चंद्रयान-2 ने चंद्रयान-3 से कहा-स्वागत है दोस्त!

चंद्रयान-2 ऑर्बिटर और चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल के बीच संपर्क स्थापित

बेंगलुरु। इसरो ने सोमवार को कहा कि चंद्रयान-2 के ‘आर्बिटर’ और चंद्रयान-3 के ‘लुनार मॉड्यूल’ के बीच दोतरफा संचार स्थापित हुआ है। राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, स्वागत है दोस्त! चंद्रयान-2 आर्बिटर ने औपचारिक रूप से चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल का स्वागत किया। दोनों के बीच दोतरफा संचार स्थापित हो गया है। एमओक्स (मिशन ऑपरेशंस कॉम्पलेक्स) के पास अब लैंडर मॉड्यूल तक पहुंचने के लिए अधिक मार्ग हैं। इसरो ने रविवार को कहा कि चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल के 23 अगस्त को शाम करीब छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है। एमओएक्स यहां इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) में स्थित है। चंद्रयान-2 मिशन 2019 में भेजा गया था। इस अंतरिक्षयान में आर्बिटर, लैंडर और रोवर शामिल था। लैंडर के अंदर एक रोवर था। लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे यह मिशन के ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम रहा था।

चंद्रमा के सुदूर पार्श्व भाग की तस्वीरें इसरो ने जारी की

इसरो ने ‘लैंडर हजार्ड डिटेक्टशन एंड अवॉइडेंस कैमरा’ में कैद की गई चंद्रमा के सुदूर पार्श्व भाग की तस्वीरें सोमवार को जारी कीं। एलएचडीएसी को इसरो के अहमदाबाद स्थित प्रमुख अनुसंधान एवं विकास केंद्र ‘स्पेस ऐप्लीकेशंस सेंटर’ ने विकसित किया है। यह कैमरा लैंडिंग के लिहाज से सुरक्षित उन क्षेत्र की पहचान करने में मदद करता है, जहां बड़े-बड़े पत्थर या गहरी खाइयां नहीं होती हैं। अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, चंद्रयान-3 मिशन के कई लक्ष्यों को हासिल करने के लिए लैंडर में एलएचडीएसी जैसी कई अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां मौजूद हैं।

चांद पर अशोक स्तंभ की छाप छोड़ेगा प्रज्ञान

चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे एम. अन्नादुरई के मुताबिक 23 अगस्त की शाम को चंद्रयान-3 के लैंडर को 25 किमी की ऊंचाई से चांद की सतह तक पहुंचने में 15 से 20 मिनट लगेंगे। यही समय सबसे क्रिटिकल होने वाला है। इसके बाद विक्रम लैंडर से रैंप के जरिए छह पहियों वाला प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा और इसरो से कमांड मिलते ही चांद की सतह पर चलेगा। इस दौरान इसके पहिए चांद की मिट्‌टी पर भारत के राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो की छाप छोड़ेंगे।

सबसे कठिन परीक्षा की तैयारी

23 अगस्त को भारत रचेगा नया इतिहास

20 मिनट होंगे अहम

चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर चांद के दरवाजे तक तो पहुंच गया है लेकिन उसकी सतह पर उतरना ही भारत के इस मिशन के लिए सबसे कठिन परीक्षा और चुनौती होगी। जैसे किसी विमान के लिए टेक ऑफ और लैंडिंग सबसे अहम पल होते हैं। उसी तरह अंतरिक्ष यान के लिए भी चांद की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग सबसे जटिल प्रक्रिया है, जिसे आखिरी बीस मिनट में अंजाम दिया जाएगा। चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर को उतारने की प्रक्रिया शुरू होगी, उससे पहले बेंगलुरु के इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क सेंटर के मिशन ऑपरेशन कॉम्पलैक्स में सैकड़ों सेंसर और उपकरण चेक किए जाएंगे। साथ ही मिशन प्रोटोकॉल के अनुसार ज़रूरी प्रक्रियाओं को एक-एक कर पूरा किया जाएगा।

दरअसल, मिशन कंट्रोल रूम में लगी एक दर्जन वॉल स्क्रीन पर जहां चंद्रयान-3 की लगातार ट्रैकिंग का डेटा का डिस्प्ले होगा, वहीं मिशन से जुड़े 50 से अधिक वैज्ञानिक, अहम मिशन डायरेक्टर्स और स्वयं इसरो चेयरमैन भी लैंडिंग शुरू होने से पहले वहां मौजूद होंगे। इसरो वैज्ञानिकों की अलग अलग टीमें लगातार विक्रम लैंडर के हर बारीक पहलू और उसकी सेहत से जुड़ी जानकारियों को एनालाइज करेंगी। साथ ही चन्द्रयान 3 में मौजूद विशेष कम्प्यूटर से हासिल जानकारियों को भी मॉनिटर किया जाएगा।

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