आधुनिक ड्रोन भी तैनात फिर भी अनंतनाग में आतंकियों से निपटना क्यों हो रहा मुश्किल?

  • हालिया आतंकी हमले ने दक्षिण कश्मीर को फिर से ला दिया है सुर्खियों में

-तीन दिनों से जारी है मुठभेड़, 3 जवान व एक अफसर की जा चुकी है जान

(फोटो : जवान)

श्रीनगर। अनंतनाग जिले के कोकेरनाग इलाके में मुठभेड़ के दौरान सेना के दो अधिकारियों और जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी की मौत ने अस्थायी शांति के बाद दक्षिण कश्मीर को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। अनंतनाग जिले में दो दिनों से भी ज्यादा समय से चल रही मुठभेड़ अभी भी जारी है। सुरक्षाबल आतंकवादियों को ढेर करने के लिए नई पीढ़ी के हथियारों और उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं। 48 घंटे से अधिक समय से चल रहे ऑपरेशन में सेनाएं हमला करने में सक्षम घातक हेरॉन ड्रोन का भी इस्तेमाल कर रही हैं। बावजूद इसके आतंकियों से निपटना मुश्किल हो रहा है। हाल के महीनों में, पीर पंजाल रेंज के तहत आने वाले दक्षिणी क्षेत्र, जैसे पुंछ, राजौरी और जम्मू, आतंकवाद विरोधी अभियानों का केंद्र रहे हैं। इनकी मुख्य वजह ये रही है कि यहां आतंकियों को अधिक दृश्यता मिलती है और वे सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए हाई पॉइंट पर होते हैं। जनवरी 2021 इस साल 30 मई के बीच पीर पंजाल रेंज के दोनों ओर 24 सुरक्षाकर्मी और 75 नागरिक मारे गए।

आतंकवादियों की महत्वपूर्ण जगह

वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, जंगलों में छिपे आतंकियों की संख्या कम है लेकिन इलाके की दुर्गम स्थिति के कारण वे अभी भी बचे हुए हैं। अधिकारियों का कहना है कि अनंतनाग पीर पंजाल रेंज और श्रीनगर के बीच स्थित है और इसकी पहुंच डोडा तक भी है। यही वजह है कि ये इलाका आतंकवादियों के लिए महत्वपूर्ण जगह है। एक अधिकारी ने कहा कि “यहां आतंकवादियों को शुरुआत में काफी सफलता मिली इसलिए ये इलाका उनका केंद्र बन गया। पूरी घाटी में आतंकवादियों की कुल संख्या में कमी के बावजूद, दक्षिण कश्मीर के कुछ इलाके अभी भी चिंता का विषय हैं।” अनंतनाग से रियासी और कुलगाम सहित पीर पंजाल रेंज के अन्य क्षेत्रों से कनेक्टिविटी आसान है। यही कारण है कि घुसपैठ करने वाले आतंकवादी यहां पहुंच सकते हैं और पूरी घाटी में फैल सकते हैं। जम्मू-कश्मीर में सैनिकों को आतंकवाद विरोधी और घुसपैठ विरोधी ग्रिड में तैनात किया गया है।

ड्रोन से निगरानी और तलाशी अभियान जारी

सेना इस बार लगातार जंगलों की निगरानी के लिए अधुनिक तकनीकि का इस्तेमाल कर रही है। अनंतनाग जिले में कल सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ के बाद सुरक्षा बलों द्वारा ड्रोन से निगरानी और तलाशी अभियान जारी है। राष्ट्रीय रायफल्स (आरआर) की विक्टर फोर्स और किलो फोर्स श्रीनगर स्थित 15 कोर के अंतर्गत काम करती हैं, जो कश्मीर को कवर करती है। वहीं रोमियो फोर्स और डेल्टा फोर्स नगरोटा स्थित 16 कोर का हिस्सा हैं। 2020 में चीन के साथ सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद आरआर की यूनिफॉर्म फोर्स को 16 कोर से एलएसी के साथ 14 कोर क्षेत्र में शिफ्ट कर दिया गया है।

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टीआरएफ ने ली है हमले की जिम्मेदारी

जम्मू कश्मीर में बुधवार को हुए हालिया हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है। टीआरएफ पिछले तीन साल से घाटी में सक्रिय है और उसे अवैध भी घोषित किया जा चुका है। इससे पहले राजौरी में हुए हमले की जिम्मेदारी पीपुल्स एंटी फासिस्ट फोर्स (पीएएफएफ) ले चुका है।

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