विक्रम की दोबारा लैंडिंग, अब 22 को जागेगा प्रज्ञान

— चंद्रमा पर पुन: सॉफ्ट लैंडिंग के बाद चंद्रयान-3 के पेलोड 22 तक निष्क्रिय

बेंगलुरु। चंद्र मिशन के ‘विक्रम’ लैंडर के चंद्रमा की सतह पर एक बार फिर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को कहा कि अब चंद्रयान के पेलोड निष्क्रय हो गए हैं। इसरो ने कहा कि सफल ‘होप’ परीक्षण में विक्रम लैंडर को एक बार फिर चंद्रमा की सतह पर उतारा गया। इस परीक्षण से वैज्ञानिकों को भविष्य के चंद्र मिशनों में मदद मिलेगी जहां पृथ्वी पर नमूने भेजे जा सकते हैं। इससे भी महत्वपूर्ण कि उन मानव मिशनों में मदद मिल सकती है जिनकी योजना बनाई जा रही है। इसरो ने घोषणा की कि चंद्रयान-3 मिशन का विक्रम लैंडर भारतीय समयानुसार सुबह करीब आठ बजे सुप्तावस्था में चला गया। इससे पहले चास्ते, रंभा-एलपी और इलसा पेलोड द्वारा नये स्थान पर यथावत प्रयोग किये गये। जो आंकड़े संग्रहित किये गये, उन्हें पृथ्वी पर भेजा गया। उसने कहा कि पेलोड को बंद कर दिया गया और लैंडर के रिसीवर को चालू रखा गया है।

इसरो ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर बताया कि कमांड मिलने पर ‘विक्रम’ (लैंडर) ने इंजनों को ‘फायर’ किया। अनुमान के मुताबिक करीब 40 सेंटीमीटर तक खुद को ऊपर उठाया और आगे 30-40 सेंटीमीटर की दूरी पर सुरक्षित लैंड किया। इसरो ने कहा कि ‘विक्रम’ लैंडर अपने मिशन के उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में और आगे बढ़ गया। इसरो ने कहा कि अभियान की महत्वपूर्ण बात यह है कि इस प्रक्रिया से अब भविष्य में ‘सैंपल’ वापसी और चंद्रमा पर मानव अभियान को लेकर आशाएं बढ़ गई हैं। इसरो ने पोस्ट में कहा, ‘विक्रम’ ने एक बार फिर चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की। ‘विक्रम’ लैंडर अपने उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में और आगे बढ़ा। यह उम्मीद भरे एक प्रयोग से सफलतापूर्वक गुजरा। इसरो ने कहा था, सौर ऊर्जा खत्म हो जाने और बैटरी से भी ऊर्जा मिलना बंद हो जाने पर विक्रम, प्रज्ञान के पास ही निष्क्रिय अवस्था में चला जाएगा। इसरो के अनुसार 22 सितंबर, 2023 के आसपास सक्रिय होने की उम्मीद है। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने पहले कहा था कि चंद्र मिशन के रोवर और लैंडर चंद्रमा की रात में निष्क्रिय हो जाएंगे। भारत ने 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 के ‘विक्रम’ लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इतिहास रच दिया था। भारत चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाला चौथा देश और इसके दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है।

क्याें कराई दोबारा लैंडिंग

इसरो ने बताया कि लैंडर को ऊपर उठाने से पहले उसका रैंप, पेलोड चास्टे और इल्सा को फोल्ड किया गया। दोबारा सफल लैंडिंग के बाद सभी उपकरणों को पहले की तरह सेट कर दिया गया। ये एक्सपेरिमेंट 3 सितंबर को किया गया। इसका मकसद फ्यूचर ऑपरेशन को सुनिश्चित करने और सैंपल वापसी को नई उम्मीद देना है।

22 सितंबर को नई उम्मीद

बैटरी भी पूरी तरह चार्ज है। रोवर को ऐसी दिशा में रखा गया है कि 22 सितंबर 2023 को जब चांद पर अगला सूर्योदय होगा तो सूर्य का प्रकाश सौर पैनलों पर पड़े। इसके रिसीवर को भी चालू रखा गया है। उम्मीद की जा रही है कि 22 सितंबर को ये फिर से काम करना शुरू करेगा।

14 दिन का चंद्रयान-3 मिशन

चंद्रयान-3 मिशन 14 दिनों का ही है। ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक उजाला रहता है। रोवर-लैंडर सूर्य की रोशनी में तो पावर जनरेट कर सकते हैं, लेकिन रात होने पर पावर जनरेशन प्रोसेस रुक जाएगी। पावर जनरेशन नहीं होगा तो इलेक्ट्रॉनिक्स भयंकर ठंड को झेल नहीं पाएंगे और खराब हो जाएंगे।

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