अमेरिकी मशीन खराब, मलबा भी गिरा, टनल में फंसी 40 मजदूरों की जान


—रेस्क्यू पर संकट के बादल, पांचवी ट्यूब डालते वक्त आई दिक्कत

—पांच दिनों से अधिक समय से टनल में फंसे श्रमिक

—ऑगर मशीन ने 22 मीटर तक मलबा भेदा, अब टूटा बेयरिंग


इंट्रो

उत्तरकाशी टनल हादसे में सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने की कोशिशों को शुक्रवार को बड़ा झटका लगा। टनल के अंदर मलबा आने और ऑगर मशीन में तकनीकि की खराबी वजह से सुबह से ड्रिलिंग का काम पूरी तरह से ठप हो गया। मशीन की बियरिंग टूट गई है। मशीन को मलबे से बचाने के लिए उसे प्लेटफार्म पर करीब 50 मीटर पीछे खींच लिया लिया गया है। पांच दिनों से जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे लोगों की आफत बढ़ गई है।

नई दिल्ली। उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के बचाव अभियान को शुक्रवार दोपहर कुछ देर के लिए रोक दिया गया। सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए इस्तेमाल की जा रही ड्रिलिंग मशीन पर मलबा गिरने के बाद यह कदम उठाया गया। सुरंग में पांचवीं ट्यूब डालते ही मलबा मशीन पर गिरने लगा। इसके तुरंत बाद बचावकर्मी सुरंग से बाहर निकले और ऑपरेशन को लगभग एक घंटे के लिए रोक दिया गया। सूत्रों के मुताबिक बचाव अभियान में इस्तेमाल लाई जा रही अमेरिकी ऑगर मशीन में तकनीकी खराबी आ गई है। मशीन आगे नहीं बढ़ पा रही है। मशीन का बेयरिंग खराब हो रहा है। ऐसे में अब एंकर लगाकर मशीन को प्लेटफॉर्म पर लगाया जा रहा है।

सिलक्यारा सुरंग में अमेरिका से आई नई और शक्तिशाली ऑगर मशीन ने शुक्रवार सुबह तक मलबे को 22 मीटर तक भेद दिया था। उत्तरकाशी जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र के नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी के अनुसार, सुरंग में जमा मलबे में गुरुवार रात भर चले चली ड्रिलिंग के बाद 22 मीटर की दूरी तक भेदा जा चुका था। सुरंग में 45 से 60 मीटर तक मलबा जमा है जिसमें ड्रिलिंग की जा रही थी।

मशीन के सुधरने के बाद फिर से ड्रिलिंग शुरू होगी। योजना यह है कि ड्रिलिंग के जरिए मलबे में रास्ता बनाते हुए उसमें 900 मिमी व्यास के छह मीटर लंबे पाइप को एक के बाद एक इस तरह डाला जाएगा कि मलबे के एक ओर से दूसरी ओर तक एक ‘वैकल्पिक सुरंग’ बन जाए और श्रमिक उसके माध्यम से बाहर आ जाएं। राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास कारपोरेशन लिमिटेड की ओर से सुरंग बना रही नवयुग इंजीनियरिंग लिमिटेड के जनसंपर्क अधिकारी जीएल नाथ ने कहा, सभी श्रमिक ठीक हैं। हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उन लोगों को जल्द से जल्द बाहर निकाल लिया जाए। काम की प्रगति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मलबे में ड्रिलिंग कर चार पाइप डाले जा चुके हैं जबकि पांचवें पाइप को डाले जाने की कार्यवाही जारी है। गौरतलब है कि हर मौसम के अनुकूल चारधाम सड़क परियोजना के तहत निर्माणाधीन सुरंग का सिलक्यारा की ओर के मुहाने से 270 मीटर अंदर एक हिस्सा रविवार सुबह ढह गया था जिसके बाद से उसमें फंसे 40 श्रमिकों को निकालने का प्रयास किया जा रहा है।

पहले छोटी मशीन हुई थी खराब

इससे पहले, मंगलवार देर रात एक छोटी ऑगर मशीन से मलबे में ड्रिलिंग शुरू की गयी थी, लेकिन इस दौरान भूस्खलन होने से काम को बीच में रोकना पड़ा था। बाद में वह ऑगर मशीन भी खराब हो गयी थी। इसके बाद भारतीय वायुसेना के सी-130 हरक्यूलिस विमानों के जरिए 25 टन वजनी बड़ी, अत्याधुनिक और शक्तिशाली अमेरिकी ऑगर मशीन दो हिस्सों में दिल्ली से उत्तरकाशी पहुंचाई गई, जिससे गुरुवार को दोबारा ड्रिलिंग शुरू की गई।

पाइप के जरिए दवाई, खाना और पानी

सुरंग में फंसे श्रमिकों को लगातार खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, उन्हें ऑक्सीजन, बिजली, दवाइयां और पानी भी पाइप के जरिए निरंतर पहुंचाया जा रहा है। श्रमिकों से निरंतर बातचीत जारी है और बीच-बीच में उनकी उनके परिजनों से भी बात कराई जा रही है।

छह बिस्तरों का अस्थाई चिकित्सालय

उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएस पंवार ने कहा कि सुरंग के पास एक छह बिस्तरों का अस्थाई चिकित्सालय तैयार कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि मौके पर 10 एंबुलेंस के साथ कई मेडिकल टीम भी तैनात हैं ताकि श्रमिकों को बाहर निकलने पर उनकी तत्काल चिकित्सकीय मदद दी जा सके।

200 मीटर अंदर फंसे मजदूर

मजदूर सुरंग के एंट्री प्वॉइंट से करीब 200 मीटर अंदर फंसे हैं, जहां मजदूर फंसे हैं, वहां ठीक उनके आगे 50 मीटर से ज्यादा मलबा है। रेस्क्यू टीम के लिए मुश्किल इस बात की है कि टनल का ये हिस्सा बेहद कमजोर है। जैसे ही मजदूरों को निकालने के लिए मलबा निकालने की कोशिश होती है, मलबा फिर से टनल में गिर जाता है।

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