नासा का 1971 का मिशन मून बहुत है खास
(फोटो : यूएस मून 1,2,3,4)
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को 2:35 बजे लॉन्च किया था। वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 को धरती की ऑर्बिट से चांद की तरफ भेज दिया है। इसरो की तरफ से चंद्रयान-3 का चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी। जब चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 लैंड करेगा तो यह इसरो के वैज्ञानिकों और देश के लिए उत्साह और खुशी का होगा।
चांद पर कदम रखने वाले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रॉन्ग दुनिया के पहले इंसान थे। आर्मस्ट्रॉन्ग 20 जुलाई 1969 को चांद पर पहुंचे थे। इसके बाद से वैज्ञानिक इस दिशा में लगातार नए-नए कार्य कर रहे हैं। इसके दो साल बाद एक बार फिर ऐसी घटना घटी, जो दुनिया के लिए यादगार बन गई। दरअसल, साल 1971 के मिशन मून के दौरान चांद पर नासा ने ऑफ रोडर कार लूनर रोवर व्हीकल को अंतरिक्ष यात्रियों के साथ भेजा था। अंतरिक्ष यात्रियों ने 31 जुलाई 1971 को चंद्रमा की सतह पर पहली बार किसी चार पहिया वाहन को चलाया था। यह रोवर करीब छह घंटे तक चांद पर चला था। इससे वैज्ञानिक को चंद्रमा की सतह के बारे में जानकारी जुटाने में मदद मिली। साल 1971 मिशन मून के दौरान इंसानों ने पहली बार धरती के अलावा किसी दूसरे ग्रह पर चार पहिया वाहन चलाया था। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की तरफ से 1971 में ही सबसे पहले अपोलो मिशन के तहत मानवरहित यान को चंद्रमा पर भेजा गया था।
पहली बार नासा ने किया ऐसा
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रमा पर लूनर रोविंग व्हीकल का पहली बार इस्तेमाल अपोलो मिशन के तहत किया था। लूनर रोविंग व्हीकल में दो नॉन रिचार्जेबल जिंग बैटरी लगाई थीं। कार के हर पहिये को बैटरी से 0.25 हॉर्स पावर की शक्ति मिलती थी। चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने वाला अपोलो-15 चौथा मिशन था। पहली बार नासा ने अपोलो-15 के साथ लूनर रोवर व्हीकल को अंतरिक्ष यात्रियों के साथ भेजने का काम किया था। इसके बाद नासा ने दूसरे मून मिशन पर भी भेजा था। नासा के अनुसार, 31 जुलाई 1971 को लूनर रोवर व्हीकल चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यात्रियों के साथ चला था। अमेरिका के इस मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्री चांद पर गए थे जिसमें जेम्स इर्विन, डेविड स्कॉट और अल्फ्रेड वॉर्डेन शामिल थे।
लूनर रोवर व्हीकल की खास बातें
नासा ने लूनर रोवर व्हीकल (एलआरवी) में एकरमैन स्टीयरिंग, ब्रेक, एस्केलेटर्स और चार पहिये लगाए थे। इसके अंदर 208 किलो का द्रव्यमान था। सबसे बड़ी खास बात यह है कि इसको इस तरह डिजाइन किया गया था कि फोल्ड किया जा सके। रोवर को ऐसे बनाया गया था धरती के ऑक्सीजनयुक्त माहौल से अलग चांद की कम गुरुत्वाकर्षण वाली सतह पर भी आसानी से चलाया जा सके।
000
… जब पहली बार चांद पर दौड़ा था चार पहिया वाहन

