आप को दोहरा झटका, संजय के बाद चड्ढा भी सस्पेंड, अधीर मामले में सुप्रीम कोर्ट जाएगी कांग्रेस

जांच पूरी होने तक दोनों राज्य सभा से रहेंगे सस्पेंड, विपक्ष ने किया कार्रवाई का बहिष्कार

फोटो राज्य सभा नाम से ……

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को भी राज्यसभा से सस्पेंड कर दिया गया है। बता दें कि एक दिन पहले राघव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इसी को आधार बनाकर चड्ढा को सस्पेंड किया गया है। दरअसल, जब मामला प्रिवेलेज कमेटी के पास है तो मीडिया में खुद को डिफेंड करना नियमों का उल्लंघन माना गया है। इसके अलावा आप के दूसरे सांसद संजय सिंह की मुश्किलें भी कम नहीं हुई हैं। उनका सस्पेंशन भी बढ़ा दिया गया है। आप के दोनों नेताओं को विशेषाधिकार समिति का फैसला आने तक राज्यसभा से निलंबित किया गया है। राघव पर अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगा है। इधर लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन के निलंबन पर कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का संकेत दिया है।

इधर लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के सस्पेंशन के मामले को लेकर विपक्ष आक्रामक है। अधीर रंजन चौधरी के सस्पेंशन का यह मामला शुक्रवार को राज्यसभा में भी उठा। राज्यसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा नीरव मोदी का नाम लेने पर हमारे नेता को सस्पेंड कर दिया। खड़गे ने कहा कि इतनी सी बात पर सस्पेंड कौन करता है? वहीं कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट जाने का संकेत दिया। इस मामले को लेकर विपक्षी सांसदों ने कार्रवाई का बहिष्कार भी किया।

क्या है राघव चड्ढा पर आरोप?

दरअसल राज्यसभा में जिस दिन दिल्ली सेवा विधायक पर वोटिंग हुई थी, उसी दिन 5 सांसदों ने दावा किया था कि दिल्ली सेवा विधेयक को उनकी सहमति के बिना सेलेक्ट कमेटी को भेजने के प्रस्ताव पर उनके नामों को मेंशन किया गया था। सभी सांसदों ने कहा था कि उन्होंने कोई हस्ताक्षर नहीं किया है, लेकिन उस पर उनके हस्ताक्षर मौजूद थे। सांसदों ने कहा था कि सेलेक्ट कमेटी को भेजने का प्रस्ताव राघव चड्ढा ने दिया था। इन सभी सांसदों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस मामले में जांच की मांग की थी।

कांग्रेस ने दिए सुप्रीम कोर्ट जाने के संकेत

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट जाने का संकेत दिया। उन्होंने कहा कि संविधान की धारा 105 (1) के अनुसार, प्रत्येक सांसद को संसद में बोलने की स्वतंत्रता है। यदि बहुमत की शक्ति का दुरुपयोग करके किसी भी सांसद को इस तरह निलंबित किया जाता है, तो यह लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। यह एक उपयुक्त मामला है। हम सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएं।’

कई सांसदों ने लगाए फर्जी हस्ताक्षर के आरोप

जैसे ही विवाद सामने आया था उसके बाद राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा था कि इसकी जांच कराई जाएगी। बीजेडी के सांसद सस्मित पात्रा, बीजेपी के नरहरि अमीन, सुधांशु त्रिवेदी, फांगनोन कोनयांक और उपसभापति थंबीदुरई ने आरोप लगाया था कि उनके फर्जी हस्ताक्षर किए गए हैं। थंबीदुरई एआईएडीएमके से सांसद हैं।

राघव चड्ढा ने आरोपों को बताया झूठा

इस मुद्दे को लेकर राघव चड्ढा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उन्होंने कहा था कि यह सभी आरोप झूठे हैं। हम विशेषाधिकार समित द्वारा भेजे गए नोटिस का जवाब देंगे। आपको बता दें कि राघव चड्ढा ने कहा था कि बीजेपी उनकी छवि को नुकसान पहुंचाना चाहती है और वह भाजपा के हाथकंडे का खुलासा करेंगे।

इस कारण किया गया चड्ढा को सस्पेंड

राघव चड्ढा ने जो प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी उसी के आधार पर उनको संसद से निलंबित किया गया है। जब कोई मामला प्रिविलेज कमेटी के पास होता है तो मीडिया में संबंधित व्यक्ति को डिफेंड करना नियमों का उल्लंघन माना जाता है। राघव चड्ढा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खुद को डिफेंड किया और इसे नियमों का उल्लंघन माना गया।

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