-अयोध्या में मंदिर निर्माण कार्य 60 फीसदी पूरा
- भूतल बनकर हो चुका है तैयार, फर्श निर्माण की तैयारी
अयोध्या। रामजन्मभूमि में राममंदिर का 60 फीसदी काम पूरा हो चुका है। मंदिर का भूतल बनकर तैयार है, अब फर्श निर्माण की तैयारी चल रही है। राममंदिर में एक साथ डेढ़ लाख श्रद्धालु परिक्रमा कर सकेंगे। इसके लिए मंदिर की परिधि में 800 मीटर लंबे परकोटे के साथ 200 मीटर लंबी टनल का भी निर्माण कराया जा रहा है। मंदिर के चारों ओर आठ एकड़ की परिधि में भूतल से 48 फीट ऊंचे परकोटे का भी निर्माण जारी है। यह मंदिर की सुरक्षा के लिहाज से अहम होगा। वहीं मंदिर की पूरब दिशा में 200 मीटर लंबे टनल का भी निर्माण किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह देश का पहला ऐसा मंदिर होगा, जिसके मुख्य द्वार के नीचे से होकर श्रद्धालु निकास द्वार तक पहुंचेंगे। सिंहद्वार से पहले गोपुरम का भी निर्माण कराया जाना है। गोपुरम परकोटे का प्रवेश द्वार होगा जबकि सिंहद्वार मंदिर का प्रवेश द्वार होगा। परकोटे से होकर मंदिर तक श्रद्धालुओं को आना होगा।
भीड़ होगी कंट्रोल
बताया गया कि प्रमुख अवसरों रामनवमी, सावन मेला, कार्तिक मेला आदि में राममंदिर में करीब एक से डेढ़ लाख श्रद्धालु पहुंचेंगे। ऐसे में पूजा के दौरान जो दर्शनार्थी परिक्रमा करेंगे और परकोटे में जाएंगें उनके बीच कोई टकराव न हो इसके लिए टनल का निर्माण कराया जा रहा है। श्रद्धालुओं को सिंहद्वार से प्रवेश देते हुए भीड़ अधिक होने की स्थिति में इसी टनल से बाहर निकाला जाएगा।
कुबेर टीला के पास विकसित होगा कुंड
रामजन्मभूमि परिसर में मंदिर के निकट कुंड के आकार का जलाशय भी बनाया जाना है। यह जलाशय मंदिर परकोटा के बाहर होगा। मंदिर के दक्षिण दिशा में कुबेर टीला के पास इसे विकसित किया जाएगा। यह जलाशय कितना लंबा-चौड़ा होगा, इसकी डिजाइन पर अभी मंथन चल रहा है। मंदिर निर्माण की कार्यदायी संस्था एलएंडटी जलाशय की डिजाइन तैयार करने में जुटी हुई है।
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नहीं होगा भूकंप के झटकों का असर
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय का कहना है कि मंदिर को अगले एक हजार साल तक मरम्मत की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने यहां तक दावा किया कि मंदिर को रिक्टर स्केल पर भूकंप के 6.5 लेवल तक के झटके से भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। मंदिर निर्माण कार्य में लगी लार्सन एंड टूब्रो कंपनी का कहना है कि पिलर्स की मोटाई बढ़ाई गई है और दीवारों पर भारी पत्थर रखे गये हैं। नींव को भी बहुत मजबूत बनाया गया है। पूरी इमारत को ऊपर से नीचे तक इतनी मजबूती दी गई है कि बड़े से बड़े झटके से भी यह स्थिर रहेगी। नींव को 50 फीट गहरा और पूरी तरह से पत्थरों, सीमेंट और दूसरे मटेरियल से बनाया गया है। स्टील और लोहे का कहीं इस्तेमाल नहीं किया गया है।
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