- रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी जानकारी, 2020 से लगातार बढ़ रहा ग्राफ
- कर्ज के बढ़ते ग्राफ की वजह बड़े प्रोजेक्ट् को बता रहे हैं अधिकारी
- आंतरिक सेवाओं से राजस्व जुटाने के रास्ते तलाश रहा है रेलवे
नई दिल्ली। यात्रियों का भार उठाने वाली रेलवे खुद भारी कर्जे में डूबी हुई है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खुद ऐसे संकेत दिए हैं। आंकड़े बता रहे हैं कि चार सालों में रेलवे का कर्ज 8 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ गया है। खबर है कि अधिकारी कर्ज के बढ़ते ग्राफ की वजह बड़े प्रोजेक्ट् को बता रहे हैं। इसके अलावा कोविड के दौरान भी रेल यातायात खासा प्रभावित हुआ था।
एक मीडिया रिपोर्ट में रेल मंत्री वैष्णव के हवाले से लिखा गया कि साल 2019-20 में कर्ज 20 हजार 304 करोड़ रुपये का था, जो 2020-21 में बढ़कर 23 हजार 386 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था। 2021-22 में आंकड़ा 28 हजार 702 करोड़ रुपये पर था। खबर है कि रेलवे ने रोलिंग स्टॉक एसेट्स खरीदने और अन्य प्रोजेक्ट्स के निर्माण के लिए इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन से मदद ली है। कहा जा रहा है कि 2022-23 में भी रेलवे को कर्ज से राहत नहीं मिली है, बल्कि आंकड़ा बढ़कर 34 हजार 189 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। रिपोर्ट में एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया गया, ‘हम कई बड़े प्रोजेक्ट्स और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए काम कर रहे हैं। साथ ही रेलवे भी कर्ज को कम करने के लिए आंतरिक सेवाओं से राजस्व जुटाने के रास्ते तलाश रहा है।’
वित्त मंत्रालय से लिया इतना कर्ज
रेलवे ने 2020-21 में कोविड के दौरान रेलवे की आय में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। तब वित्त मंत्रालय की तरफ से रेलवे को 79 हजार 398 करोड़ रुये का कर्ज दिया था। इधर, रेलवे का कहना है कि इस कर्ज की वापसी की प्रक्रिया वित्तीय वर्ष 2024-25 से शुरू होगी। खास बात है कि रेलवे की कई बड़ी परियोजनाएं भी साथ ही जारी हैं।
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