यूएई ने हमास को ठहराया दोषी, सउदी ने की तनाव कम करने की बात, ईरान, कतर जैसे कई देश कर रहे फलस्तीन का समर्थन

-इजरायल और हमास की जंग को लेकर बंटी इस्लामिक दुनिया!

इंट्रो

यहूदी बहुल देश इजरायल और मुस्लिम बहुल फिलिस्तीन के हमास आतंकियों के बीच छिड़ी जंग पर पूरी दुनिया की नजरें हैं। शनिवार को अचानक फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास ने इजरायल पर हमला कर दिया जिसके बाद इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने हमास के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया। हमास के इस हमले को लेकर जहां पश्चिमी देश इजरायल के साथ खड़े दिख रहे हैं, वहीं, ज्यादातर मुस्लिम देश फिलिस्तीन के समर्थन में बोल रहे हैं। इस्लामिक देशों के संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन, ओआईसी ने भी मध्य-पूर्व के ताजा हालात के लिए इजरायली कब्जे को जिम्मेदार बताया है। मुस्लिम देश हमेशा से फिलिस्तीन के साथ खड़े रहे हैं और वो इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे के समाधान के लिए ‘टू स्टेट रिजोल्यूशन’ यानी फिलिस्तीनियों के लिए एक अलग राष्ट्र की वकालत करते रहे हैं। लेकिन इजरायल-फिलिस्तीन की हालिया लड़ाई को लेकर कुछ मुस्लिम देशों की प्रतिक्रिया देख ऐसा लगता है कि इजरायल के प्रति वो नरम रुख अपना रहे हैं।

आइए जानते हैं इजरायल-हमास की जंग को लेकर इस्लामिक देशों का रिएक्शन क्या है-

ईरान ने बताया- सताए हुए लोगों का आंदोलन

ईरान के विदेश मंत्रालय ने हमास के इजरायल पर हमले के बाद कहा कि यह हमला फिलिस्तीनियों की तरफ से आत्मरक्षा के लिए उठाया गया एक कदम हैं। इसी के साथ ही विदेश मंत्रालय ने मुस्लिम देशों से अपील की है कि वो फिलिस्तीन का समर्थन करें। ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने कहा, ‘यह ऑपरेशन … अपने अधिकारों की रक्षा और इजरायल की युद्धोन्मादी और उत्तेजक नीतियों के प्रति फिलिस्तीनियों की स्वाभाविक प्रतिक्रिया हैं। यह फिलिस्तीन के सताए हुए लोगों का आंदोलन है। ‘

सऊदी अरब ने दोहराया अलग राष्ट्र की मांग

मध्य-पूर्व के सबसे प्रभावशाली देशों में से एक सऊदी अरब हाल के दिनों में इजरायल के साथ अपने संबंधों को ठीक करने की कोशिश कर रहा हैं। अमेरिका की कोशिश से दोनों देश राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिए शांति वार्ता भी कर रहे हैं लेकिन इसी बीच फिलिस्तीन के साथ इजरायल की जंग ने इन कोशिशों को बड़ा झटका दिया हैं। दोनों पक्षों के बीच संघर्ष को लेकर सऊदी अरब ने एक बयान जारी किया है जिसमें फिलिस्तीनियों के अधिकारों की वकालत की है। जारी बयान में सऊदी विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘सऊदी अरब अपनी जिम्मेदारियों को संभालने और एक विश्वसनीय शांति प्रक्रिया स्थापित करने का आह्वान करता है जो क्षेत्र में सुरक्षा और शांति प्राप्त करने और नागरिकों की रक्षा के लिए दो-देश की बात करता है। रविवार को सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान ने दोनों पक्षों के बीच चल रहे संघर्ष को लेकर फ्रांस की विदेश मंत्री कैथरीन कोलोन्ना से बात की। इस दौरान उन्होंने दोनों पक्षों की लड़ाई में मरने वाले नागरिकों को लेकर चिंता जताई। एक रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांसीसी विदेश मंत्री से बातचीत में उन्होंने तनाव को कम करने पर जोर दिया। प्रिंस फैसल ने कहा कि संघर्ष में नागरिकों को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए और सभी पक्षों को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करना चाहिए.

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने हमास को ठहराया दोषी

इस्लामिक देश यूएई मध्य-पूर्व का पहला ऐसा बड़ा देश है जिसने अमेरिका की कोशिशों के बाद इजरायल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए हैं। साल 2020 में यूएई ने इजरायल के साथ अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर किया था. अब इजरायल और फिलिस्तीन की लड़ाई को लेकर यूएई का रुख काफी बदला हुआ नजर आ रहा हैं। यूएई ने अपने बयान में कहा है कि ताजा तनाव के लिए हमास जिम्मेदारहै। यूएई के विदेश मंत्रालय ने रविवार देर रात एक बयान जारी कर कहा कि फिलिस्तीनी समूह हमास के इजरायली शहरों पर हमला बेहद गंभीर है और इससे भारी तनाव पैदा हुआ हैं। मंत्रालय ने हिंसा को खत्म करने और नागरिकों की सुरक्षा का आह्वान किया।

कतर ने लड़ाई के लिए इजरायल को बताया जिम्मेदार

इस्लामिक देश कतर ने इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के लिए इजरायल को जिम्मेदार बताया हैं। एक बयान जारी कर कतर के विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘मौजूदा तनाव के लिए केवल और केवल इजरायल जिम्मेदार है क्योंकि वो फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों का दमन करता रहा हैं। साथ ही इजरायली सुरक्षा बल लगातार अल-अक्सा मस्जिद पर छापेमारी करते रहे हैं। ‘

तुर्की ने की मध्यस्थता की पेशकश

इस्लामिक देश तुर्की पूर्व में इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीन का समर्थन करता रहा है लेकिन शनिवार को दोनों पक्षों में जंग छिड़ने के बाद तुर्की ने बेहद नरमी से इस मुद्दे पर अपनी बात रखी हैं। तुर्की ने शनिवार को टू स्टेट रिजोल्यूशन की बात करते हुए कहा कि वो दोनों पक्षों के बीच तनाव को कम करने के लिए मध्यस्थता को तैयारहै। वहीं, रविवार को तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने कहा कि तुर्की इजरायल और फिलिस्तीन के बीच चल रही लड़ाई को कम करने के लिए राजयनिक प्रयासों को लेकर प्रतिबद्ध हैं। इसी के साथ ही एर्दोगन ने कहा कि क्षेत्रीय शांति हासिल करने के लिए टू स्टेट रिजोल्यूशन एकमात्र तरीकाहै।

मलेशिया ने फिलिस्तीनियों के प्रति जताया समर्थन

मुस्लिम देश मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने रविवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर आरोप लगाया कि कई देश फिलिस्तीन के खिलाफ क्रूरता और उत्पीड़न को लेकर एकतरफा कार्रवाई का पक्ष ले रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘इजरायली लगातार फिलिस्तीनी लोगों की जमीन और संपत्ति पर कब्जा कर रहे हैं। इस अन्याय की वजह से सैकड़ों निर्दोष लोगों की जान चली गई। मलेशिया फिलिस्तीनी लोगों के संघर्ष में उनके साथ खड़ाहै। ‘

इंडोनेशिया ने इजरायल को लेकर बरती नरमी

मुस्लिम बहुल देश इंडोनेशिया ने मानवीय क्षति रोककर हिंसा को तत्काल खत्म करने का आह्वान किया हैं। इंडोनेशिया के विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा, ‘इंडोनेशिया फिलिस्तीन और इजरायल के बीच बढ़ते संघर्ष से बहुत चिंतित हैं। इंडोनेशिया आगे होने वाली मानवीय क्षति से बचने के लिए हिंसा को तत्काल समाप्त करने का आग्रह करताहै। ‘ दुनिया में सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश इंडोनेशिया इजरायल के कब्जे को खत्म कर फिलिस्तीन को एक अलग देश के रूप में मान्यता देने की मांग करता रहाहै।

बांग्लादेश, पाकिस्तान ने की ‘टू स्टेट रिजोल्यूशन’ की वकालत

(फोटो)

बांग्लादेश ने इजरायल-फिलिस्तीन के बीच चल रही मौजूदा लड़ाई की कड़ी निंदा की हैं। बांग्लादेश ने कहा है कि दोनों पक्षों को तुरंत युद्धविराम लागू करना चाहिए, हिंसा से किसी पक्ष का फायदा नहीं होने वाला है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, बांग्लादेश मानता है कि फिलिस्तीन के क्षेत्र में इजरायल का कब्जा क्षेत्र में शांति के लिए बड़ी रुकावट हैं। इस समस्या के समाधान के लिए बांग्लादेश टू स्टेट रिजोल्यूशन का समर्थन करताहै। पाकिस्तान ने दोनों पक्षों के बीच तनाव को लेकर शनिवार को कहा कि मानवीय क्षति को रोकने और क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए हिंसा को तत्काल रोकने की जरूरतहै। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने संघर्ष में मानवीय क्षति पर गहरी चिंता जताए हुआ कहा कि इजरायल-फिलिस्तीन पर पाकिस्तान का रुख हमेशा से एक जैसा रहा हैं। क्षेत्र की शांति कायम करने के लिए टू स्टेट रिजोल्यूशन ही एकमात्र तरीकाहै। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि दोनों पक्षों के बीच तनाव को खत्म करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएं। अफगानिस्तान ने भी फलस्तीन का समर्थन किया है।

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