चांद पर सबसे बड़ी खोज में कामयाब हुआ मिशन चंद्रयान, पानी की हुई पुष्टि

चंद्रयान-1 के डेटा से मिली अहम जानकारी, अमेरिकी वैज्ञानिकों ने किया खुलासा

नई दिल्ली। चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चांद पर लैंड हो गया। वहीं लैंडर विक्रम और रोवर लगातार चांद से नई-नई जानकारियां भेज रहे हैं। इस बीच चंद्रयान 1 ने चांद पर पानी खोजा है। हालांकि इस बात का पता बहुत पहले ही चल चुका था, लेकिन चंद्रयान 1 ने जो नई जानकारी भेजी है, उसके आधार पर वैज्ञानिकों का दावा है कि धरती की वजह से ही चांद पर पानी बन रहा है। स्टडी के मुताबिक, प्रोटॉन जैसे हाई एनर्जी पार्टिकल्स से बनी सोलर विंड चंद्रमा की सतह पर बिखर जाती है, इस वजह से चंद्रमा पर पानी बन जाता है। रिपोर्ट के अनुसार चंद्रयान 1 के एक यंत्र ने पानी के कणों को देखा है। बता दें कि चंद्रयान 1 भारत का पहला मून मिशन था।

अमेरिकी वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्रयान-1 से जो डेटा मिले हैं उनसे पता चलता है कि ये इलेक्ट्रॉन्स पृथ्वी की प्लाज्मा शीट में हैं और इनकी वजह से हीमौसमी प्रक्रिया होती हैं। बता दें कि चांद में पानी की संभावनाओं की बात लंबे समय से की जा रही है। चंद्रयान-3 का उद्देश्य भी पानी समेत दूसरे महत्वपूर्ण खनिजों का पता लगाना है।

रात के वक्त चांद पर बनता है पानी

वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक सूरज की रोशनी रहती है। यानी धरती के 28 दिन के बराबर चांद का 1 दिन होता है। वैज्ञानिकों की टीम का दावा है कि जब यहां सूरज की रोशनी नहीं होती तो सोलर विंड की बौछार होती है। इसी दौरान पानी बनने का दावा किया गया है। वैज्ञानिक भाषा में कहें तो प्रोटॉन जैसे हाई एनर्जी पार्टिकल्स से बनी सोलर विंड चंद्रमा की सतह पर बिखर जाती है जिससे पानी बनता है।

पानी तो मिला लेकिन कितनी मात्रा में?

चांद की सतह पर पानी तो बन रहा है, लेकिन यहां पानी कहां और कितनी मात्रा में है, यह वैज्ञानिकों को नहीं पता चल पाया है और यह पता करना भी मुश्किल है। इसके अलावा वैज्ञानिकों को चांद पर पानी की उत्पत्ति की वजह का भी पता नहीं चल पा रहा है। वैज्ञानिकों का दावा है कि अगर यह पता चल जाए कि चांद पर पानी कैसे और कहां मिलेगा, या फिर पानी कितनी जल्दी बन सकता है तो भविष्य में वहां पर इंसानी बस्ती बसाने में मदद मिलेगी।

चंद्रयान-1 ने पानी का दिया था संकेत

ज्ञात हो कि 2008 में लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी का संकेत दिया था। भारत के इस मिशन से भी चांद के बारे में कुछ ठोस जानकारी सामने आई थी। उस मिशन के डेटा अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों का मानना है कि चांद की सतह पर बर्फ भी मौजूद है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि चांद के पोलर रीजन तक सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचती है और वहां का तापमान -200 डिग्री हो सकता है।

2008 में लॉन्च हुआ था चंद्रयान-1

भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक चंद्रयान-1 का लॉन्च माना जाता है। इसरो ने 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 का सफल लॉन्च किया था। चांद पर अपना मिशन भेजने वाला भारत चौथा देश है। 2008 में भारत से पहले अमेरिका, रूस और चीन ने चांद पर अपना मिशन भेजा था। चंद्रयान-1 को भी श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से ही लॉन्च किया गया था. चंद्रयान-1 ने चांद की 70 तस्वीरें भेजी थीं।

0000000000

प्रातिक्रिया दे