- लोकसभा चुनाव: शक्ति प्रदर्शन के लिए अहम हुए छोटे दल
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले उन दलों की भी पूछ बढ़ी है जिनका संसद के दोनों सदनों में कोई प्रतिनिधित्व ही नहीं है। मंगलवार को राजग और विपक्ष के बीच हुए शक्ति प्रदर्शन में दोनों खेमों की बैठक में ऐसे 34 दल शामिल हुए जिनका लोकसभा और राज्यसभा में प्रतिनिधित्व ही नहीं है। इसके अतिरिक्त दोनों खेमों में चार ऐसे भी दल हैं जिनका प्रतिनिधित्व बस उच्च सदन तक ही सीमित है। दरअसल, लोस चुनाव से पहले सत्तारूढ़ व विपक्षी गठबंधन दलों की संख्या के सहारे शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। दोनों पक्ष अपने-अपने गठबंधन का दायरा बड़ा दिखाने के लिए ऐसे दलों को साधने में जुटे हैं, जिनका संसद में प्रतिनिधित्व शून्य है। हालांकि शून्य प्रतिनिधित्व वाले दलों की अलग-अलग राज्यों के क्षेत्र विशेष में प्रभाव है। दोनों ही गठबंधन आगामी लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए इन दलों के प्रभाव का लाभ उठाना चाहते हैं। मंगलवार को हुए दोनों पक्षों के शक्ति प्रदर्शन में विपक्ष की बैठक में 26 दल तो सत्तारूढ़ राजग की बैठक में 39 दल शामिल हुए।
विपक्षी खेमे के शून्य प्रतिनिधित्व वाले दल
विपक्षी दलों की बैठक में 10 दल ऐसे थे, जिनका संसद के दोनों सदनों में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। इनमें पीडीपी, सीपीआईएमएल, एमएमके, एमडीएमके, वीसीके, आरएसपी, केरला कांग्रेस, केएमडीके, अपना दल कमेरावादी, एआईएफबी शामिल हैं। इसके अलावा राजद, रालोद का लोस में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।
राजग के शून्य प्रतिनिधित्व वाले दल
राजग की बैठक में शामिल 24 दलों का लोस में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। आरपीआई आठवले और तमिल मनीला कांग्रेस का प्रतिनिधित्व राज्यसभा तक सीमित है। दोनों सदनों में प्रतिनिधित्व शून्य दलों में जेजेपी, आईपीएफटी, बीपीपी, पीएमके, एमजीपी, निषाद पार्टी, यूपीपीएल, एआईआरएनसी, अकाली दल ढींढसा, जनसेना, हम, आरएलएसपी, बीडीजेएस, केरल कांग्रेस थॉमस, जीएनएलएफ, जेआरएस, यूडीपी, एचएसडीपी, जनसुराज पार्टी, एसबीएसपी, राष्ट्रीय समाज पक्ष, हरियाणा लोकहित पाटी, कीपुथिया तमिलगम और प्रहार जनशक्ति पार्टी शामिल हैं।
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