आइए जानते हैं विदेश में कहां सबसे सस्ता है एमबीबीएस करना
-भारतीयों के लिए कितने बदले हैं नियम
मेडिकल के क्षेत्र में बेहतर करियर बनाने के लिए भारी संख्या में भारतीय छात्र विदेश जाते हैं। बैचलर मेडिकल प्रोग्राम एमबीबीएस डिग्री हासिल करके बेहतर डॉक्टर या सर्जन बनने के लिए छात्रों की पहली पसंद विदेशी मेडिकल कॉलेज ही होते हैं। विदेश में मेडिकल की पढ़ाई को लेकर छात्रों के मन में कई सवाल होते हैं। जैसे मेडिकल कोर्स के लिए कौन सा देश बेस्ट है? विदेशी कॉलेज में एडमिशन कैसे होगा? इसके लिए खर्च कितना आएगा? हजारों की संख्या में भारतीय छात्र रूस, जर्मनी और फिलीपींस जैसे देश मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाते हैं। विदेश में पढ़ाई को लेकर यह भी सवाल रहता है कि क्या जिस देश में जा रहे हैं वहां की भाषा सीखनी जरूरी है या नहीं? आइए ऐसे ही सवालों के जवाब जानते हैं।
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एमबीबीएस के लिए कौन सा देश बेस्ट?
जर्मनी: विदेश जाने वाले मेडिकल छात्रों की संख्या पर नजर डालें तो ज्यादातर छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए जर्मनी जाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यहां की हीलबर्ग यूनिवर्सिटी और हैम्बर्ग यूनिवर्सिटी सबसे ज्यादा मशहूर है। यहां से बेहद कम फीस में मेडिकल कोर्स कर सकते हैं। यहां 4 से 6 लाख रुपये सालाना खर्च पर एमबीबीएस कर सकते हैं। नीट Score की मदद से छात्र यहां एडमिशन ले सकते हैं।
रूस: भारतीय छात्र भारी संख्या में मेडिकल की पढ़ाई के लिए रूस जाते हैं। यहां 6 साल में एमबीबीएस पूरा कर सकते हैं। MCI Regulation के तहत रूस से एमबीबीएस करने के लिए नीट स्कोर होना जरूरी है। कुर्स्क स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी छात्रों की पहली पसंद है। इसके अलावा बशखिर स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी में भी भारी संख्या में भारतीय छात्र एडमिशन लेते हैं।
फिलीपींस: साल 2022 के आंकड़ों के मुताबिक फिलीपींस में 15000 से ज्यादा भारतीय छात्र थे। यहां के मेडिकल कॉलेज में फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन (FMGE) परीक्षा के माध्यम से एडमिशन मिलता है। यहां एमबीबीएस कोर्स 5.5 से 6.5 साल का है। इसमें एक साल का इंटर्नशिप भी शामिल होता है।
क्या लोकल भाषा की जानकारी जरूरी है?
एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए विदेश जाने की इच्छा रखने वाले छात्रों के मन में सवाल जरूर आता है कि वो जिस देश में पढ़ाई के लिए जाना चाहते हैं क्या वहां की स्थानीय भाषा की जानकारी जरूरी है? दरअसल, विदेशी कॉलेज में होने वाले मेडिकल कोर्स इंग्लिश में होते हैं। आपको इंग्लिश पर कमांड होना जरूरी है। इसके अलग आप अपनी इच्छा के अनुसार, स्थानीय भाषा सीख सकते हैं। कई कॉलेजों में छात्रों के लिए लैंग्वेज कोर्स भी कराए जाते हैं।
क्या है नियम?
विदेश से मेडिकल कोर्स करके भारत आने वाले छात्रों के लिए पिछले साल दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से एक नोटिस जारी किया गया था। इस नोटिस में कहा गया है कि मेडिकल कोर्स करके भारत आने वाले छात्रों को यहां भी कम से कम 12 महीने का इंटर्नशिप करना होगा। दरअसल, पिछले साल यूक्रेन से भारत लौटने वाले भारतीय छात्रों को देश में पढ़ाई जारी रखने को लेकर जनहित याचिका दायर हुई थी। इसमें छात्रों ने दिल्ली हाईकोर्ट से अर्जी लगई थी कि उन्हें भारत में पढ़ाई जारी रखने की इजाजत दी जाए। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया था।
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