विश्व आदिवासी दिवस पर विशेष : छत्तीसगढ़ में आदिवासियों का बढ़ा मान : मेहनत का मिला वाजिब दाम

छत्तीसगढ़ के वन और आदिवासी सदियों से राज्य की पहचान रहे हैं। प्रदेश के लगभग आधे भू-भाग पर जंगल हैं, जहां छत्तीसगढ़ की गौरवशाली आदिम संस्कृति फूलती-फलती है। आदिवासियों का पूरा जीवन वनों पर आधारित होने के बावजूद समय के साथ-साथ उनकी वनों के साथ दूरी बढ़ती गई। भारत के दूसरे आदिवासी क्षेत्रों की तरह छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को भी जल-जंगल-जमीन पर अपने अधिकार के लिए लड़ाई लड़नी पड़ी। पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का सपना इन्हीं अधिकारों की वापसी का सपना था।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आदिवासियों तक उनके सभी अधिकार पहुंचाने का वायदा किया था। साथ ही उन्हें हर तरह के शोषण से मुक्ति दिलाने का भी वायदा किया था। इन वायदों को पूरा करने के लिए सरकार ने लगातार ऐसे कदम उठाए, जिनसे वनों के साथ आदिवासियों का रिश्ता फिर से मजबूत हुआ है और इन क्षेत्रों में विकास की नई सुबह हुई है।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार की विकास, विश्वास और सुरक्षा नीति के चलते वनांचल में रहने वाले लोगों के जीवन में तेजी से बदलाव आने लगा है। श्री भूपेश बघेल की सरकार ने आदिवासी समाज की जरूरतों और अपेक्षाओं को ध्यान में रखकर योजनाएं बनाई और पूरी संवेदनशीलता के साथ उनका क्रियान्वयन किया। सरकार बनते ही इसकी शुरूआत लोहंडीगुड़ा के किसानों की जमीन वापसी से की। बस्तर के लोहंडीगुड़ा क्षेत्र के 10 गांवों में एक निजी इस्पात संयंत्र के लिए 1707 किसानों से अधिग्रहित 4200 एकड़ जमीन वापिस की गई। इससे वहां के निवासियों को कृषि व्यवसाय के लिए पट्टे दिए जा सकेंगे। नए उद्योगों की स्थापना हो सकेगी। आजादी के बाद पहली बार अबूझमाड़ क्षेत्र के 2500 किसानों को मसाहती खसरा प्रदान किया गया। अब तक अबूझमाड़ के 18 गांवों के सर्वे का कार्य पूरा कर लिया गया है और 2 गांवों का सर्वे प्रक्रियाधीन है।

  वनांचल में तेजी से बदलाव लाने के लिए राज्य सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण दर को 2500 रूपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4000 रूपए प्रति मानक बोरा करके, 67 तरह के लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य पर संग्रहण, वेल्यूएडिशन और उनके विक्रय की व्यवस्था की गई। इनका स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण और वेल्यू एडिशन करके राज्य सरकार ने न सिर्फ आदिवासियों की आय में बढ़ोत्तरी की है, बल्कि रोजगार के अवसरों का भी निर्माण किया है।  वर्ष 2018-19 से लेकर वर्ष 2022-23 में राज्य में 12 लाख 71 हजार 565 क्विंटल लघु वनोपज की खरीदी समर्थन मूल्य पर की गई, जिसका कुल मूल्य 345 करोड़ रूपए है। वनोपज संग्रहण के लिए संग्राहकों को सबसे अधिक पारिश्रमिक देने वाला राज्य छत्तीसगढ़ है। तेन्दूपत्ता संग्राहकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए शहीद महेन्द्र कर्मा तेन्दूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना अगस्त 2020 में शुरू की गई। योजना के अंतर्गत 3827 हितग्राहियों को 57.52 करोड़ रूपए की अनुदान राशि उपलब्ध कराई गई है।
आदिवासी बहुल छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति से देश-दुनिया को परिचित कराने के लिए राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव जैसे गौरवशाली आयोजनों की शुरूआत राज्य सरकार द्वारा की गई। देवगुड़ियां और घोटुलों का संरक्षण और संवर्धन कर राज्य सरकार ने आदिम जीवन मूल्यों को सहेजा और संवारा है। श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में सरकार ने देवगुड़ी, ठाकुरदेव एवं सांस्कृतिक केन्द्र घोटुल निर्माण व मरम्मत के लिए दी जाने वाली राशि में उल्लेखनीय वृद्धि की है।

वर्ष 2017-18 में प्रति देवगुड़ी के लिए एक लाख रूपए की सहायता प्रदान की जाती थी, राज्य शासन द्वारा वर्ष 2021-22 में वृद्धि कर प्रति देवगुड़ी, घोटुल निर्माण, मरम्मत के लिए 5 लाख रूपए तक की सीमा कर दी है। विगत साढ़े तीन वर्षों में 2763 देवगुड़ी के लिए 51 करोड़ 55 लाख 83 हजार रूपए की राशि स्वीकृत की गई है। इसके साथ ही अबूझमाड़िया जनजाति समुदायों में प्रचलित घोटुल प्रथा को संरक्षित करने का प्रयास भी किया जा रहा है। वर्ष 2022-23 में नारायणपुर जिले में 104 घोटुल के निर्माण के लिए 4.70 करोड़ रूपए की राशि स्वीकृत की गई है। सरकार द्वारा आदिवासियों के तीज-त्यौहारों की संस्कृति एवं परंपरा को संरक्षित करने और इन त्यौहारों, उत्सवों को मूल रूप से आगामी पीढ़ी को हस्तांतरण तथा सांस्कृतिक पंरपराओं का अभिलेखीकरण करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान निधि योजना शुरू की गई है।
राज्य में वन अधिकार कानून के प्रभावी क्रियान्वयन से जल-जंगल-जमीन पर आदिवासी समाज को संबल मिला है। व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र, सामुदायिक वन अधिकार और सामुदायिक वन संसाधन के अधिकार के साथ-साथ रिजर्व क्षेत्र में वन अधिकार वनवासियों को दिए गए। विश्व आदिवासी दिवस आदिवासी समाज का महापर्व है। इसे पूरी गरिमा और भव्यता से मनाने की शुरूआत राज्य सरकार द्वारा की गई है। छत्तीसगढ़ में आदिवासियों का मान बढ़ाने के लिए विश्व आदिवासी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है।
00000

प्रातिक्रिया दे