हमास जैसे इस्लामी आतंकवादी गुटों की पनाहगाह कतर, डबल एजेंट की भूमिका

-हमास चीफ सहित कई बड़े नेताओं का दोहा में ही ठिकाना

  • कई आतंकवादी संगठनों की करता है फंडिंग

-यह वह सफेदपोश देश है जिसे अपनी करतूतें नहीं दिखतीं

(फोटो : सरगना) कैप्शन- कतर के अमीर थानी के साथ हमास का सरगना इस्माइल हानिये, जिसे इजरायल में हमले के बाद जश्न मनाते देखा गया था।)

इंट्रो

आपको याद होगा बीजेपी नेता नुपूर शर्मा का नाम और उनका बयान जिसके चलते वो इस्लामी कट्टरपंथियों की नजर में आ गईं और उन्हें भूमिगत होना पड़ा था। कतर ही वह देश था जिसने सबसे पहले उनके बयान को इस्लामी वर्ल्ड के सामने रखा और अपना विरोध जताया था। कतर वह सफेदपोश देश है जिसे अपनी करतूतें नहीं दिखतीं, पर दूसरों के मामले में वह तुरंत एक्शन में आ जाता है। कतर एक डबल एजेंट की तरह काम करता है। एक तरफ इस्लामी गुटों की पनाहगाह है वहीं दूसरी तरफ व इजराइल-हमास के बीच मध्यस्थता की कोशिश कर रहा है।

नई दिल्ली। कतर आतंकवादी संगठनों की न केवल फंडिंग करता है, बल्कि अपने देश की जमीन पर मुख्यालय बनाकर काम करने की आजादी भी देता है। हमास को पैसे देने वाले देशों में कतर सबसे आगे रहा है। हमास ही नहीं कतर तालिबान को भी पैसा देता रहा है। अफगानिस्तान से जब तालिबान को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था, कतर ने ही अपनी राजधानी दोहा में तालिबान को अपना ऑफिस खोलने की अनुमति दी थी। अल कायदा जैसे खूंखार आतंकवादी संगठन के साथ भी कतर के करीबी संबंध रहे हैं।

हमास के बड़े नेताओं का कतर में ही ठिकाना

जिन लोगों ने वायरल हो रहे हमास के चेयरमैन इस्माइल हानिया का वह वीडियो देखा होगा जिसमें वह अलजजीरा टीवी पर इजरायल में आतंकी हमलों का लाइव प्रसारण देख रहा है, उन्हें यह भी जान लेना चाहिए कि जिस जगह पर यह प्रसारण देखा जा रहा है वह कतर की राजधानी दोहा का एक फ्लैट है। यूं ही नहीं कतर दुनिया में आतंकवादियों के लिए स्वर्ग बना हुआ है। पाकिस्तान-अफगानिस्तान-सीरिया और गाजा तो केवल टूल हैं मास्टरमाइंड तो कतर है जो दुनिया भर में इस्लामी आतंकवादियों का आका बना हुआ है। इजरायल में कहर बरपाने वाले हमास के तमाम नेता दोहा में सुरक्षित बैठे हुए हैं और उनकी करतूतों का फल गाजा के गरीबों को भुगतना पड़ रहा है।

हमास की खुले तौर पर पैरवी करता रहा है कतर

इजरायल पर इतने बड़े और क्रूरतम हमले के बाद भी कतर के विदेश मंत्रालय के पास इजरायल को सांत्वना देने के लिए 2 शब्द नहीं थे। इसकी जगह उसे इजरायल द्वारा गाजा पट्ठी में उठाए गए कठोर कदमों की चिंता थी।

कतर विदेश मंत्रालय ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है ताकि इजरायल को अंतरराष्ट्रीय कानून के घोर उल्लंघन करने से रोकने के लिए बाध्य किया जा सके।

बिचौलिये बना कतर

हमास के हमलों के बाद कतर सबसे अधिक एक्शन में है। अरब वर्ल्ड में चौधरी बनने की कवायद में अब कतर इस कोशिश में है कि हमास और इजरायल के बीच मध्यस्थता करने का उसे मौका मिले। दरअसल इजरायल की जेलों में करीब 36 फिलिस्तीन महिलाएं और बच्चे बंद हैं। जिनकी रिहाई की मांग फिलिस्तीन करता रहा है। अब हमास के पास भी भारी संख्या में इजरायली नागरिक और बच्चे बंधक के रूप में है। हमास ने इजरायल पर हमले के दौरान इन्हें बंधक बनाया था। रायटर ने अपने सूत्रों के हवाले जानकारी दी है कि कतर इस संबंध में इजरायली अधिकारियों के संपर्क में है। कतर के विदेश मंत्रालय ने रॉयटर्स को कैदियों की अदला-बदली सहित हमास और इजरायली अधिकारियों के साथ मध्यस्थता वार्ता में शामिल होने की पुष्टि की है।

अल जजीरा को देता है प्लेटफॉर्म

अल-जज़ीरा कतर का सबसे शक्तिशाली हथियार है। अल-जज़ीरा भारत सहित दुनिया में मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर हमेशा मुखर रहता है पर कतर की किसी बात के लिए अपना मुंह बंद रखता है। खुद को अरब दुनिया का पहला स्वतंत्र समाचार चैनल कहने वाला मीडिया संगठन अलजजीरा का मालिकाना हक कतर के अमीर के पास है। चैनल लगातार गाजा में हुए हमलों को तो दिखाता है पर इजरायल पर हुए वीभत्स हमलों को नजरअंदाज करता है।

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