-डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ की रिपोर्ट में खुलासा,
नई दिल्ली। कोरोना महामारी के दौरान वैश्विक टीकाकरण सेवाओं में आई गिरावट के बाद एक बार फिर उसमें सुधार देखने को मिला है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की नई रिपोर्ट में बताया गया है कि महामारी की वजह से 2020 के दौरान दुनियाभर में करीब 2.3 करोड़ बच्चे नियमित टीकाकरण से वंचित रह गए थे। 2021 की तुलना में 2022 के दौरान 40 लाख अधिक बच्चों को टीके लगे हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 2022 में वैश्विक स्तर पर बाल टीकाकरण में सुधार के बावजूद वह अब भी महामारी से पहले की तुलना में कम है। 2019 में टीकाकरण से वंचित रह गए बच्चों संख्या 1.84 करोड़ थी। कुछ ऐसी ही स्थिति उन बच्चों की है, जिन्हें अब तक एक भी वैक्सीन नहीं दी गई है। आंकड़ों के अनुसार, शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या जहां 2019 में 1.29 करोड़ थी, वह महामारी के दौरान बढ़कर 1.81 करोड़ पर पहुंच गई। इसके बाद यह आंकड़ा 2022 में घटकर 1.43 करोड़ पर पहुंच गया था। इसके बावजूद यह 2019 की तुलना में कहीं ज्यादा है। वहीं, दुनियाभर में अभी भी 2.05 करोड़ बच्चे डिप्थीरिया, टिटनेस और काली खांसी से बचाव के लिए लगाए जाने वाले डीपीटी-1 की एक या उससे अधिक खुराक लेने से वंचित हैं । 2021 में यह आंकड़ा 2.45 करोड़ था। डीपीटी वैक्सीन को आमतौर पर टीकाकरण कवरेज के वैश्विक संकेतक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
पूरी कहानी नहीं कहते आंकड़े
सुधार के आंकड़े उत्साहजनक हैं। हालंकि, वैश्विक और क्षेत्रीय औसत पूरी कहानी बयां नहीं करते। दोनों में अभी काफी अंतर है और वो गंभीर और लगातार चली आ रही असमानताओं को ढक देते हैं। -डॉक्टर टेड्रॉस अदनॉम गैब्रेयसस, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक
भारत की स्थिति भी सुधरी
भारत की बात करें तो जहां इस दौरान 20.75 लाख बच्चे बीसीजी की खुराक से वंचित रह गए थे, वहीं, डीटीपी-1 के मामले में यह आंकड़ा 11.3 लाख दर्ज किया गया। इसी तरह 2022 के दौरान 15.8 लाख बच्चे डीटीपी-3, हेपेटाइटिस बी-3 की खुराक से 15.7 लाख बच्चे, पीसीवी-3 की खुराक से 76.6 लाख बच्चे वंचित रह गए।
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