लोकसभा-विधानसभाओं में महिलाओं को मिलेगा अब 33 फीसदी आरक्षण

–नए संसद में नारी शक्ति वंदन विधेयक लोकसभा में पेश, आज होगी चर्चा

–विधेयक में फिलहाल 15 साल के लिए आरक्षण का प्रावधान

इंट्रो

नए संसद भवन में प्रवेश के साथ महिला आरक्षण बिल पेश हो गया। सरकार ने संसद के निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित ऐतिहासिक ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ को मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया। इस पर बुधवार को चर्चा होगी। पिछले 27 साल से यह बिल अटका हुआ था।


नई दिल्ली। विधि एवं न्याय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुनराम मेघवाल ने विपक्ष के शोर-शराबे के बीच ‘संविधान (128संशोधन) विधेयक, 2023′ पेश किया। इस विधेयक को पूरक सूची के माध्यम से सूचीबद्ध किया गया था। नए संसद भवन में पेश होने वाला यह पहला विधेयक है। मेघवाल ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह महिला सशक्तीकरण से संबंधित विधेयक है और इसके कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की संख्या मौजूदा 82 से बढ़कर 181 हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके पारित होने के बाद विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि विधेयक में फिलहाल 15 साल के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है और संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा। केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि महिलाओं की आरक्षित सीट में भी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण होगा। मेघवाल ने 2010 में महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पारित होने के बाद उसे लोकसभा से पारित न कराने को लेकर तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार की मंशा पर संदेह व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में पारित होने के बावजूद महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पारित नहीं कराया जा सका, यह तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार की नाकामी को दर्शाता है। मेघवाल ने कहा, ‘‘राज्यसभा में 2010 में यह विधेयक पारित हुआ था और इसे लोकसभा को भेज दिया गया था। उसके बाद यह विधेयक निम्न सदन की ‘प्रोपर्टी’ हो गया, लेकिन इसे पेश नहीं किया जा सका। पंद्रहवीं लोकसभा के भंग होने के साथ ही संबंधित विधेयक निष्प्रभावी हो गया।” मेघवाल के विधेयक पेश करने के बीच में ही अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन को अवगत कराया कि विधेयक पर चर्चा बुधवार को शुरू होगी। इससे पहले मेघवाल जैसे ही विधेयक पेश करने के लिए खड़े हुए, विपक्षी सदस्यों ने सरकार पर विधेयक की प्रति नहीं दिये जाने का आरोप लगाते हुए शोर-शराबा करना शुरू कर दिया। इस पर मेघवाल और संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने सदस्यों को बताया कि नयी प्रौद्योगिकी से लैस स्क्रीन पर सब कुछ अपलोड किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि विधेयक की जानकारी पूरक सूची में अपलोड की गयी है। विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच अध्यक्ष ने हस्तक्षेप किया और सदस्यों से कहा कि वे अपनी-अपनी सीट से लगे यंत्र के जरिये इस विधेयक को देख सकते हैं। शोर-शराबे के बीच ही मेघवाल ने विधेयक पेश किया। मेघवाल ने इस दौरान महिलाओं के सशक्तीकरण को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि वह महिला-नीत विकास को प्रश्रय देते रहे हैं।

पीएम मोदी बोले-मजबूत होगा लोकतंत्र

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी सरकार लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में महिला आरक्षण के प्रावधान वाले ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ को कानून बनाने के लिए संकल्पबद्ध है। मोदी ने कहा, नारी शक्ति वंदन अधिनियम के माध्यम से हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा। मैं देश की माताओं, बहनों और बेटियों को नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

लोकसभा में 181 महिला सांसद

महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने के बाद लोकसभा में कुल 181 महिला सांसद हो जाएंगी। बिल का उद्देश्य राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नीति-निर्माण में महिलाओं की अधिक भागीदारी को सक्षम बनाना है। इसमें कहा गया है कि परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने के बाद आरक्षण लागू होगा और 15 वर्षों तक जारी रहेगा।

छत्तीसगढ़ विधानसभा में होगी 30 सीटें

विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित की जाएंगी। छत्तीसगढ़ विधानसभा में 90 सीटें हैं। ऐसे में महिलाओं को 30 सीटें मिलेंगी। इसी तरह उत्तर प्रदेश विधानसभा में कुल 403 सीटें हैं। इनमें से 84 सीटें अनुसूचित जाति के लिए और दो सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। महिला आरक्षण लागू होने के बाद 134 सीटें महिलाओं के लिए सुरक्षित हो जाएंगी।

अब तक इतना प्रतिनिधित्व

लोकसभा में 1951 में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 5 प्रतिशत था जो 1957 में भी वही रहा। 1962 और 1967 में यह आंकड़ा बढ़कर 6 प्रतिशत हो गया और 1971 में 5 प्रतिशत, 1977 में 4 प्रतिशत प्रतिनिधित्व दर्ज किया गया। 1980 में महिला सदस्यों की संख्या 5 प्रतिशत, 1984 में 8 प्रतिशत, 1989 में 6 प्रतिशत, 1991 में 7 प्रतिशत, 1996 में 7 प्रतिशत, 1998 में 8 प्रतिशत, 1999 में 9 प्रतिशत, 2004 में 8 प्रतिशत, 2009 में 11 प्रतिशत और 2014 में 12 प्रतिशत दर्ज की गयी।

कब तक करना होगा इंतजार

बिल में प्रस्तावित कानून के मुताबिक इसके लिए 2029 तक इंतजार करना पड़ेगा। बिल के कानून बनने के बाद पहले परिसीमन होगा, इसके बाद ही महिला आरक्षण कोटा लागू किया जा सकता है। गौरतलब है कि परिसीमन अगली जनगणना के बाद ही होगा और जनगणना 2027 में होने के आसार हैं। 2002 में संशोधित अनुच्छेद 82 के मुताबिक परिसीमन प्रक्रिया 2026 के बाद हुई पहली जनगणना के आधार पर की जा सकती है।

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