नई दिल्ली। देश में 1860 से 2023 तक अंग्रेजों के समय से चले आ रहे तीन कानून बदल जाएंगे। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मानसून सत्र के आखिरी दिन तीन विधेयक पेश किए। शाह ने जिन विधयकों को पेश किया उनके कानून बनने के साथ ही राजद्रोह खत्म हो जाएगा। इसके अलावा इसमें मॉब लिंचिंग, नाबालिग से दुराचार के मामलों में मौत की सजा तक का प्रावधान होगा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मॉनसून सत्र के आखिरी दिन लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य विधेयक और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में सुधार के लिए तीन विधेयक पेश किए। इस दौरान अमित शाह ने कहा कि उनमें भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023, भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक शामिल हैं। शाह ने बताया कि नए कानून बनने से 533 धाराएं खत्म होंगी. 133 नई धारा शामिल की गई हैं जबकि 9 धारा को बदल दिया गया है। इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल, एसएमएस, लोकेशन साक्ष्य, ईमेल आदि सबकी कानूनी वैधता होगी। दिल्ली में हर जगह 7 साल से अधिक सजा वाले केस में एफएसएल जांच को अनिवार्य कर दिया गया है। यौन हिंसा के मामले में पीड़िता का बयान कंपलसरी किया गया है. पीड़ित को सुने बगैर कोई केस वापस नहीं किया जा सकेगा। 3 साल तक की सजा वाले मामले में समरी ट्रायल को लागू किया गया है। मामले का जल्द निपटारा किया जाएगा। चार्ज फ्रेम होने के 30 दिन के अंदर ही फैसला देना होगा। फैसला 7 दिन के अंदर ऑनलाइन उपलब्ध करना होगा।
राजद्रोह जगह अब होगी नई व्यवस्था
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इन विधेयकों से देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन होगा और सभी को 3 साल में न्याय मिलेगा। सरकार राजद्रोह जैसे कानून को निरस्त करने जा रही है और इसकी जगह ‘अलगाव के कार्य’ नामक एक नई धारा लेगी। इस धारा में राजद्रोह जैसे ही प्रावधान हैं।
मॉब लिंचिंग की बदली गई परिभाषा
पेश किए गए विधेयक में मॉब लिंचिंग की परिभाषा को बदलते हुए कहा गया है कि 5 या 5 से अधिक लोगों का एक समूह एक साथ मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य आधार पर हत्या करता है, तो इसे मॉब लिंचिंग मानी जाएगी। इस मामले से जुड़े हर ऐसे समूह के हर सदस्य को मौत या कारावास से दंडित किया जाएगा। इसमें न्यूनतम सजा 7 साल और अधिकतम मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जाएगा।
नाबालिग से रेप पर सजा-ए-मौत
अमित शाह ने बताया कि नए कानूनों में रेप के कानून में एक नया प्रावधान शामिल किया गया है। गैंग रेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है, 18 वर्ष से कम आयु की बच्चियों के मामले में मृत्युदंड का प्रावधान भी किया गया है। विरोध न करने का मतलब सहमति नहीं है। इसके अलावा गलत पहचान बताकर यौन संबंध बनाने वाले को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
हेट स्पीच पर तीन से 5 साल तक सजा का प्रावधान
नए कानूनों में हेट स्पीच और धार्मिक भड़काऊ स्पीच को भी अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है। अगर कोई व्यक्ति हेट स्पीच देता है, तो ऐसे मामले में तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा कोई धार्मिक आयोजन कर किसी वर्ग, श्रेणी या अन्य धर्म के खिलाफ भड़काऊ स्पीच दी जाती है, तो 5 साल की सजा का प्रावधान होगा।
भगोड़े आरोपियों को सुनाई जाएगी सजा
नए कानून के तहत शाह ने बताया कि हमने एक बहुत ऐतिहासिक फैसला किया है, वो है आरोपी की अनुपस्थिति में ट्रायल। अब सेशन कोर्ट के जज नियमों के मुताबिक, जिसे भगोड़ा घोषित करेंगे, उसकी अनुपस्थिति में ट्रायल होगा और सजा भी सुनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि अभी कई केसों में दाऊद इब्राहिम वांटेड है, वो देश छोड़कर भाग गया। ऐसे में केसों का ट्रायल नहीं चल पा रहा है जो अब समाप्त हो जाएगा।
स्थायी समिति को भेजे गए विधेयक
गृह मंत्री शाह ने कहा कि यह विधेयक स्थायी समिति को भेजे जाएंगे। उन्होंने बताया कि नए विधेयकों से आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम खत्म होंगे और नए कानून से महिलाओं और बच्चों को न्याय मिलेगा। उन्होंने कहा कि इन कानूनों का मकसद किसी को सजा देना नहीं, बल्कि न्याय देना होगा। उन्होंने बताया कि देशभर में लोगों ने इस पर सुझाव दिए हैं, 4 साल इस पर चर्चा हुई और 158 बैठकें हुई हैं।
533 धाराएं खत्म होंगी- अमित शाह
शाह ने बताया कि नए कानून बनने से 533 धाराएं खत्म होंगी. 133 नई धारा शामिल की गई हैं जबकि 9 धारा को बदल दिया गया है। इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल, एसएमएस, लोकेशन साक्ष्य, ईमेल आदि सबकी कानूनी वैधता होगी। दिल्ली में हर जगह 7 साल से अधिक सजा वाले केस में एफएसएल जांच को अनिवार्य कर दिया गया है। यौन हिंसा के मामले में पीड़िता का बयान कंपलसरी किया गया है. पीड़ित को सुने बगैर कोई केस वापस नहीं किया जा सकेगा। 3 साल तक की सजा वाले मामले में समरी ट्रायल को लागू किया गया है। मामले का जल्द निपटारा किया जाएगा। चार्ज फ्रेम होने के 30 दिन के अंदर ही फैसला देना होगा। फैसला 7 दिन के अंदर ऑनलाइन उपलब्ध करना होगा।
000

