- सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से पूछा
गिल्ड के चार सदस्यों को राहत, गिरफ्तारी से सुरक्षा दो सप्ताह के लिए बढ़ी
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के चार सदस्यों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में गिरफ्तारी से सुरक्षा दो सप्ताह के लिए बढ़ा दी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता से यह भी जानना चाहा कि मणिपुर में एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों के खिलाफ समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का अपराध कैसे बनता है? मणिपुर सरकार ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इसी को लेकर एडिटर्स गिल्ड ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। ईजीआई ने अपने सदस्यों के खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर रद्द कराने की मांग की थी। बता दें, मणिपुर में चार महीनों से हिंसा जारी है। तीन मई को भड़की जातीय हिंसा में कम से कम 175 लोग मारे जा चुके हैं। वहीं, एक हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।
चार सितंबर को कराया था केस दर्ज
एडिटर्स गिल्ड ने दावा किया था कि मणिपुर की जातीय हिंसा पर एक पक्षीय मीडिया रिपोर्टिंग हुई है। इसके खिलाफ मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने चार सितंबर को कहा था कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा और तीन सदस्य सीमा गुहा, भारत भूषण और संजय कपूर के खिलाफ एक शिकायत के आधार पर पुलिस में मामला दर्ज किया गया है और उन पर राज्य में हिंसा भड़काने की कोशिश के आरोप हैं। मानहानि के अतिरिक्त आरोप के साथ चार सदस्यों के खिलाफ दूसरी प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी। वहीं, एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों की रिपोर्ट को मणिपुर सरकार ने फर्जी और स्पॉन्सर बताया था। एफआईआर में बताया गया कि रिपोर्ट में गलत तथ्य बताए गए। जुलाई में भी मणिपुर सरकार ने तीन महिलाओं के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की थी। इन महिलाओं की फैक्ट फाइंडिंग टीम ने भी राज्य में जारी हिंसा को सरकार द्वारा स्पॉन्सर बताया था।
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मणिपुर हिंसा के चार महीने: 175 की मौत, 1100 से ज्यादा घायल
मणिपुर में चार महीनों से हिंसा जारी है। तीन मई को भड़की जातीय हिंसा में कम से कम 175 लोग मारे जा चुके हैं। वहीं, एक हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। आईजीपी (ऑपरेशन्स) आईके मुइवा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मणिपुर में फिलहाल हालात सही नहीं हैं। हालांकि, हम शांति लाने के लिए हर संभव कार्रवाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम राज्य के लोगों को आश्वस्त कर सकते हैं कि पुलिस, केंद्रीय बल और नागरिक प्रशासन सामान्य स्थिति वापस लाने के लिए चौबीसों घंटे प्रयास कर रहे हैं। मुइवा ने कहा कि मई की शुरुआत में जातीय हिंसा भड़की थी। तब से लेकर अबतक कम से कम 175 लोग मारे गए, जिनमें से नौ अभी भी लापता हैं। वहीं, 1,108 घायल हुए, जबकि करीब 32 लोग लापता हैं।
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