-सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से दिशा-निर्देश बनाने के लिए कहा
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मीडियाकर्मियों के डिजिटल उपकरणों को मनमाने ढंग से जब्त करने पर चिंता जताते हुए इसे गंभीर मामला बताया। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिए उचित दिशा-निर्देश तैयार करने को कहा। साथ ही कहा, एजेंसी की शक्तियों का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अनुचित हस्तक्षेप के खिलाफ सुरक्षा उपाय स्थापित करने और डिजिटल उपकरणों की खोज व जब्ती के लिए दिशा-निर्देश बनाने का आग्रह किया गया था। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने सुनवाई के दौरान स्थगन की मांग करते हुए पीठ से कहा कि कई जटिल कानूनी मुद्दे हैं, जिनकी जांच की जानी आवश्यक है। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि ऐसे सैकड़ों पत्रकार हैं, जिनके डिजिटल उपकरण सामूहिक रूप से छीन लिए गए हैं।
याचिका में उठाए गए मुद्दे हैं महत्वपूर्ण
इस याचिका में उठाए गए मुद्दे बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि कब और क्या जब्त किया जा सकता है, क्या एक्सेस किया जा सकता है, किस तरह की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है, इसके संदर्भ में कोई दिशा-निर्देश नहीं हैं। एजेंसियों की सर्व शक्ति को स्वीकार करना मुश्किल : पीठ ने कहा, हमें एजेंसियों के पास मौजूद कुछ प्रकार की सर्व शक्ति को स्वीकार करना बहुत मुश्किल हो रहा है। आपके पास बेहतर दिशा-निर्देश होने चाहिए। यदि आप चाहते हैं कि हम ऐसा करें, तो हम करेंगे, लेकिन मेरा विचार है कि आपको इसे स्वयं करना चाहिए। अब समय आ गया है कि आप सुनिश्चित करें कि इसका दुरुपयोग न हो।
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हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट पहुंची केरल सरकार
केरल सरकार ने केरल उच्च न्यायालय की एर्नाकुलम पीठ के आदेश को चुनौती दी है। उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने वाली केरल सरकार विधेयकों को मंजूरी देने में जानबूझकर देरी के आरोप लगाए हैं। इससे पहले विधेयकों पर अनिश्चितकाल तक सहमति लंबित रखने के मामले में एक वकील की याचिका हाईकोर्ट की एर्नाकुलम पीठ ने खारिज कर दी थी। राज्यपाल की शक्तियों को चुनौती देने वाली याचिका खारिज होने के बाद अब मुख्यमंत्री पिनारई विजयन की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की अपील की है। राज्यपाल की कथित निष्क्रियता के लिए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर रिट याचिका के बारे में एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत गवर्नर की सहमति में देरी को लेकर सरकार ने सवाल खड़े किए हैं।बता दें कि तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि और पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के बाद, आरिफ मोहम्मद खान बिलों को मंजूरी देने में देरी का आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत में इसी तरह की याचिका का सामना करने वाले तीसरे राज्यपाल होंगे। केरल सरकार की याचिका के अनुसार, तीन विधेयक दो साल से अधिक समय से राज्यपाल के समक्ष लंबित हैं।
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