फिर सड़कों पर किसान, नोएडा में महाजाम

-संसद की ओर मार्च कर रहे यूपी के किसानों को पुलिस ने लिया हिरासत में

-टिकैत भी शामिल हुए ग्रेटर नोएडा में

-आंदोलन के चलते पुलिस ने कड़े किए सुरक्षा इंतजाम

(फोटो : प्रदर्शन1,2,3,4)

नोएडा। उत्तर प्रदेश के हजारों किसान एक बार फिर से अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन में उतर गए हैं। किसानों ने प्रदर्शन करते हुए संसद की ओर कूच करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर रोक दिया। बाद में पुलिस ने किसानों को हिरासत में ले लिया। इधर किसानों के प्रदर्शन से नोएडा में महाजाम लगा गया है। सरिता विहार में कई दोपहिया और चार पहिया वाहन जाम में फंस गए जिससे सड़कों पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। दिल्ली-नोएडा राजमार्ग पर भी बड़ी संख्या में वाहन जाम में फंस गए।

किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए बढ़ाई गई सुरक्षा

हजारों किसानों और ग्रामीणों के एकत्र होने के मद्देनजर नोएडा पुलिस ने गुरुवार को दिल्ली से लगी अपनी सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ाई थी। किसान नेता राकेश टिकैत दोपहर में ग्रेटर नोएडा में प्रदर्शनकारियों के समूह में शामिल हुए, जहां उनके भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के सदस्य स्थानीय प्राधिकरण कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। नोएडा में प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व भारतीय किसान परिषद कर रही है, जिसके कार्यकर्ताओं ने दिसंबर 2023 से स्थानीय प्राधिकरण कार्यालय के बाहर शिविर लगा रखा है।

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6 घंटे बाद खुला दिल्ली-नोएडा रूट

उत्तर प्रदेश के किसानों का नोएडा एक्सप्रेसवे पर धरना खत्म हो गया है। इससे करीब 6 घंटे से लगा जाम भी खुल गया है। दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन के कारण महाजाम की स्थिति बन गई थी। दिल्ली नोएडा में लोग दिनभर जाम से परेशान रहे। जानकारी के मुताबिक नोएडा कमिश्नर के आश्वासन पर किसानों ने एक्सप्रेसवे छोड़ दिया है। नोएडा कमिश्नर की निगरानी में एक कमेटी बनाई जाएगी। एक सप्ताह में किसानों की प्राधिकरण के अफसरों से बातचीत कराई जाएगी। इस बातचीत में शासन स्तर से मंत्री भी शामिल होंगे. नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों पर किसानों का धरना जारी रहेगा।

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किसानों ने क्यों खोला मोर्चा?

किसान संगठन दिसंबर 2023 से नोएडा और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहीत अपनी जमीनों के बदले बढ़ा हुआ मुआवजा और भूखंड देने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान समूहों ने अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन पर दबाव बढ़ाने के लिए 7 फरवरी को ‘किसान महापंचायत’ बुलाया है और 8 को राजधानी दिल्ली में संसद तक विरोध मार्च निकालने का ऐलान किया है।

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