कोरबा जिले के पसान क्षेत्र में था केंद्र
कोरबा/बैकुंठपुर/जीपीएम। छत्तीसगढ़ की उर्जा और कोयला नगरी कहे जाने वाले कोरबा, उसके पड़ोसी जिले गौरेला-पेंड्रा-मरवाही एवं कोरिया जिले में रविवार की सुबह कुछ सेकंड के लिए भूकंप के झटके महसूस किए गए। सुबह भूकंप आने से अफरातफरी मच गई। पलंग हिलने लगा, लोग घरों से बाहर निकल आए। बताया जा रहा है कि सुबह 9 बजकर 9 मिनट में भूकंप के झटके लोगों ने महसूस किए। रिएक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.6 आंकी गई है। जिसका केंद्र कोरबा जिले के पसान क्षेत्र में 22.79 अक्षांश और 82.16 देशांतर पर जमीन के 0.5 किमी नीचे था।
रविवार की सुबह कोरबा, जीपीएम एवं कोरिया जिले में कुछ स्थानों पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। बताया जा रहा है कि सुबह 9 बजकर 9 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। स्थानीय नागरिकों ने बताया कि करीब तीन से चार सेकेंड तक भूकंप के झटके महसूस किए गए थे, भूकंप के झटके महसूस करने के बाद लोग अपने घरों से बाहर भी निकल गए थे। पेंड्रा के कुछ घरों में हल्की दरारें आने की बात सामने आ रही है, राहत की बात है कि कोई बड़ी घटना नहीं हुई।
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3.6 तीव्रता का भूकंप
मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार यह 3.6 तीव्रता का भूकंप था, इसका केन्द्र गौरेला से 35 किलोमीटर दूर कोरबा जिले का पसान क्षेत्र बताया जा रहा है। वहीं भूकंप की खबर से लोगों में अफरा-तफरी मच गई थी जबकि प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने की अपील की है वही कुछेक घरों में हल्की दरार भी पड़ने की सूचना मिली है।
प्रदेश की इकलौती वेधशाला में भूकंप की तीव्रता का पता ही नहीं चलता, डाटा जाता है सीधे दिल्ली
- ग्लोबल नेटवर्क सिस्टम के जरिए भू-गर्भ की हलचल पर नजर रखने का दावा
- बहतराई में देश की 10 वीं भूकंप वेधशाला, रोजाना सुबह 8.30 बजे ली जाती है रिपोर्ट
बिलासपुर। भूकंप के झटके देश के किसी भी हिस्से में आए, इसकी तीव्रता छत्तीसगढ़ में स्थित इकलौती भूकंप वेधशाला में दर्ज होती है लेकिन यहां इसकी जानकारी नहीं मिलती। यहां से डाटा सीधे दिल्ली भेज दिया जाता है। दरअसल बहतराई के मौसम विज्ञान केंद्र में प्रदेश की एकमात्र वेधशाला है। यहां ग्लोबल नेटवर्क सिस्टम के जरिए भू-गर्भ की हलचल पर नजर रखी जाती है। सेटेलाइट सिस्टम के जरिए यह रिकॉर्ड सीधे डेटा कलेक्शन केंद्र दिल्ली को भेजा जाता है। बिलासपुर में इसकी कोई जानकारी नहीं होती और पूरी निर्भरता दिल्ली पर होती है जहां से घटना होने के काफी देर बाद ही कोई रिपोर्ट मिल पाती है। रविवार को भी ऐसा ही हुआ। कोरबा और पेण्ड्रा में भूकंप के झटके महसूस होने के बाद बिलासपुर केन्द्र में संपर्क किया गया लेकिन कोई खास जानकारी नहीं मिल सकी।
बिलासपुर के बहतराई में देश की 10 वीं भूकंप वेधशाला है। दुनिया में कहीं भी भूकंप आए, उसकी तीव्रता यहां दर्ज होती है। यहां 24 घंटे ग्लोबल सीस्मिक नेटवर्क (जीएसएन) से भूकंप की निगरानी की जाती है। रोजाना सुबह 8.30 बजे रिपोर्ट दिल्ली जाती है। न भी भेजी जाए तो सैटेलाइट के जरिए जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) को मिल जाती है। यहां अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित सिस्मोग्राफ मशीन लगाई गई है जिसे ऐसे प्लेटफॉर्म से जोड़ा गया है जाे कि 15 फीट की गहराई से लेकर समतल तक होगा। अधिकारियों के मुताबिक प्लेटफॉर्म में अटैच सेंसर भूकंप की तीव्रता जीएसएन को भेजता है। इस केन्द्र में दो स्टाफ है जो सिर्फ मेंटेनेंस का काम देखते हैं। कितनी तीव्रता दर्ज हुई और उसके क्या प्रभाव रहे यह दिल्ली से मालूम पड़ता है।
अमरकंटक जोन 2 में अधिक खतरा
दरअसल भूकंप के खतरे के हिसाब से देश को पांच जोनों में बांटा गया है। राज्य में मरकेली स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5 मैग्नीट्यूड तक मापी जा चुकी है। बिलासपुर मुख्यालय से 120 किमी दूर अमरकंटक जोन-2 है। सरगुजा व कोरिया जिले जोन-3 में आते हैं, जहां भूकंप की तीव्रता अधिक होती है। पहले राज्य भूकंप के जोन-4 व जोन-5 में था। सतपुड़ा और विध्यांचल से गुजरने वाली नर्मदा नदी के नीचे भू-गर्भ की चट्टानों में अपभ्रंश है। सिस्मोलॉजी की भाषा में इसे फॉल्ट कहा जाता है। इनमें टकराव के कारण विगत वर्षों में बिलासपुर, सरगुजा, जबलपुर, खरगोन, इंदौर, निमाड़ और खंडवा में भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता वेधशाला में लगी मशीन में दर्ज हो जाती है।
1988 में जबड़ापारा में शुरू हुई थी वेधशाला
ज्ञात हो कि अविभाजित मध्य प्रदेश में 1983 में भूकंप वेधशाला की शुरुआत शहर के जबड़ापारा से हुई थी। बाद में कुछ साल इसका आफिस नेहरू नगर में था। फिर गुरुघासीदास यूनिवर्सिटी के तत्कालीन कुलपति प्रो. आरके सिंह ने इसे कोनी में शिफ्ट करा दिया। बाद में वर्ष 2007 में बहतराई में वेधशाला की बिल्डिंग बनी और मौसम विज्ञान केंद्र में प्रदेश की एकमात्र वेधशाला खोली गई। यहां बारिश व तापमान के आंकड़े भी रिकार्ड होते हैं।
सिस्मोग्राफ के नए इक्विपमेंट लगाए गए
अधिकारियों के मुताबिक अक्टूबर 2012 में जब जबलपुर सहित आस-पास के इलाकों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए जाने के बाद नर्मदा फॉल्ट का पता चला और इसके बाद ही बिलासपुर की भूकंप वेधशाला को अपग्रेड किया गया है। बिलासपुर समेत देश की 78 वेधशालाओं में सिस्मोग्राफ के नए इक्विपमेंट लगाए गए हैं। इससे अमरकंटक और नर्मदा के भू-गर्भ में 150 वर्ग किमी क्षेत्र में होने वाले भूकंपीय झटकों का कुछ सेकेंड में पता लगाया जा रहा है। इसकी तकनीक खास है जिससे भूकंप और माइनिंग विस्फोट के अलग-अलग संकेत मिलते हैं।
बिलासपुर में दर्ज नहीं होती रीडिंग
यहां ग्लोबल नेटवर्क सिस्टम के जरिए भू-गर्भ की हलचल पर नजर रखी जाती है। सेटेलाइट सिस्टम के जरिए यह रिकॉर्ड सीधे डेटा कलेक्शन केंद्र दिल्ली को भेजा जाता है। बिलासपुर में रीडिंग दर्ज नहीं होती। रविवार को आए भूकंप का प्रभाव कोरबा और पेण्ड्रा में था। बिलासपुर में कोई असर नहीं हुआ।
- राहुल यादव, मौसम वैज्ञानिक
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