- महिलाओं की कमाई और श्रम बाजार भागीदारी का दिया था व्यापक विवरण
-भारतवंशी अमर्त्य सेन को भी 1998 में मिल चुका है यह प्रतिष्ठित पुरस्कार
-(फोटो : क्लाडिया)
नई दिल्ली। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार 2023 का एलान कर दिया है। अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में 2023 के स्वेरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार अमेरिका की दिग्गज अर्थशास्त्री क्लाउडिया गोल्डिन को देने का फैसला लिया गया है। उन्हें महिलाओं के श्रम बाजार के परिणामों के बारे में हमारी समझ को उन्नत या विकसित करने के लिए यह सम्मान दिया गया है। क्लाउडिया गोल्डिन ने सदियों से महिलाओं की कमाई और श्रम बाजार भागीदारी का पहला व्यापक विवरण मुहैया कराने का काम किया है। उनके शोध से बदलाव के कारणों और शेष लिंग अंतर के मुख्य स्रोतों का पता चला। इनके रिसर्च से पता चला कि वैश्विक श्रम बाजार में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है और जब वे काम करती हैं तो पुरुषों की तुलना में कम कमाती हैं। गोल्डिन ने अभिलेखों का पता लगाया और 200 वर्षों से अधिक का डेटा एकत्र किया, जिससे उन्हें यह साबित किया कि कमाई और रोजगार दरों में लिंग अंतर कैसे और क्यों बदल गया?
वर्ष 1969 से दिया जा रहा है अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार
आर्थिक विज्ञान में सेवरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में दिया जाता है। बता दें कि अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी वसीयत में अर्थशास्त्र पुरस्कार का उल्लेख नहीं किया था। स्वेरिग्स रिक्सबैंक ने 1968 में पुरस्कार की स्थापना की और रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज को 1969 में शुरू होने वाले आर्थिक विज्ञान में पुरस्कार विजेताओं के चयन का कार्य दिया गया।
अमर्त्य सेन को 1998 में मिला था नोबेल
अमर्त्य सेन इकलौते ऐसे भारतीय हैं, जिन्हें 1998 में इस सम्मान से नवाजा गया था। उन्हें इकोनॉमी साइंस में वेलफेयर इकोनॉमिक्स और सोशल चॉइस थ्योरी में उनके योगदान के लिए नोबेल प्राइज से नवाजा गया था। 2022 में बैंकिंग सेक्टर के एक्सपर्ट तीन इकोनॉमिस्ट बेन बेर्नाके, डगलस डायमंड और फिलिप डिविग को नोबेल प्राइज मिला था। तीनों ने आर्थिक मंदी के दौर में बैंकिंग सेक्टर को बेहतर करने पर रिसर्च किए और मानवता को बचाने के बेहतर तरीके बताए थे । क्लाउडिया गोल्डिन हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की हेनरी ली प्रोफेसर हैं। वह 1989 से 2017 तक एनबीईआर के अमेरिकी अर्थव्यवस्था कार्यक्रम के विकास की निदेशक थीं। वह एनबीईआर के जेंडर इन द इकोनॉमी ग्रुप की सह-निदेशक भी हैं।
आर्थिक इतिहासकार और श्रम अर्थशास्त्री के रूप में है पहचान
एक आर्थिक इतिहासकार और एक श्रम अर्थशास्त्री के रूप में गोल्डिन के शोध में महिला श्रम शक्ति, कमाई में जेंडर गैप, आय असमानता, तकनीकी परिवर्तन, शिक्षा और आव्रजन सहित विषयों की एक विस्तृत शृंखला शामिल है। उनके अधिकांश शोध अतीत के लेंस से वर्तमान की व्याख्या करते हैं और चिंता के वर्तमान मुद्दों के उत्पत्ति की पड़ताल करते हैं। उनकी सबसे हालिया पुस्तक कैरियर एंड फैमिली: महिलाओं की शताब्दी-इक्विटी की ओर लंबी यात्रा (प्रिंसटन यूनिवर्सिटी प्रेस, 2021) है।
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