- ब्रिटिश रिपोर्ट में खुलासा
-कर्ज में दबे इन देशों की आंतरिक और बाहरी नीति तय कर रहा ड्रैगन
बीजिंग। चीन, श्रीलंका और पाकिस्तान में विदेशी सैन्य अड्डा स्थापित करने जा रहा है। ये दोनों देश चीन के कर्ज तले दबे हुए हैं। ऐसे में इन दोनों देशों की आंतरिक और बाहरी नीति चीन ही तय करता है। अब एक नई स्टडी में बताया गया है कि चीन, श्रीलंका और पाकिस्तान में अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर दूसरा विदेशी सैन्य अड्डा स्थापित करने की तैयारी में है। इन दोनों देशों में चीनी वाणिज्यिक कंपनियों ने उपभोक्ता वस्तुओं जैसे तेल, अनाज और रेयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स के निर्यात और आयात जैसी चीजों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार की रक्षा के लिए बंदरगाह और उसके बुनियादी ढांचे के निर्माण में सबसे अधिक निवेश किया है। चीन का एकमात्र विदेशी सैन्य अड्डा अफ्रीकी देश जिबूती में है। चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है, जिसमें लगभग 500 जहाज शामिल हैं।
जिबूती में है चीन का एकमात्र विदेशी सैन्य अड्डा
चीनी नौसेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी ने 2016 में 590 मिलियन डॉलर की लागत से पूर्वी अफ्रीका के जिबूती में अपना पहला विदेशी सैन्य अड्डा स्थापित किया था। इस सैन्य अड्डे पर चीनी नौसेना के 2000 से अधिक जवान और कई युद्धपोत हमेशा तैनात रहते हैं। चीन के अनुसार, इनका प्राथमिक उद्देश्य आसपास के जल क्षेत्रों से होकर गुजरने वाले चीनी मालवाहक जहाजों को समुद्री डाकुओं के हमलों से बचाना है। हालांकि, पिछले एक साल के अंदर चीन ने जिबूती के नौसैनिक अड्डे का काफी विस्तार किया है। यह अड्डा अब एक मजबूत सुरक्षा वाले किले में बदल चुका है। शुरुआत में चीन ने कहा था कि इस सैन्य अड्डे का इस्तेमाल अरब सागर और हिंद महासागर में तैनात चीनी नौसेना के लिए एक रिसप्लाई डिपो के तौर पर किया जाएगा। हालांकि, चीन ने यहां पर युद्धपोतों की भी तैनाती शुरू कर दी है।
दुनियाभर के आठ देशों के बंदरगाहों पर चीन की नजर
स्टडी के अनुसार, वर्तमान में चीन दुनियाभर के आठ देशों के बंदरगाहों पर नजर गड़ाए हुए है। इनमें श्रीलंका सबसे ऊपर है। ऐसी संभावना है कि इस साल के अंत तक चीन श्रीलंका में अपना अगला विदेशी सैन्य अड्डा स्थापित करने का ऐलान कर सकता है। इस स्टडी का नाम वैश्विक महत्वाकांक्षाओं को बढ़ावा देना: चीन के बंदरगाहों के पदचिह्न और भविष्य के विदेशी नौसैनिक अड्डों के लिए निहितार्थ” है। इसे वर्जीनिया में विलियम एंड मैरी कॉलेज और एडडेटा लैब के शोधकर्ताओं ने तैयार किया है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने 46 देशों में 78 अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों का आकलन किया, जहां पीएलए नौसेना भविष्य में अपने हितों को साध सकती है। इस रिपोर्ट में बंदरगाहों का मूल्यांकन उनकी रणनीतिक स्थिति, नौसैनिक जहाजों के लिए बंदरगाह की गहराई, मेजबान देश में राजनीतिक स्थिरता और संयुक्त राष्ट्र महासभा में चीन के साथ मतदान करने की मेजबान सरकार की प्रवृति के आधार पर किया गया है।
चीन ने 78 विदेशी बंदरगाहों पर खर्च किए हैं 30 बिलियन डॉलर
एडडाटा की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीनी कंपनियों ने 2000 से 2021 तक दुनियाभर के 78 बंदरगाहों के निर्माण के लिए लगभग 30 बिलियन डॉलर खर्च किए हैं।
हंबनटोटा और ग्वादर चीन की पहली पसंद
एडडाटा रिपोर्ट में सबसे ऊपर हिंद महासागर में स्थित श्रीलंकाई बंदरगाह हंबनटोटा है। पश्चिमी विश्लेषकों का अनुमान है कि हंबनटोटा के अलावा चीन कंबोडिया के रीम नेवल बेस, पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह, इक्वेटोरियल गिनी के बाटा बंदरगाह, कैमरून के क्रिबी बंदरगाह पर नौसैनिक अड्डा बना सकता है।
00000

