करगिल जंग में लड़े थे मणिपुर कांड की पीड़िता के पति

  • भीड़ की दरिंदगी का शिकार हुए एक महिला के पति हैं रिटायर्ड सूबेदार
  • पूर्व सैनिक ने कहा- घर में बॉर्डर जैसे हालात, सबकुछ हो गया तबाह

नई दिल्ली। मणिपुर में दो महिलाओं को नग्न अवस्था में जबरन घुमाया गया। इस घटना के बाद से ही सड़क से संसद तक उबाल है। इसी बीच एक और खुलासा हुआ है कि भीड़ की दरिंदगी का शिकार हुए एक महिला के पति करगिल युद्ध में लड़ चुके हैं और रिटायर्ड सूबेदार हैं। उन्होंने बताया है कि उनके इलाके में हालात बेहद खतरनाक और डराने वाले हैं। मणिपुर पुलिस अब तक मुख्य आरोपी हुईरम हीरोदास समेत चार लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। एक अखबार से बातचीत में 65 वर्षीय रिटायर्ड सैनिक और हैवानियत का शिकार हुईं पत्नी बताती हैं कि उनका सबकुछ तबाह हो चुका है। उन्होंने कहा कि वह सामान से सम्मान तक सब गंवा चुके हैं।

मेरा घर बॉर्डर से ज्यादा खतरनाक

उन्होंने कहा, ‘मैंने करगिल में लड़कर सामने से जंग देखी है। और जब मैं घर वापस आया, तो मेरी खुद की जगह युद्धक्षेत्र से ज्यादा खतरनाक है।’ उन्होंने बताया, ‘वे 4 मई को हमारे गांव आए और घरों को आग लगाना शुरू कर दिया। सभी गांव वाले जान बचाने के लिए यहां भागे। मेरी पत्नी मुझे अलग हो गई और चार अन्य गांववालों के साथ जंगल में पेड़ के पीछे छिप गई।’ वहां हमलावरों ने उन्हें खोजकर बंदी बना लिया।’ पूर्व सैनिक बताते हैं, ‘महिला को बचाने की कोशिश कर रहे पिता और भाई को मौके पर ही मार दिया।’ उन्होंने बताया कि पत्नी के अलावा एक महिला, एक बच्चा और एक ही परिवार के तीन सदस्य और थे, जिसमें पिता, बेटा और बेटी थी। भीड़ पुलिसवालों से छीनकर सभी को ले गई।

‘सामने पत्नी को ले गए’

पूर्व सैनिक ने हैवानों की भीड़ को याद किया और बताया, ‘मैं देख सकता था कि वे पत्नी और अन्य चार लोगों को कुछ दूरी पर ले गए। तीन महिलाओं को कपड़े उतारने पर मजबूर किया गया। हाथों में बच्चे लिए एक महिला को बाद में छोड़ दिया गया और जाने दिया गया। भीड़ ने कम उम्र की महिला का उत्पीड़न करने की कोशिश की और जब उसके भाई और पिता ने दखल दिया, तो उन्हें मार दिया गया।’

पूर्व सैनिक का कहना है, ‘वह डिप्रेशन में चली गई थी, लेकिन हमारे बच्चों की चिंता करनी थी, इसलिए वह सामान्य होने की कोशिश कर रही है।’ उन्होंने बताया है कि हैवानों की हैवानियत करीब दो-तीन घंटों तक चली। वह देर रात अपनी पत्नी से नागा गांव में मिले और छोटी लड़की को उसका प्रेमी ले गया। फिलहाल, पति-पत्नी चूड़ाचांदपुर में राहत शिविर में रह रहे हैं।

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एफआईआर लिखने वाले एसएचओ बोले- हां, गैंगरेप हुआ

पीड़ित घटना के कई दिन बाद तक दंगे की वजह से पुलिस स्टेशन नहीं गए। साइकुल के एसएचओ लुंगथांग ने बताया कि वारदात के करीब 2 हफ्ते बाद 18 मई को बी फाइनोम गांव के मुखिया पुलिस स्टेशन आए। हमने उनकी तहरीर के आधार पर जीरो एफआईआर दर्ज की। एफआईआर में बताया गया कि दंगे और तनाव के हालात की वजह से केस को तुरंत रिपोर्ट नहीं किया जा सका। लुनथांग ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले जीरो एफआईआर दर्ज की और फिर वारदात वाले पुलिस स्टेशन नांगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन को केस ट्रांसफर कर दिया। इस मामले में IPC की धारा 302 (हत्या), 354 (महिला से छेड़छाड़ और अभद्रता), 376 (बलात्कार), 326 (गहरी चोट पहुंचाना) के तहत रिपोर्ट दर्ज की गई। ये एफआईआर मैतेई युवा संगठनों के खिलाफ दर्ज की गई।

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