को किसी इकाई के खिलाफ कार्रवाई करने की क्या जरूरत है। उन्होंने कहा, आरबीआई द्विपक्षीय आधार पर संस्थाओं के साथ काम करता है। उन्हें पर्याप्त समय देकर नियमों के अनुपालन के लिए प्रोत्साहित करता है। निगरानी स्तर पर कार्रवाई तभी की जाती है, जब संबंधित इकाई द्वारा जरूरी कदम नहीं उठाए जाते। दास ने कहा, जब विनियमित इकाई (बैंक और एनबीएफसी) प्रभावी कार्रवाई नहीं करती है, तो हम कामकाज पर प्रतिबंध लगाने के लिए कदम उठाते हैं। उन्होंने कहा कि कार्रवाई व्यवस्था के स्तर पर स्थिरता या जमाकर्ता अथवा ग्राहकों के हितों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर की गयी है।

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ईएमआई नहीं बढ़ेगी, घट सकती है महंगाई!

–रिजर्व बैंक ने लगातार छठी बार रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर रखा बरकरार

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को लगातार छठी बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। महंगाई को चार प्रतिशत पर लाने और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से नीतिगत दर को यथावत रखा गया है। इससे लोन महंगे नहीं होंगे और कर्ज पर ईएमआई भी नहीं बढ़ेगी। आरबीआई ने आखिरी बार फरवरी 2023 में दरें 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.5फीसदी की थीं। 6 फरवरी से चल रही मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को दी। आरबीआई ने इससे पहले दिसंबर हुई बैठक में ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी। रेपो वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इसका उपयोग करता है। रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में बदलाव की संभावना कम है। आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। रिजर्व बैंक ने फरवरी, 2023 में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था। उससे पहले मई, 2022 से लगातार छह बार में नीतिगत दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि की गयी थी।

रेपो दर को बरकरार रखने के पक्ष में छह में से पांच सदस्य

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, एमपीसी ने मौजूदा घरेलू और वैश्विक परिस्थितियों पर गौर करने के बाद रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखने का फैसला किया है। एमपीसी के छह में से पांच सदस्यों डॉ. शशांक भिड़े, डॉ. आशिमा गोयल, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देबब्रत पात्रा और शक्तिकांत दास ने नीतिगत रेपो दर को बरकरार रखने के पक्ष में मतदान किया जबकि प्रो. जयंत आर वर्मा ने इसमें 0.25 प्रतिशत कमी लाने की बात कही। इसके साथ एमपीसी सदस्यों ने लक्ष्य के अनुरूप खुदरा महंगाई को लाने के लिए उदार रुख को वापस लेने के अपने निर्णय को भी कायम रखने का फैसला किया है।

क्या है खास

00 नीतिगत दर या रेपो दर 6.5 प्रतिशत पर बरकरार

00 जीडीपी की वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान

00 चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 5.4 प्रतिशत रहेगी

00 2024-25 में यह घटकर 4.5 प्रतिशत पर आ जाएगी

00 ब्याज दरों में कटौती का लाभ अभी पूरी तरह उपभोक्ताओं को नहीं मिली है

00 मौजूदा आर्थिक गति अगले वित्त वर्ष में भी बरकरार रहेगी।

दो फैसले लिए

00 आरबीआई इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की समीक्षा करना चाहता है, जिसे आखिरी बार 2018 में अपडेट किया गया था। रिवाइज्ड नॉर्म्स को फीडबैक के लिए स्टेकहोल्डर्स के साथ शेयर किया जाएगा।

00 एसएमएस-बेस्ड ओटीपी एएफए यानी एडिशनल फैक्टर ऑफ ऑथेंटिकेशन के रूप में पॉपुलर हो गया है। इसलिए डिजिटल पेमेंट की सिक्योरिटी बढ़ाने के लिए एमपीसी ने ऑथेंटिकेशन के लिए एक प्रिंसिपल बेस्ड फ्रेमवर्क बनाने का प्रस्ताव दिया है।

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