- 2020 की तुलना में 28 फीसदी बढ़ा नुकसान
नई दिल्ली। भारत में साइबर अपराधियों की सेंधमारी का एक मामला औसतन 17.9 करोड़ रुपये का नुकसान सरकारी व निजी कंपनियों और संस्थानों को पहुंचा रहा है। यह नुकसान उच्चतम और साल 2020 की तुलना 28 फीसदी अधिक है। वैश्विक आईटी कंपनी आईबीएम ने एक रिपोर्ट यह दावा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, सबसे ज्यादा 22 फीसदी डाटा सेंधमारी फिशिंग के जरिये हो रही है। इसके बाद 16 फीसदी मामले गोपनीय जानकारियां चुराकर या हैकिंग से अंजाम दिए जा रहे हैं। दूसरी ओर सोशल इंजीनियरिंग के जरिये हुई सेंधमारी सबसे महंगी पड़ रही है। यहां हर मामला करीब 19.1 करोड़ का औसतन नुकसान कर रहा है। इसके बाद गोपनीय जानकारियां रखने वाले संस्थान के ही किसी व्यक्ति से इन जानकारियों के दुरुपयोग के मामले हैं, जहां औसतन 18.8 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
एआई की मदद न लेने का नुकसान
जिन संस्थानों का अध्ययन रिपोर्ट में किया गया उनमें से 80 फीसदी ने सेंधमारी पहचानने व रोकने के लिए या तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) व ऑटोमेशन की मदद ली ही नहीं थी, या फिर बहुत सीमित स्तर पर ली थी।
बचें कैसे, बंटे हुए नजरिए
57 फीसदी संस्थान मानते हैं कि इस खर्च की वसूली वे किसी न किसी प्रकार से अपने ग्राहकों से करेंगे। फिलहाल वे सुरक्षा पर निवेश करने के बारे में ज्यादा नहीं सोच रहे। यह हालात तब हैं जब अध्ययन में शामिल 95 फीसदी संस्थानों के डाटा में साइबर अपराधियों ने एक से ज्यादा बार सेंधमारी की।
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