ईवीएम मशीन के सॉफ्टवेयर के ऑडिट की मांग खारिज

-सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से किया इंकार

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम के सॉफ्टवेयर के ऑडिट की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसा कोई तथ्य या सबूत पेश नहीं किया गया है, जिससे पता चले कि चुनाव आयोग ने संविधान का उल्लंघन किया है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि उसके समक्ष कार्रवाई करने योग्य ऐसी कोई सामग्री पेश नहीं की गई है, जो यह दिखाती हो कि चुनाव कराने में निर्वाचन आयोग ने संवैधानिक शासनादेश का उल्लंघन किया है। पीठ ने कहा कि निर्वाचन आयोग पर चुनाव के नियंत्रण की जिम्मेदारी है। वर्तमान में याचिकाकर्ता ने इस अदालत के समक्ष कार्रवाई करने योग्य ऐसी कोई सामग्री पेश नहीं की है, जो यह दिखाती हो कि चुनाव कराने में निर्वाचन आयोग ने संवैधानिक शासनादेश का उल्लंघन किया है। हमारे सामने ऐसी कोई सामग्री नहीं है जो ईवीएम को लेकर शक पैदा करती हो। यह जनहित याचिका सुनील अहया ने दायर की थी। याचिकाकर्ता ने पहले चुनाव आयोग से भी ईवीएम मशीन के सॉफ्टवेयर का स्वतंत्र ऑडिट कराने की मांग की थी। हालांकि, मांग न पूरी होने पर याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। याचिकाकर्ता ने ईवीएम के सोर्स कोड का स्वतंत्र ऑडिट कराने के अनुरोध संबंधी अभ्यावेदन निर्वाचन आयोग के समक्ष दिए थे। अहया ने कहा कि ईवीएम सोर्स कोड से ही चलता है और यह लोकतंत्र के संबंध में है।

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वैवाहिक दुष्कर्म : अक्तूबर के मध्य में होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह वैवाहिक दुष्कर्म के मामले पर अक्तूबर के मध्य में सुनवाई करेगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें एक अहम कानूनी सवाल उठाया गया है। अगर कोई व्यक्ति अपनी बालिग पत्नी से जबरन शारीरिक संबंध बनाता है तो उसके खिलाफ दुष्कर्म का मामला नहीं चलाया जा सकता। याचिकाओं में इस कानूनी प्रावधान को चुनौती दी गई है। वकील करुणा नंदी ने कोर्ट में सबमिशन दिया कि वैवाहिक दुष्कर्म से संबंधित याचिकाओं पर जल्द सुनवाई की जाए। इस सबमिशन पर नोटिस लेते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने बताया कि वह इन याचिकाओं को अक्तूबर के मध्य में सुनवाई के लिए लिस्ट करेंगे।

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