-विहिप की रैली में सांप्रदायिक हिंसा भड़कने से आया है चर्चा में
-साइबर अपराध बढ़ने के कारण पूरे देश में है पहले से बदनाम
-मेवात के नाम से जाना जाता था 2016 तक यह जिला
नई दिल्ली। हरियाणा के नूंह जिले में सोमवार को संप्रादियक हिंसा हुई, जिसमे चार लोगों की मृत्यु भी हो गई। नूंह दिल्ली से 100 किलोमीटर की दूरी पर है और सबसे कम विकसित और सबसे गरीब शहरों में से एक है। हालांकि अरावली की पहाड़ियों में बसे इस शहर को नजरअंदाज नहीं किया जाता है यह शहर मेवाती गिरोहों और साइबर अपराधों को लेकर भी खबरों में रहता है। सोमवार को विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की रैली के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़कने के बाद शहर फिर से खबरों में है। इसमें तीन पुलिसकर्मियों सहित पांच लोगों की मौत हो गई है। पुलिस और सरकारी अधिकारियों के मुताबिक नूंह और आसपास के जिलों में स्थिति नियंत्रण में है, जबकि किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए धारा 144 लागू है।
हरियाणा के मेवात क्षेत्र में मुस्लिम आबादी बहुल नूंह देश के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में से एक है। इसकी आधिकारिक पुष्टि अप्रैल 2018 में हुई, जब नीति आयोग ने नूंह जिले को भारत के सबसे पिछड़े जिले के रूप में पहचाना था। मेवात क्षेत्र राजस्थान के अलवर और भरतपुर से लेकर हरियाणा के कुछ हिस्सों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों तक फैला हुआ है। इसका नाम मुस्लिम किसानों की संख्यात्मक रूप से प्रभावशाली जाति मेओस से लिया गया है। इस जिले को 2005 में भूपिंदर हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा गुड़गांव और फरीदाबाद के क्षेत्रों से अलग कर बनाया गया था।
राजपूत से मानते हैं अपनी उत्पत्ति
मेव अपनी उत्पत्ति राजपूतों से मानते हैं लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि मीना, जाट और गुर्जर जैसी जातियों से उनके इस्लाम में परिवर्तित होने की अधिक संभावना थी। 2011 की जनगणना के अनुसार नूंह की कुल आबादी लगभग 11 लाख लोगों में से लगभग 79.2% मुस्लिम थे, जबकि हिंदुओं की आबादी मात्र 20.4% थी। दिल्ली से दो घंटे की दूरी पर होने और आईटी हब गुरुग्राम के साथ अपनी सीमा साझा करने के बावजूद नूंह अभी भी सबसे पिछड़ा जिला है। नूंह जिले को 2016 तक मेवात के नाम से जाना जाता था। बेरोजगारी, पिछड़ेपन और अवसरों की कमी ने मेवात में हिंसा, विशेषकर साइबर अपराधों को बढ़ावा दिया है।
साइबर क्राइम का अड्डा है नूंह
अप्रैल में हरियाणा पुलिस ने जिले में साइबर क्राइम गिरोह का पर्दाफाश किया था, जिससे इलाके में पनप रहे अपराध की झलक मिली थी। 102 सदस्यीय पुलिस टीम ने 320 स्थानों पर छापेमारी की थी और 126 लोगों को हिरासत में लिया और इसमें से 65 को गिरफ्तार कर लिया गया। छापेमारी के दौरान पुलिस ने 166 फर्जी आधार कार्ड, 128 एटीएम कार्ड, 99 सिम कार्ड, 66 मोबाइल फोन और 5 पीओएस मशीनें बरामद कीं।
अपराध बढ़ने का कारण
मेवात में साइबर अपराध बढ़ने का एक मुख्य कारण इसका स्थान रहा है क्योंकि यह क्षेत्र तीन राज्यों- हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में फैला हुआ है। इसी कारण यह साइबर क्राइम हॉटस्पॉट बना हुआ है क्योंकि साइबर अपराधी राज्य की सीमा पार करके पुलिस से बच जाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार ऐसे मामले भी सामने आए हैं जब पुलिस पर उस समय हमला किया गया जब वे इलाके के गांवों में छापेमारी करने गए थे। पुलिस का कहना है कि इस क्षेत्र में साइबर अपराध को उजागर करना अधिक कठिन है क्योंकि यह कोई संगठित अपराध नहीं है, बल्कि लड़के दो-तीन के ग्रुप में काम करते हैं। इसके अलावा, असंगठित अपराधों को ख़त्म करना मुश्किल है। रिपोर्ट्स के मुताबिक जून 2023 तक साइबर क्राइम सेल ने देश भर में साइबर धोखाधड़ी के लिए मेवात क्षेत्र में इस्तेमाल किए गए 5 लाख सिम कार्ड ब्लॉक किये हैं।
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