सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ 15 सितंबर तक दिया एक्टेंशन
फोटो ईडी संजय मिश्रा नाम से ….
नई दिल्ली > सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की उस याचिका पर अपना निर्णय सुना दिया है जिसमें मांग की गई थी कि ईडी निदेशक संजय मिश्रा के कार्यकाल को आगे भी बढ़ा दिया जाए। हालांकि मोदी सरकार ने संजय मिश्रा का कार्यकाल 15 अक्टूबर तक बढ़ाने की मांग की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ इस साल 15 सितंबर तक के लिए एक्सटेंशन दिया है। कोर्ट ने सरकार के तर्कों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी है। दो टूक कहा कि 15 सितंबर के बाद कोई एक्सटेंशन नहीं मिलेगा।
सरकार क्या चाहती थी, कोर्ट ने क्या बोला
ज्ञात हो कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ही ईडी डायरेक्टर संजय मिश्रा के कार्यकाल को 110 दिन छोटा कर दिया था। जोर देकर कहा गया था कि 31 जुलाई तक ही संजय मिश्रा ईडी निदेशक बने रह सकते हैं। तब सरकार ने अपील की थी कि नए निदेशक को ढूंढने के लिए कुछ समय दिया जाए, ऐसे में कार्यकाल को 15 अक्टूबर तक बढ़ा दिया जाए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अब सिर्फ 15 सितंबर तक के लिए राहत दी है।
सरकार ने रखी थी ये दलील
असल में सरकार का कहना था कि संजय मिश्रा कई अहम मामले देख रहे हैं। अभी उनकी जगह पर किसी दूसरे को नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू भी नहीं की जा सकी है। ईडी निदेशक के पद पर विभागीय पदोन्नति नहीं होती है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के किसी योग्य अधिकारी को सीधे ईडी निदेशक के पद पर तैनात करना होगा है। लिहाजा उनको कुछ वक्त दिया जाए जिससे वो बेहतरीन अफसर का चयन कर सके।
मिश्रा का ये आखिरी कार्यकाल विस्तार
कोर्ट ने साफ कर दिया है कि मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने को लेकर अब आगे सुनवाई नहीं होगी, यानी मिश्रा का ये आखिरी सेवा विस्तार है। बता दें कि मिश्रा का ये तीसरा कार्यकाल विस्तार है। उन्हें नवंबर, 2018 में 2 साल के लिए ED निदेशक नियुक्त किया गया था। नवंबर, 2020 में उनका कार्यकाल 1 साल के लिए बढ़ाया गया था। नवंबर, 2021 और नवंबर, 2022 में इसे केंद्र सरकार ने फिर बढ़ा दिया था।
सुप्रीम कोर्ट का पिछला आदेश क्या था?
जानकारी के लिए बता दें कि जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने पिछली सुनवाई पर केंद्र को सख्त हिदायत देते हुए कहा था कि मनमर्जी से किसी भी अधिकारी को एक्सटेंशन न दिया जाए। बेंच का कहना था कि सरकार को चाहिए कि वो सुप्रीम कोर्ट के 2021 के फैसले को ध्यान में रखकर अपना कदम उठाए। सरकार ऐसा कोई काम न करे जिससे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना होती हो।
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