दंतेवाड़ा में जवानों पर चली गोलियां निकलीं सरकारी, दो सीआरपीएफ जवानों, पुलिस कर्मियों समेत 24 को 10-10 साल की सजा व जुर्माना

यूपी के 13 साल पुराने चर्चित कारतूस घोटाला मामले में पुलिस, पीएसी और सीआरपीएफ के जवान थे शामिल

एंट्रो……………..

वर्ष 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले में 76 जवान शहीद हो गए थे। इन जवानों को जो गोलियां लगीं थीं वो सरकारी कोटे की निकलीं। इस बात की जब जांच शुरू की गई तो पुलिस, पीएसी और सीआरपीएफ के एक ऐसे नेटवर्क का खुलासा हुआ जो नक्सलियों को गोलियां मुहैया कराता था। यूपी के रामपुर स्पेशल कोर्ट में चले मुकदमे के बाद अदालत ने दोषी पाए गए 20 जवानों समेत कुल 24 लोगों को 10-10 साल की सजा व 10-10 हजार जुर्माना भी लगाया।

रामपुर। बता दें कि इनमें चार लोग आम नागरिक हैं। मुख्य आरोपी यशोदा नंदन की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी है। यह केस साल 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सली हमले में बड़े पैमाने पर सीआरपीएफ जवानों की शहादत से जुड़ा हुआ था। दरअसल दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ जवानों पर हमले में नक्सलियों ने जो गोलियां इस्तेमाल की थीं, वे जांच में सरकारी कोटे की निकली थीं। ये गोलियां उत्तर प्रदेश के रामपुर से नक्सलियों को मिली थीं। इस नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हुए थे। मौके से जांच टीम को जब खोखे मिले तो शक हुआ और जांच बिठाई गई। एसटीएफ के एस.आई प्रमोद कुमार को विवेचना के दौरान एक डायरी मिली जिसमें कई लोगों के नाम सामने आए। पकड़े गए सभी दोषी अलग-अलग जगह के हैं।

कारतूस व नगदी सहित किया था गिरफ्तार

बता दें कि कारतूस घोटाले का पर्दाफाश यूपी एसटीएफ ने किया था। आरोप था कि ये लोग नौकरी पर रहते हुए सरकारी कारतूस नक्सलियों और आतंकियों को सप्लाई करते थे। इसके बदले में इन्हें मुंह मांगी रकम मिलती थी। इस छापेमारी में पीएसी के रिटायर्ड दरोगा यशोदानंदन, सीआरपीएफ हवलदार विनोद कुमार व विनेश पकड़े गए थे। इनके पास एसटीएफ को 1.75 लाख रुपये नकद, कारतूस, कारतूसों के खोखे और हथियारों का जखीरा बरामद हुआ था।

खोखे और शरीर से मिलीं सरकारी गोलियां

बताया गया कि 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सली हमले में 76 जवान शहीद हुए थे। उनमें इन्हीं सरकारी कारतूसों का इस्तेमाल हुआ था। मौके से जांच टीम को जब खोखे मिले तो शक हुआ और शहीद जवानों के शरीर से भी सरकारी गोलियां निकलीं जिसके बाद जांच बिठाई गई। ये गोलियां उत्तर प्रदेश के रामपुर से नक्सलियों को मिली थीं।

अरेस्टिंग के समय मिली डायरी तो खुला राज

इस मामले में पहली अरेस्टिंग 29 अप्रैल 2010 में हुई थी। इसके बाद एसटीएफ के एस.आई प्रमोद कुमार की विवेचना में एक डायरी सामने आई जिसमें कई मोबाइल नंबर और अकाउंट नंबर की जानकारी मिली। इसके आधार 25 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। अभियोजन पक्ष द्वारा इस मामले में कुल 9 साक्ष्य प्रस्तुत किए गए।

आयुध स्टॉक से चुराते थे कारतूस, बाहरी भी मिले

मामले में दोषी पाए गए 24 लोग पुलिस, सीआरपीएफ, पीएसी जैसे सुरक्षा विभागों में तैनात थे। ये लोग रामपुर आयुध स्टॉक से कारतूस निकालकर नक्सलियों और आतंकियों को सप्लाई कर रहे थे। इसमें कुछ बाहरी लोग इनकी मदद कर रहे थे। बाद में इन्हीं कारतूसों का इस्तेमाल दंतेवाड़ा टेररिस्ट अटैक में भी किया गया था।

00000

प्रातिक्रिया दे