‘विज्ञान और आध्यात्मिकता दोनों अहम, इसलिए मंदिरों में जाता हूं’

  • तिरुवनंतपुरम के भद्रकाली मंदिर में दर्शन के बाद बोले इसरो चीफ
  • मीडिया से बातचीत में कहा, मैं एक खोजकर्ता हूं

तिरुवनंतपुरम। भारत के चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इसरो के वैज्ञानिक को देश-विदेश से बधाई मिल रही है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को विदेश यात्रा से सीधे बेंगलुरु पहुंचकर वैज्ञानिकों को बधाई दी थी। वहीं चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो प्रमुख रविवार को तिरुवनंतपुरम में पूर्णमिकवु के भद्रकाली मंदिर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने यहां भद्रकाली का आशीर्वाद लिया।

तिरुवनंतपुरम में पूर्णमिकवु में भद्रकाली मंदिर की अपनी यात्रा पर इसरो चीफ एस सोमनाथ ने मीडिया से बातचीत में कहा, मैं एक खोजकर्ता हूं। मैं चंद्रमा का अन्वेषण करता हूं। विज्ञान और आध्यात्मिकता दोनों की खोज करना मेरे जीवन की यात्रा का एक हिस्सा है, इसलिए मैं कई मंदिरों में जाता हूं और कई धर्मग्रंथ पढ़ता हूं। इसलिए इस ब्रह्मांड में हमारे अस्तित्व और हमारी यात्रा का अर्थ खोजने का प्रयास करें। यह संस्कृति का एक हिस्सा है जिसे हम सभी आंतरिक और बाहरी चीजों का पता लगाने के लिए बनाए गए हैं। इसलिए मैं बाहरी दुनिया के लिए विज्ञान का प्रयोग करता हूं आंतरिक आत्मा की संतुष्टि के लिए मंदिरों में जाता हूं।’

‘शिवशक्ति’ नाम रखने में कुछ भी गलत नहीं

चंद्रयान-3 के टचडाउन पॉइंट को ‘शिवशक्ति’ नाम रखने पर इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका अर्थ उस तरीके से बताया जो हम सभी के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। पीएम मोदी ने इसका अर्थ भी बताया है। इसरो चीफ ने कहा कि ‘शिवशक्ति’ और ‘तिरंगा’ दोनों भारतीय नाम हैं। सोमनाथ ने आगे कहा कि देखिए, हम जो कर रहे हैं उसका एक महत्व होना चाहिए और देश के प्रधानमंत्री होने के नाते यह नाम रखने का उनका विशेषाधिकार है।’

सबकुछ अच्छे से काम कर रहा

चंद्रयान-3 की सफलता के बाद आगे की प्रक्रिया के बारे में इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा, ‘सब कुछ बहुत अच्छे से काम कर रहा है। लैंडर और रोवर पूरी तरह से अपना ठीक काम कर रहे हैं। बोर्ड पर सभी पांच उपकरण चालू कर दिए गए हैं और यह एक अच्छा डाटा दे रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले दिनों में तीन सितंबर से पहले दस दिन शेष रहते हुए हम विभिन्न तरीकों की पूरी क्षमता के साथ सभी प्रयोगों को पूरा करने में सक्षम होंगे।

000

प्रातिक्रिया दे