- संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट द पाथ देट एंड्स एड्स में खुलासा
-रोजाना 740 बच्चे हो रहे हैं दुनियाभर में संक्रमित
-2022 में एक लाख से ज्यादा बच्चों की गई थी जान
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नई दिल्ली। बच्चों के लिए एचआईवी/एड्स किसी अभिशाप से कम नहीं। इससे हर दिन औसतन 274 बच्चों की जान जा रही है। इतना ही नहीं, हर दिन 740 बच्चे संक्रमित हो रहे हैं। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट द पाथ देट एंड्स एड्स में सामने आई है। एचआईवी की वजह से 2022 में एक लाख से ज्यादा बच्चों की जान गई थी। इनमें से 73,000 बच्चों ने अपना 10वां जन्मदिवस भी नहीं देखा था। रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से ज्यादातर जानें बीमारी की रोकथाम, उपचार सेवाओं तक पहुंच की कमी से गई थी। वहीं, यदि बीमारी के बढ़ते संक्रमण की बात करें तो 2022 में 2.7 लाख से ज्यादा बच्चे इसकी चपेट में आए थे। इनमें से 1.3 लाख बच्चों की उम्र करीब पांच वर्ष थी। इस बारे में यूएनएड्स की कार्यकारी निदेशक विनी ब्यानयिमा का कहना है कि मौजूदा दौर के नेताओं के पास लाखों जिंदगियों को बचाने और भावी पीढ़ियों द्वारा याद रखे जाने का अवसर है।” “वे लाखों जीवन बचा सकते हैं और सभी के स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं। वे दिखा सकते हैं कि नेतृत्व के जरिए क्या कुछ किया जा सकता है।”
सभी के पास उपचार की सुविधा नहीं
वैश्विक स्तर पर करीब 3.9 करोड़ लोग इस बीमारी के साथ जीने को मजबूर हैं, जिनमें से करीब 2.98 करोड़ लोगों को इसकी रोकथाम के लिए एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी उपलब्ध है। हालांकि, इसके बावजूद अब भी 92 लाख लोगों के पास उपचार की सुविधा नहीं है।
दुनियाभर में 25.8 लाख बच्चे संक्रमित
रिपोर्ट में सामने आया कि दुनियाभर में एड्स से पीड़ित बच्चों का आंकड़ा बढ़कर 25.8 लाख पर पहुंच गया है। इनमें से 9.3 लाख बच्चे की आयु तो अभी 10 वर्ष भी नहीं हुई है। वहीं, 16.5 लाख ऐसे हैं, जिनकी उम्र अभी 20 से कम है। रिपोर्ट के अनुसार, 2022 तक करीब 1.39 करोड़ बच्चों ने एड्स से जुड़े कारणों के चलते अपने माता-पिता में से एक या दोनों को खो दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में एचआईवी के 13 लाख नए केस आए हैं।
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भारत में करीब 72 हजार बच्चे पीड़ित
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) के मुताबिक, भारत में एचआईवी पीड़ितों की संख्या लगभग 24 लाख है। दक्षिणी राज्यों में एचआईवी की संख्या सबसे अधिक है, जिसमें महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, और कर्नाटक सबसे ऊपर हैं। इन 24 लाख मामलों में से लगभग 3 प्रतिशत बच्चे हैं, जो काफी चिंता का विषय है। ” इसका मतलब है भारत में करीब 72 हजार बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हैं।
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